New Delhi: डिफेंसिव होने से अच्छा है फेल हो जाओ, भारत के लिए 744 विकेट लेने वाले दिग्गज ने खोला राज

New Delhi: डिफेंसिव होने से अच्छा है फेल हो जाओ, भारत के लिए 744 विकेट लेने वाले दिग्गज ने खोला राज

भारतीय क्रिकेटर रविचंद्रन अश्विन जीवन या खेल में डिफेंसिव रहना पसंद नहीं करते. अश्विन का फलसफा साफ है कि वे अति सुरक्षात्मक रवैया अपनाने की बजाय फेल होना पसंद करेंगे. इस 37 साल के खिलाड़ी को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे चतुर दिमाग वाले क्रिकेटर के तौर पर जाना जाता है. टेस्ट में 516 विकेट लेने वाले रविचंद्रन अश्विन की बातों को क्रिकेट जगत में काफी तवज्जो दी जाती है.

रविचंद्रन अश्विन इस समय अपनी पुस्तक ‘आई हैव द स्ट्रीट्स: ए कुट्टी क्रिकेट स्टोरी’ की सफलता का लुत्फ उठा रहे हैं. यह किताब में 2011 तक अश्विन के जीवन का विवरण उनके दिमाग की झलक देती है.  अश्विन ने कहा, ‘मैं अपनी जिंदगी जी रहा हूं, बस यह इतना ही है. मैं ‘ए’, ‘बी’ या ‘सी’ (किसी लक्ष्य) को पूरा करने के बारे में नहीं सोच रहा हूं. मैं मौजूदा समय में रहना पसंद करता हूं. मैं आम तौर पर एक रचनात्मक व्यक्ति हूं और अगर मुझे लगता है कि मैं कुछ करना चाहता हूं, तो मैं आगे बढ़ूंगा और करूंगा. (चाहे यह) सही हो या गलत, यह कुछ ऐसा है जिसके बारे में मैं बाद में फैसला करना चाहूंगा.’

अश्विन हालांकि हमेशा इस तरह से बेखौफ नहीं थे. बचपन में उनके अंदर असुरक्षा की भावना थी लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, वह इससे आगे निकलने में सफल रहे. उन्हें एहसास हुआ कि उनका डर उन्हें पंगु बना रहा था. अश्विन ने कहा कि इससे निपटने के बाद वह कुछ हद तक अडिग हो गए और यह एक क्रिकेटर के रूप में उनके विकास में कारगर रहा. इसने उन्हें एक बच्चे के रूप में चेन्नई की सड़कों पर कैरम बॉल फेंकने से लेकर भारत के प्रमुख स्पिनर के रूप में उनका कायापलट काफी मदद की.

इस खिलाड़ी ने अपनी आलोचनाओं को गंभीरता से लिया है और ढेर सारे विकेट लेकर इसका जवाब दिया है. उन्होंने हालांकि ‘बाहरी शोर’ को अपने दिमाग में हावी नहीं होने दिया. उनके अंदर का इंजीनियर उन्हें जोखिम लेने और विफलता से निडर रहने की प्रेरणा देता है. उन्होंने कहा, ‘मैं बिल्कुल भी असुरक्षित नहीं हूं. मैं पूरी तरह से सुरक्षित रहने के बजाय जीवन में असफल होना पसंद करूंगा. यही मेरा चरित्र है. मेरे अंदर लोगों जैसी सामान्य असुरक्षा की भावना नहीं हैं.’

अश्विन इन बातों को उसी साफगोई से कहते हैं जिसके साथ वह जटिल क्रिकेट कानूनों को ‘डिकोड’ करते हैं. उनकी इन चीजों के सोशल मीडिया पर वायरल होने में देर नहीं लगती. उन्होंने कहा, ‘बचपन में अपनी असुरक्षा वाली मानसिकता को पीछे छोड़ने के बाद मेरी सोच बदल गई थी.  मैं किसी और के डर का फायदा उठाने के बारे में नहीं सोचता हूं. इसी तरह मैं क्रिकेट या जीवन को सामान्य रूप से देखता हूं.’

एक ही बार में कई चीजों को करने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 संकट के दौरान लगभग हर कोई नुकसान के डर से जूझ रहा था. वह समय था जब उन्होंने जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण को नए सिरे से बदलते हुए महसूस किया कि वह जो चाहते हैं उसके लिए उनके पास सिर्फ एक मौका है.

लॉकडाउन के दौरान अश्विन ने यूट्यूब चैनल शुरू किया. क्रिकेट, क्रिकेट कानूनों और क्रिकेटरों पर उनके स्पष्ट विचारों के अब 15 लाख से अधिक सब्सक्राइबर है. उनके अनुसार यह सब निडर होने या जोखिमों के मजेदार पक्ष को देखने की क्षमता पर निर्भर करता है, जो कि 2009 में एक कैसीनो की यात्रा ने उन्हें सिखाया था. उन्होंने कहा, ‘अगर आप यह सोचकर कैसीनो में जाते हैं कि आप कितना पैसा कमाएंगे, तो आप शायद अपने सारे पैसे गंवा देंगे. जब आप मौज-मस्ती करने के इरादे इस सोच के साथ जाते है कि आप वहां पैसे गंवाने जा रहे है तो आप किसी अमीर व्यक्ति के रूप में वापस आते है और यह सीखने का एक बड़ा अनुभव होता है.’

Leave a Reply

Required fields are marked *