लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने संगठन को सरकार से बड़ा बताया था. उनका ये बयान काफी दिनों तक चर्चा का विषय रहा और बीजेपी में खींचतान की शुरुआत भी हो गई थी. केशव के इस बयान को सीएम योगी पर निशाने के तौर पर देखा गया. अखिलेश भी तंज कसने लगे थे. लेकिन हाल में केशव मौर्य के सुर अचानक से बदल गए. उन्होंने योगी आदित्यनाथ को देश का नंबर 1 मुख्यमंत्री बता दिया. केशव के इस बयान को डैमेज कंट्रोल के तौर पर देखा जा रहा है. केशव अभी शांत ही हुए थे कि उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज ने सरकार बनाम संगठन को फिर से जिंदा कर दिया.
साक्षी महाराज ने सीएम आदित्यनाथ और यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के सामने कहा कि मुझे लगता है कि सत्ता में और संगठन में सम्मानजनक साझेदारी नहीं है. साक्षी महाराज ने ये बयान यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पुण्यतिथि पर आयोजित एक कार्यक्रम में दिया. बीजेपी सांसद ने कहा कि मुझे लगता है कि सत्ता और संगठन में सम्मानजनक साझेदारी नहीं है. दोनों मुखिया आगे बैठे हैं. आगे इसका ध्यान रखेंगे तो कृपा होगी.
साक्षी महाराज की गिनती बीजेपी के फायरब्रांड नेताओं में होती है.वह उन्नाव से जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं. साक्षी इससे पहले मथुरा, फर्रुखाबाद से भी चुनाव जीत चुके हैं. वह 2000 से 2006 तक राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं. साक्षी महाराज का ये बयान ऐसे समय आया है जब प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. सूबे की सीसामऊ, कटेहरी, करहल, मिल्कीपुर, कुंदरकी, फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां और खैर सीट पर चुनाव है.
चौंकाता है महाराज का बयान
केशव प्रसाद मौर्य की सीएम योगी आदित्यनाथ से कितनी बनती है, सियासत पर नजर रखने वालों को ये बात अच्छी तरह पता है. केशव के बयान से हैरानी नहीं हुई, लेकिन साक्षी का बयान चौंकाता है. हैरान इस वजह से करता है क्योंकि साक्षी महाराज और योगी आदित्यनाथ के बीच कमेस्ट्री अच्छी है. योगी लोकसभा चुनाव में साक्षी महाराज के लिए जनसभा कर चुके हैं. साक्षी महाराज भी योगी आदित्यनाथ की तुलना भगवान श्रीराम से कर चुके हैं.
केशव कहते हैं कि संगठन सरकार से बड़ा है तो साक्षी महाराज सरकार और संगठन में सम्मानजनक साझेदारी नहीं होने की बात करते हैं. दोनों नेताओं के बयान इस ओर इशारा करते हैं कहीं कुछ कमी तो जरूर है. दोनों कद्दावर नेता हैं. कहने का कुछ आधार तो होगा. समय रहते है बीजेपी को इस कमी को दूर कर लेनी चाहिए, क्योंकि चुनाव सिर पर है. 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ये योगी आदित्यनाथ के लिए बड़ा टेस्ट है. बीजेपी की हार होती है तो योगी आदित्यनाथ की साख को धक्का लगेगा. वहीं अगर जीत मिलती है तो पार्टी में उनका सम्मान पहले की तरह बना रहेगा.