भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र की एनडीए सरकार ने वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करने के लिए गुरुवार को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया। हालांकि, विपक्षी दलों ने इसका जमकर विरोध किया। बिल का विरोध करते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि यह बिल जो पेश किया जा रहा है वो बहुत सोची समझी राजनीति के लिए तैयार हो रहा है। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष महोदय, मैंने लॉबी में सुना कि आपके कुछ अधिकार भी छीने जा रहे हैं और हमें आपके लिए लड़ना होगा। मैं इस बिल का विरोध करता हूं।
अखिलेश यादव के दावों पर गृहमंत्री अमित शाह ने सख्त आपत्ति दर्ज कराई। सपा नेता को जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अखिलेश जी, क्या इस तरह की गोलमोल बात आप नहीं कर सकते..आप स्पीकर के अधिकार संरक्षक नहीं हैं। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने इसका विरोध किया। केसी वेणुगोपाल ने कहा कि ये संविधान की ओर से दिए धर्म और फंडामेंटल राइट्स पर हमला है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। उन्होंने सवाल किया कि क्या अयोध्या के मंदिर में कोई नॉन हिंदू है, क्या किसी मंदिर की कमेटी में किसी गैर हिंदू को रखा गया है।
वेणुगोपाल ने कहा कि वक्फ भी एक धार्मिक संस्था है। ये समाज को बांटने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि हम हिंदू हैं लेकिन साथ ही हम दूसरे धर्मों की आस्था का भी सम्मान करते हैं। उन्होंने दावा किया कि यह बिल महाराष्ट्र, हरियाणा के चुनावों के लिए बनाया गया है। आप नहीं समझते कि पिछली बार भारत की जनता ने आपको साफ तौर पर सबक सिखाया था। यह संघीय व्यवस्था पर हमला है।एनसीपी-एससीपी सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा में कहा कि मैं सरकार से अनुरोध करती हूं कि या तो इस विधेयक को पूरी तरह से वापस ले या इसे स्थायी समिति को भेज दे... कृपया बिना परामर्श के एजेंडा आगे न बढ़ाएं। लोकसभा में आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि आप वक्फ बोर्ड और वक्फ परिषद को पूरी तरह से कमजोर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आप व्यवस्था को खत्म कर रहे हैं।