कांस्टेबल शशि की अर्थी को एसपी ने दिया कंधा , शशि चली गयी , छोड़ गई अपनी 6 साल की बच्ची और कई अनसुलझे सवाल !

कांस्टेबल शशि की अर्थी को एसपी ने दिया कंधा , शशि चली गयी , छोड़ गई अपनी 6 साल की बच्ची और कई अनसुलझे सवाल !

मेरा ट्रांसफर करवा दो थाने से पुलिस ऑफिस , मुझे बहुत दूर बयान करवाने आना पड़ता है , शरीर भी थकता है और मन भी 

ये शशि ने कहा था अपनी एक साथी कर्मचारी से कुछ ही दिनों पहले और कल दिन में वो फिर एक पीड़ित का बयान दर्ज करवाने कासिमपुर से हरदोई आयी पर वापस नही पहुंच सकी , वापसी के रास्ते मे ही शशि का अपनी सरकारी जीप के एक तालाब में पलट जाने के चलते दुःखद निधन हो गया । शशि एक मेहनतकश पुलिस कांस्टेबल थी जिसकी एक 6 साल की छोटी बच्ची है जो शायद जान भी नही पाई होगी कि उसकी मम्मी अब उसे कभी नही मिल पाएगीं ।

उत्तरप्रदेश के हरदोई जिले में संडीला- मल्लावां मार्ग पर गौसगंज के पास मंगलवार देर रात को पुलिस की जीप बेकाबू होकर सड़क किनारे तालाब में पलट गई थी । इस हादसे में जीप में सवार उप निरीक्षक व 2 पुरुष सिपाही और एक महिला सिपाही शशि गंभीर रूप से घायल हो गए थे जिन्हें स्थानीय लोगों की मदद से निजी अस्पताल ले जाया गया। वहां से दो सिपाहियों को गंभीर हालत में संडीला रेफर किया गया था । सण्डीला में महिला सिपाही शशि को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया ।

कासिमपुर थाना में तैनात उप निरीक्षक प्रणवीर सिंह 27, सिपाही शुभम कुमार 20, मनोज कुमार 24, महिला सिपाही शशि सिंह 30 मंगलवार की देर शाम गौसगंज चौकी की सरकारी जीप लेकर किसी काम से निकले थे। रात नौ बजे के करीब संडीला- मल्लावां मार्ग पर गौसगंज के पास अचानक सड़क पर आए युवक को बचाने में जीप बेकाबू होकर तालाब में पलट गई।

हादसे में चारों लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसा देख स्थानीय लोगों ने सभी घायलों को तालाब से बाहर निकाल कर निजी अस्पताल पहुंचाया। यहां से हालत गंभीर होने पर महिला सिपाही शशि सिंह व शुभम को संडीला सीएचसी रेफर कर दिया गया। जहां डॉक्टर ने शशि को मृत घोषित कर दिया।

इस हादसे में घायल सिपाहियों का लखनऊ में इलाज चल रहा है । महिला कांस्टेबल शशि की अर्थी को आज एसपी हरदोई नीरज जादौन और एएसपी नृपेंद्र कुमार ने कंधा देकर शशि को अंतिम विदाई दे दी । शशि के मृत शरीर को अधिकारियों ने सलामी दी और अपनी अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की । 

पुलिस को कोसना आसान है , बहुत आसान है । पुलिस के सिपाहियों , पुलिस के दरोगाओं पर जब बड़े साहब लोग कोई कठोर एक्शन लेते हैं तो आम लोग ताली बजाकर खुश होते हैं भले ही कोई इतना बड़ा दोष न रहा हो उनका या कोई जान पहचान तक ना रही हो । बस सुन लिया कि किसी पुलिस वाले को फिट किया गया है इतने से ही खुश हो लिए । पुलिस वालों पर काम का बोझ , घर परिवार से उनकी दूरी ये कोई नही समझना चाहता । तीज त्योहार अपने गांव घर मे ये कब मना पाते होंगे इसका पुलिस कर्मियों को स्वंय ही ध्यान नही होगा । अपनी या परिवार खानदान के लोगों की शादी बारात , हैरानी बीमारी के समय छुट्टी मांगने जाने पर क्या क्या जतन करने पड़ते ये एक पुलिस कर्मी ही समझ सकता है या साहब लोगों के दफ्तरों में बैठे पत्रकार लोग । शशि अपना तबादला पुलिस दफ्तर तो नही करा पाई पर उसकी रवानगी सदा के लिए हो गयी , छोड़ गयी अपने पीछे तमाम अनसुलझे सवाल ।

(अभिनव द्विवेदी )



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