भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चार साल से जारी सीमा गतिरोध को हल करने के लिए बुधवार को ‘‘रचनात्मक’’ कूटनीतिक वार्ता की लेकिन किसी भी सफलता का कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला। यह वार्ता भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के ढांचे के तहत दिल्ली में हुई। हम आपको बता दें कि यह वार्ता विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा लाओस की राजधानी वियनतियाने में अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक के कुछ दिनों बाद हुई है। विदेश मंत्रालय ने इस बारे में कहा, ‘‘बैठक में चर्चा गहन, रचनात्मक और दूरदर्शी रही। दोनों पक्षों ने स्थापित राजनयिक और सैन्य चैनल के माध्यम से संवाद बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की।’’
बयान में कहा गया, ‘‘दोनों पक्षों ने सरकारों के बीच प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौतों, प्रोटोकॉल और सहमति के अनुसार सीमावर्ती क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर शांति और स्थिरता को संयुक्त रूप से बनाए रखने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की।’’ हालांकि, वार्ता में किसी सफलता का कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला। हम आपको बता दें कि चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा और महासागरीय विभाग के महानिदेशक हांग लियांग ने किया। विदेश मंत्रालय के अनुसार, हांग लियांग ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री से भी मुलाकात की। डब्ल्यूएमसीसी की पिछली वार्ता मार्च में बीजिंग में हुई थी।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘अस्ताना और वियनतियाने में हाल में हुई बैठकों में दोनों विदेश मंत्रियों के बीच हुई चर्चा के बाद, दोनों पक्षों ने लंबित मुद्दों का शीघ्र समाधान निकालने के उद्देश्य से एलएसी पर वर्तमान स्थिति की समीक्षा की।’’ विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) गौरांगलाल दास ने डब्ल्यूएमसीसी की 30वीं बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
विदेश मंत्री जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 25 जुलाई को आसियान से संबंधित बैठकों के दौरान वियनतियाने में वार्ता की थी। वार्ता में दोनों मंत्रियों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गतिरोध वाले शेष वाले स्थानों से यथाशीघ्र सैनिकों की पूर्ण वापसी के लिए ‘‘उद्देश्यपूर्ण और तत्परता’’ से काम करने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की थी। जयशंकर और वांग यी ने चार जुलाई को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान अस्ताना में भी द्विपक्षीय बैठक की थी। उल्लेखनीय है कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच मई 2020 से गतिरोध जारी है तथा सीमा विवाद का पूर्ण समाधान अभी तक नहीं हो पाया है। हालांकि दोनों पक्ष टकराव वाले कई स्थानों से पीछे हट गए हैं।
हम आपको यह भी बता दें कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत-चीन सीमा विवाद में किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप से इंकार करते हुए इसी सप्ताह सोमवार को कहा था कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच मुद्दे का समाधान उन्हीं दोनों को निकालना है। क्वॉड बैठक में भाग लेने गये जयशंकर ने तोक्यो में संवाददाता सम्मेलन में कई सवालों के जवाब में कहा था, “भारत और चीन के बीच वास्तविक मुद्दे को सुलझाने के लिए हम अन्य देशों की ओर नहीं देख रहे हैं।” जयशंकर ने यह भी कहा था कि चीन के साथ भारत के संबंध अच्छे नहीं हैं। उन्होंने कहा था, "हमारे बीच एक समस्या है, या मैं कहना चाहूंगा कि भारत और चीन के बीच एक मुद्दा है...मुझे लगता है कि हम दोनों को इस पर बात करनी चाहिए और समाधान निकालना चाहिए।”
उन्होंने इस महीने चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ दो बार हुई अपनी बैठक को याद करते हुए कहा था, “जाहिर है, दुनिया के अन्य देशों की भी इस मामले में रुचि होगी, क्योंकि हम दो बड़े देश हैं और हमारे संबंधों की स्थिति का बाकी दुनिया पर प्रभाव पड़ता है। लेकिन हम अपने बीच के वास्तविक मुद्दे को सुलझाने के लिए अन्य देशों की ओर नहीं देख रहे हैं।”