मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बुजुर्ग माता पिता के भरण-पोषण संबंधी मामले में महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. एमपी के नरसिंहपुर निवासी एक वृद्ध मां को बेटे द्वारा भरण पोषण राशि ना देने के मामले में बुधवार को सुनवाई हुई, जिसमें बेटे ने संपत्ति में हिस्सा ना मिलने पर मां के भरण पोषण से इनकार किया था. जस्टिस जी एस अहलूवालिया ने इस पूरे मामले के सभी तथ्यों को गौर से सुना और कहा कि माता पिता का वृद्धावस्था में भरण पोषण करना हर संतान का कर्तव्य है चाहे उन्हें संपत्ति में हिस्सा मिले या ना मिले. इसके साथ ही याचिकाकर्ता बेटे को फटकार लगाते हुए हर महीने मां को 2 हजार रुपए भरण पोषण के लिए देने के निर्देश दिए. दरअसल नरसिंहपुर निवासी वृद्धा के चार बेटे हैं, जिनमें से एक बेटे को संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिला. यह मामला नरसिंहपुर एसडीएम के पास पहुंचा, जिसमें उन्होंने चारों बेटों को वृद्ध मां के भरण पोषण के लिए हर महीने 3-3 हजार देने के निर्देश दिए थे. जिसके बाद एक बेटे ने एसडीएम के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. बहरहाल हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि यदि माता-पिता की संपत्ति में बेटों ने छल कपट करके या माता पिता को गुमराह करके किसी ने अपने नाम पर करवा लिया है तो ऐसी स्थिति में वह रजिस्ट्री या वसीयत स्वतः खारिज या अमान्य मानी जायेगी.