नई दिल्ली: टेस्ट क्रिकेट में स्पेशलिस्ट बॉलर की हैसियत से खेलने के बावजूद कुछ प्लेयर इस फॉर्मेट में अपनी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं कर सके. इनके खाते में विकेट तो आए लेकिन इस दौरान काफी रन लुटाए जिसके कारण इनकी गिनती ‘महंगे’ बॉलर्स (पैमाना न्यूनतम 20 टेस्ट) में होती है. इन बॉलर्स में से कुछ ने व्हाइट बॉल क्रिकेट में तो खासी सफलता हासिल की लेकिन इनका टेस्ट करियर लंबा नहीं चल सका. स्पेशलिस्ट बॉलर्स की इस सूची में एशियाई प्लेयर्स की संख्या अच्छी खासी है. बांग्लादेश के रुबेल हुसैन (Rubel Hossain) लिस्ट में अव्वल नंबर पर हैं.अच्छी गति से बॉलिंग करने वाले रुबेल का वनडे करियर तो सफलता भरा रहा लेकिन टेस्ट में वे नाकाम रहे. 14 साल के इंटरनेशनल करियर में उन्होंने महज 27 टेस्ट खेले और उनका बॉलिंग औसत 76.78 का रहा. रुबेल का नाम 2018 में सबसे अधिक चर्चा में आया जब टी20I के निधास ट्रॉफी के फाइनल में भारत के दिनेश कार्तिक ने इस बांग्लादेशी बॉलर की ओर से फेंके पारी के 19वें ओवर में दो छक्के और दो चौके सहित 22 रन ठोके और फिर आखिरी ओवर की आखिरी गेंद पर में सौम्य सरकार को 6 जड़कर भारत को चैंपियन बनाया था. पाकिस्तान और भारत का एक-एक बॉलर भी इस सूची में है. टेस्ट क्रिकेट में 45 से अधिक के औसत से रन देने वाले बॉलर्स पर नजर.. वनडे में रुबेल ने टीम को कई जीत दिलाई लेकिन टेस्ट.. रुबेल हुसैन ने वनडे में बांग्लादेश टीम को कई यादगार जीतें दिलाईं लेकिन टेस्ट में उनका करियर कभी सरपट नहीं दौड़ सका. वर्ल्डकप 2015 में टीम की इंग्लैंड और 2010 में न्यूजीलैंड पर वनडे सीरीज जीत में अहम योगदान देने वाले रुबेल इस फॉर्मेट में कीवी टीम के खिलाफ हैट्रिक भी ले चुके हैं. 104 वनडे में 34.31 के औसत से 129 विकेट (सर्वश्रेष्ठ 6/26) लेने वाले रुबेल ने 28 टी20I में 32.57 के औसत से 28 ही विकेट लिए लेकिन टेस्ट में नाकाम रहे. 2009 में टेस्ट डेब्यू करके 2020 तक महज 27 टेस्ट ही खेल सका दाएं हाथ का यह बॉलर 36 विकेट ही ले पाया. पूरे टेस्ट करियर में केवल एक बार ही पारी में 5 विकेट ले सके. उनका बॉलिंग औसत 76.77, इकोनॉमी 3.92 (प्रति ओवर खर्च किए रन) और स्ट्राइक रेट 117.3 (प्रति विकेट फेंकी बॉल) का रहा जो रेड बॉल क्रिकेट के लिहाज से बेहद खराब है. समी ने डेब्यू टेस्ट में खोला ‘पंजा’, तीसरे मैच में हैट्रिक ली लेकिन.. मोहम्मद ‘समी’ (Mohammad Sami) की गिनती पाकिस्तान के बेहतरीन फास्ट बॉलर्स में होती थी. अपने ‘क्विक ऑर्म एक्शन’ के कारण वे काफी गति हासिल करने में सफल होते थे. 20 वर्ष की उम्र में न्यूजीलैंड के खिलाफ डेब्यू टेस्ट में ही 5 विकेट हॉल करके उन्होंने नाम कमाया. तीसरे टेस्ट में श्रीलंका के खिलाफ लाहौर में हैट्रिक भी ली लेकिन जल्द ही दिशाहीन होने लगे. वनडे और टी20I में तो उनका करियर ठीकठाक चला लेकिन टेस्ट की पाकिस्तान टीम से जल्द ही बाहर हो गए. 36 टेस्ट मैचों में समी ने 52.74 के औसत और 3.58 की इकोनॉमी से 85 विकेट लिए, ये ‘नंबर’ उनकी प्रतिभा के लिहाज से कतई न्याय नहीं करते. 87 वनडे में 29.47 के औसत से 121 और 13 टी20I में 18.42 के औसत से 21 विकेट लिए. तीनों ही फॉर्मेट में बेहद खर्चीले रहे शहादत हुसैन बांग्लादेश की ओर से ‘शहादत हुसैन’ नाम के दो प्लेयर इंटरनेशनल क्रिकेट खेल चुके हैं, इसमें से शहादत हुसैन दीपू अभी भी इंटरनेशनल क्रिकेट खेल रहे हैं जबकि काजी शहादत हुसैन (Kazi Shahadat Hossain) दाएं हाथ के फास्ट बॉलर की हैसियत से 2005 से 2015 तक 38 टेस्ट खेले. शहादत (काजी) ने वनडे में बांग्लादेश की ओर से पहली हैट्रिक हासिल की, छह टी20I भी खेले लेकिन तीनों ही फॉर्मेट में ‘लंबी रेस का घोड़ा’ नहीं बन पाए. वे बेहद महंगे साबित होते रहे. 38 टेस्ट में 51.81 के ‘भारीभरकम’ बॉलिंग औसत से 72, 51 वनडे में 45.59 के औसत से 47 और 6 वनडे में 49.50 के औसत से 4 विकेट ही ले सके. वैसे इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स टेस्ट में पारी में 5 विकेट लेने के कारण शहादत का नाम वहां के ऑनर्स बोर्ड पर है. यह उपलब्धि हासिल करने वाले वे बांग्लादेश के पहले बॉलर थे. इंडीज के तेज गेंदबाज पॉवेल का करियर रहा बेहद छोटा वेस्टइंडीज के दाएं हाथ के फास्ट बॉलर डेरेन पॉवेल (Daren Powell) भी तीनों फॉर्मेट औसत और इकोनॉमी के लिहाज से बेहद महंगे रहे. उन्होंने 2002 से 2009 के बीच 37 टेस्ट, 55 वनडे और 5 टी20I खेले लेकिन बहुत कामयाब नहीं हो सके. टेस्ट में 47.85 के औसत और 3.44 की इकोनॉमी से उन्होंने 85 विकेट लिए, केवल एक बार पारी में 5 विकेट ले पाए. वनडे में 71 विकेट लेने के दौरान पावेल का औसत 31.53 और टी20I में 65.50 का रहा. न्यूजीलैंड के दो स्पिनर का 47+ का रहा टेस्ट बॉलिंग औसत न्यूजीलैंड के ऑफ ब्रेक बॉलर पॉल वाइजमैन (Paul Wiseman) का इंटरनेशनल करियर भी साधारण रहा. 25 टेस्ट में हालांकि उन्होंने 61 विकेट लिए लेकिन बॉलिंग औसत 47.59 का रहा, इकोनॉमी के लिहाज से भी हर ओवर में 3 से ज्यादा रन दिए. उनका वनडे करियर तो और भी खराब रहा. इस फॉर्मेंट के 15 मैचों में वे 30.66 के औसत से 12 विकेट ही ले पाए. वाइजमैन की तरह ऑफ स्पिनर के तौर पर न्यूजीलैंड के लिए 24 टेस्ट खेले भारतीय मूल के जीतन पटेल (Jeetan Patel) का करियर भी औसत (47.35) और इकोनॉमी (3.16) के लिहाज से उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा. 2005 से 2017 के बीच जीतन ने 24 टेस्ट, 43 वनडे और 11 टी20I में खेले और टेस्ट में 65 विकेट (एक बार पारी में 5 विकेट), वनडे में 49 विकेट (सर्वश्रेष्ठ 3/11) और टी20 मैचों में 16 विकेट लिए. वनडे में विकेटों का अंबार लेकिन टेस्ट में महंगे रहे आगरकर भारत की मौजूदा सिलेक्शन कमेटी के प्रमुख अजित आगरकर (Ajit Agarkar) भी उन बॉलर में शामिल हैं जिनका टेस्ट करियर, वनडे करियर की तुलना में कामयाब नहीं रहा. टेस्ट में अजित के नाम एक शतक और वनडे में तीन अर्धशतक हैं लेकिन वे इंटरनेशनल करियर में ज्यादातर समय ऑलराउंडर के बजाय खालिस बॉलर ही साबित हुए. वनडे में 27.85 के औसत से 288 विकेट (दो बार 5 विकेट हॉल) लेने वाले आगरकर केवल 26 टेस्ट खेल पाए जिसमें उन्होंने 58 विकेट लिए. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 41 रन देकर 6 विकेट लेने वाले आगरकर का बालिंग औसत 47.32 और इकोनॉमी 3.39 की रही जो टेस्ट क्रिकेट के लिहाज से निराशाजनक ही मानी जाएगी. वर्ष 1998 से 2007 तक के अपने इंटरनेशनल करियर में अजित ने 4 टी20I भी खेले लेकिन 3 विकेट ही ले सके.