Rahul Gandhi के आरक्षण खत्म करने वाले बयान पर भड़कीं मायावती, संविधान बचाने का नाटक करने वाली पार्टी से लोगों को किया सजग

Rahul Gandhi के आरक्षण खत्म करने वाले बयान पर भड़कीं मायावती, संविधान बचाने का नाटक करने वाली पार्टी से लोगों को किया सजग

बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने राहुल गांधी के आरक्षण को लेकर दिए ताजा बयान पर निशाना साधा है। मायावती ने सिलसिलेवार ट्वीट के जरिए कांग्रेस की मंशा पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र में काफी लम्बे समय तक सत्ता में रहते हुए कांग्रेस पार्टी की सरकार ने ओबीसी आरक्षण को लागू नहीं किया और ना ही देश में जातीय जनगणना कराने वाली यह पार्टी अब इसकी आड़ में सत्ता में आने के सपने देख रही है। इनके इस नाटक से सचेत रहें जो आगे कभी भी जातीय जनगणना नहीं करा पाएगी। अब कांग्रेस पार्टी के सर्वेसर्वा श्री राहुल गाँधी के इस नाटक से भी सर्तक रहें जिसमें उन्होंने विदेश में यह कहा है कि भारत जब बेहत्तर स्थिति में होगा तो हम SC, ST, OBC का आरक्षण खत्म कर देंगे। इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस वर्षों से इनके आरक्षण को खत्म करने के षडयंत्र में लगी है। मायावती ने कहा कि इन वर्गों के लोग कांग्रेसी नेता श्री राहुल गाँधी के दिए गए इस घातक बयान से सावधान रहें, क्योंकि यह पार्टी केन्द्र की सत्ता में आते ही, अपने इस बयान की आड़ में इनका आरक्षण जरूर खत्म कर देगी। ये लोग संविधान व आरक्षण बचाने का नाटक करने वाली इस पार्टी से जरूर सजग रहें। जबकि सच्चाई में कांग्रेस शुरू से ही आरक्षण-विरोधी सोच की रही है। केन्द्र में रही इनकी सरकार में जब इनका आरक्षण का कोटा पूरा नहीं किया गया तब इस पार्टी से इनको इन्साफ ना मिलने की वजह से ही बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने कानून मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। लोग सावधन रहें। कुल मिलाकर, जब तक देश में जातिवाद जड़ से खत्म नहीं हो जाता है तब तक भारत की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर होने के बावजूद भी इन वर्गों की सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक हालत बेहतर होने वाली नहीं है। अतः जातिवाद के समूल नष्ट होने तक आरक्षण की सही संवैधानिक व्यवस्था जारी रहना जरूरी। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने जातीय सहमति की वकालत की और कहा कि कांग्रेस पार्टी निचली जातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति जानना चाहती है। जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में जाति जनगणना की आवश्यकता को समझाते हुए राहुल ने कहा किहम इन जातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को समझना चाहते हैं। तीसरा घटक, जो मुझे लगता है कि बहुत महत्वपूर्ण है, वह यह है कि हम भारत के संस्थानों-मीडिया, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा-स्वामित्व, इन सेवाओं को प्रदान करने वाली संरचना और इन संस्थानों में भारत की भागीदारी को भी समझना और जांचना चाहते हैं। ये एक संस्थागत सर्वेक्षण, एक सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण और एक जनगणना है। उन्होंने कहा कि जब भारत एक निष्पक्ष देश होगा तो कांग्रेस पार्टी आरक्षण खत्म करने के बारे में सोचेगी, जो अभी नहीं है। गांधी ने आरक्षण और यह कब तक जारी रहेगा सवाल के जवाब में विश्वविद्यालय में छात्रों से कहा कि जब भारत एक निष्पक्ष स्थान पर होगा तो हम आरक्षण ख़त्म करने के बारे में सोचेंगे। फिलहाल देश में ऐसी स्थितियां नहीं हैं। गांधी ने कहा कि जब आप वित्तीय आंकड़ों को देखते हैं, तो आदिवासियों को 100 रुपये में से 10 पैसे मिलते हैं; दलितों को 100 रुपये में से 5 रुपये मिलते हैं और इतनी ही संख्या ओबीसी को मिलती है. मामले की सच्चाई यह है कि उन्हें भागीदारी नहीं मिल रही है।

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