दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक शिक्षक के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया है, जिसने नौ साल पहले ए, बी, सी, डी नहीं सुना पाने पर तीन साल के बच्चे को कथित तौर पर थप्पड़ मारा था।
अदालत ने यह देखते हुए आदेश पारित किया कि शिक्षक और बच्चे का परिवार एक मामूली मुद्दे से उत्पन्न और नौ साल से लंबित कार्यवाही को समाप्त करने का इरादा रखता है।
न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण समझौते के मद्देनजर दोषसिद्धि की संभावना बहुत कम है। इसके अलावा, याचिकाकर्ता (शिक्षक) की पूर्व में कभी इस तरह की संलिप्तता को इस अदालत के संज्ञान में नहीं लाया गया है।’’
उन्होंने कहा कि कार्यवाही जारी रखना अदालती प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के अलावा और कुछ नहीं होगा। वर्ष 2015 में बच्चे की मां की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि जब उनका बेटा स्कूल से लौटा तो उसके चेहरे पर चोट के निशान थे। शिकायत के अनुसार बच्चे ने अपनी मां को बताया कि वह ए, बी, सी, डी नहीं सुना पा रहा था, इसलिए शिक्षक ने उसे थप्पड़ मारा।