विदेशी धरती से भारत सरकार की नीतियों, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा और आरएसएस पर निशाना साधने के लिए अमेरिका पहुँचे कांग्रेस नेता राहुल गांधी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर जमकर बरसे हैं। पलटवार में सीधे सीधे तो नहीं लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से आरएसएस ने भी राहुल गांधी को खरी खरी सुना दी है। हम आपको बता दें कि राहुल गांधी ने कहा है कि आरएसएस कुछ धर्मों, भाषाओं और समुदायों को अन्य की तुलना में कमतर मानता है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने वाशिंगटन के वर्जीनिया उपनगर में हर्नडॉन में भारतीय अमेरिकी समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए यह बात कही। पलटवार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि कुछ तत्व, जो नहीं चाहते कि भारत विकास करे, वह इसके विकास की राह में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन डरने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में भी ऐसी ही स्थिति थी, लेकिन धर्म की शक्ति का उपयोग करके इससे निपटा गया था। जहां तक राहुल गांधी के विस्तृत संबोधन की बात है तो आपको बता दें कि उन्होंने कहा, ‘‘सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि लड़ाई किस बारे में है। लड़ाई राजनीति के बारे में नहीं है।’’ राहुल ने पहली पंक्ति में दर्शकों के बीच बैठे एक सिख व्यक्ति से पूछा, ‘‘मेरे पगड़ीधारी भाई आपका क्या नाम है।’’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘लड़ाई इस बात की है कि क्या एक सिख को भारत में पगड़ी या कड़ा पहनने का अधिकार है या नहीं। या एक सिख के रूप में वह गुरुद्वारा जा सकते हैं या नहीं। लड़ाई इसी बात के लिए है और यह सिर्फ उनके लिए ही नहीं बल्कि सभी धर्मों के लिए है।’’ उन्होंने आरएसएस की नीतियों और भारत के संदर्भ में उसके दृष्टिकोण की आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘‘आरएसएस वस्तुत: यही कहता है कि कुछ राज्य दूसरे राज्यों से कमतर हैं। कुछ भाषाएं दूसरी भाषाओं से तुच्छ हैं। कुछ धर्म दूसरे धर्मों से कमतर हैं। कुछ समुदाय दूसरे समुदायों से हीन हैं। इसी बात की लड़ाई है।’’ उन्होंने कहा कि अंतत: ये मुद्दे लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मतदान केंद्र तक पहुंच जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘...आरएसएस की यह विचारधारा है कि तमिल, मराठी, बांग्ला, मणिपुरी, ये सभी तुच्छ भाषाएं हैं। लड़ाई इसी बात की है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन लड़ाई इस बारे में भी है कि हम किस प्रकार का भारत चाहते हैं।’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आप चाहे किसी भी क्षेत्र से हों, ‘‘आप सभी का अपना इतिहास है, आप सभी की अपनी परंपरा है, आप सभी की अपनी भाषा है और उनमें से प्रत्येक उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि कोई अन्य।’’ राहुल गांधी ने यह भी कहा कि भाजपा को भारत की ‘‘समझ’’ नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत राज्यों का एक संघ है और संविधान में यह स्पष्ट तौर पर लिखा है। ‘इंडिया’ अर्थात ‘भारत’ राज्यों का एक संघ है। इसका मतलब है कि यह भाषाओं, परंपराओं, ऐतिहासिक चीजों आदि का संघ है।’’ उन्होंने आरएसएस का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा, ‘‘वे कहते हैं कि यह (भारत) एक संघ नहीं है। ये अलग चीजें हैं। इन सबमें सिर्फ एक चीज बेहद महत्वपूर्ण है, जिसका मुख्यालय नागपुर में है।’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा की प्रणाली में एक व्यक्ति की दो पहचान नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘आप एक ही वक्त में भारत और एक ही वक्त में अमेरिका नहीं हो सकते हैं। हमारी लड़ाई इसी बात के लिए है। हम भारत में यही करने का प्रयास कर रहे हैं।’’ राहुल गांधी ने कहा, ‘‘हम कहते हैं, नफरत नहीं फैलाओ, प्यार फैलाओ। अहंकारी मत बनो, विनम्र बनो। लोगों का अपमान नहीं करो, उनका सम्मान करो। परंपराओं, धर्मों, भाषाओं और समुदायों का सम्मान करो। दूसरी ओर, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अतीत में भारत पर बाहरी आक्रमण काफी हद तक दिखाई देते थे, इसलिए लोग सतर्क रहते थे, लेकिन अब वे विभिन्न रूपों में सामने आ रहे हैं। हम आपको बता दें कि भागवत डॉ. मिलिंद पराडकर द्वारा लिखित पुस्तक तंजावरचे मराठे के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘जब ताड़का ने (रामायण में एक राक्षसी ने) आक्रमण किया, तो बहुत अराजकता फैल गई और वह (राम और लक्ष्मण द्वारा) केवल एक बाण से मारी गई, लेकिन पूतना (राक्षसी जो शिशु कृष्ण को मारने आई थी) के मामले में, वह (शिशु कृष्ण को) स्तनपान कराने के लिए मौसी के वेश में आयी थी, लेकिन चूंकि वह कृष्ण थे (उन्होंने उसे मार डाला)।’’ भागवत ने कहा, ‘‘आज की स्थिति भी वैसी ही है। हमले हो रहे हैं और वे हर तरह से विनाशकारी हैं, चाहे वह आर्थिक हो, आध्यात्मिक हो या राजनीतिक।’’ उन्होंने कहा कि कुछ तत्व भारत के विकास की राह में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं और वैश्विक मंच पर इसके उदय से भयभीत हैं, लेकिन वे सफल नहीं होंगे। उन्होंने कहा, ‘‘जिन लोगों को डर है कि अगर भारत का व्यापक पैमाने पर विकास होता है तो उनके कारोबार बंद हो जाएंगे, ऐसे तत्व देश के विकास की राह में बाधा उत्पन्न करने के लिए अपनी सारी शक्ति का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे योजनाबद्ध तरीके से हमले कर रहे हैं, चाहे वे भौतिक हों या सूक्ष्म, लेकिन डरने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में भी ऐसी ही स्थिति थी, जब भारत के उत्थान की कोई उम्मीद नहीं थी।’’ भागवत ने कहा कि भारत को परिभाषित करने वाली एक चीज है जीवनी शक्ति। उन्होंने कहा, ‘‘जीवन शक्ति हमारे राष्ट्र का आधार है और यह धर्म पर आधारित है जो हमेशा रहेगा। आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा कि धर्म सृष्टि के आरंभ में था और अंत तक इसकी (धर्म की) आवश्यकता रहेगी। साथ ही मोहन भागवत ने कहा कि धर्म का अर्थ सिर्फ पूजा-पाठ नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक अवधारणा है जिसमें सत्य, करुणा, तपश्चर्या (समर्पण) शामिल है। उन्होंने कहा कि हिंदू शब्द एक विशेषण है जो विविधताओं को स्वीकार करने का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भारत वसुधैव कुटुम्बकम के विचार को आगे बढ़ाने और एक उद्देश्य के लिए अस्तित्व में आया।