हमारे प्यारे महान देश भारत में बरसात का सीजन चल रहा है, बारिश के इस सीजन में केंद्र व हर राज्य की सरकार बड़े पैमाने पर पौधारोपण करने का अभियान पिछले कई वर्षों से हर वर्ष चलाती आ रही है। इस दौरान देश में हर वर्ष अरबों पौधों का रोपण करके कीर्तिमान बनाया जाता रहता है। इस वर्ष भी हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक पेड़ मॉं के नाम के साथ जीवन बचाने के लिए एक बेहद ही महत्वपूर्ण अभियान की शुरुआत की है। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पेड़ लगाओं पेड़ बचाओं अभियान 2024 की जबरदस्त शुरुआत करते हुए एक दिन में ही 36.50 करोड़ पौधे लगाकर के फिर से एक नया कीर्तिमान बनाते हुए प्रदेश व देश के आम जनमानस को एक बड़ा सकारात्मक संदेश देने का कार्य किया है। उन्होंने बड़ी संख्या में पौधारोपण करके लोगों को समय रहते पेड़ों की अहमियत समझाने के लिए बहुत ही शानदार काम किया है।
धरती के श्रृंगार की उसी कड़ी में इस वर्ष भी देश के विभिन्न हिस्सों में पौधारोपण हो रहा। पौधारोपण की इस बेहद जबरदस्त होड़ में अलग-अलग राज्यों में नित-नए रिकॉर्ड बनाते जा रहे। लेकिन शायद ही कोई विभाग यह विचार करने के लिए तैयार है कि तेज धूप, सूखी जमीन में पौधारोपण के सरकारी लक्ष्य को दशकों से पूरा तो किया जा रहा है, लेकिन शायद ही कभी इन पौधारोपण करने वाले विभागों और लोगों ने पीछे मुड़कर के यह देखा हो कि उनके द्वारा लगायें गये पौधों का धरातल पर क्या हाल है। क्योंकि अगर चौथाई पौधे भी जिंदा रहते तो अब तक तो भारत की भूमि पर पिछले कुछ दशकों में इतना पौधारोपण है चुका है कि देश में खाली जगहों पर घना वन तैयार हो चुका होता। जो दूर-दूर तक कहीं भी नज़र नहीं आता है। उसके उल्टा विकास की अंधी दौड़ में देश में घर, घेर, खेत, खलिहान, चक रोड़, छोटी बड़ी सड़कों, बंबों व नहर की पटरियों से पेड़ तेजी से गायब होते जा रहे हैं। अगर हम लोगों को अपनी आंखों से इसकी एक बानगी देखनी हो तो उत्तराखंड के हरिद्वार से निकली सैंकड़ों किलोमीटर लंबी गंगनहर के दोनों किनारों पर दशकों पुराने विशाल वृक्षों को कटते हुए देख सकते हैं।
लेकिन जिस तरह से वर्ष दर वर्ष भीषण गर्मी अपना प्रचंड रूप हम सभी को दिखाती जा रही है, हम सभी को समय रहते यह समझना होगा कि जिस प्रकार से हमारे शरीर को पोषण के लिए पर्याप्त मात्र में संतुलित भोजन की बेहद आवश्यकता होती है, ठीक उसी प्रकार से धरती की जैव विविधता व प्राकृतिक संरचना को बचाने के लिए और पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए धरा के श्रंगार के रूप में पर्याप्त मात्र में पेड़-पौधों की आवश्यकता होती है। हम सभी को समय रहते समझना होगा कि हमारे जीवन के लिए बेहद जरूरी सांसों का बंदोबस्त पेड़ ही करते हैं, पेड़ लंबे समय तक ऑक्सीजन प्रदान करके, वायु की गुणवत्ता में सुधार करके धरा का वातावरण हमारे जीवन के अनुकूल बनाने का काम करते हैं। पेड़ ही जलवायु में सुधार करके जलवायु परिवर्तन की प्रक्रिया को नियंत्रित करने का कार्य करते हैं। हर पेड़ अपने जीवन चक्र में धरा के प्रत्येक जीव-जंतु के लिए शुद्ध प्राण वायु के बंदोबस्त करने के साथ-साथ जीवन के लिए धरा पर जल संरक्षण करने में बेहद कारगर भूमिका निभाते हैं, पेड़ नदी, झरनों व विभिन्न प्रकार के जलस्रोतों के रक्षक होते हैं। बरसात व बाढ़ में मैदान व पहाड़ में मिट्टी के कटाव को रोकने का कार्य करते हैं, पेड़ मिट्टी को संरक्षित करने का कारगर प्राकृतिक माध्यम होते हैं और अपनी छांव में इस अद्भुत धरा पर नित-नए जीवन को उत्पन्न होने का अवसर देने का कार्य करते हैं। इसलिए देश के सिस्टम व हम सभी लोगों को यह समझना होगा कि मात्र पौधारोपण करके अपने कार्य को पूरा नहीं माने, बल्कि पौधों की देखभाल करके उन्हें जिंदा रखने का कार्य करें, तब ही देश में एकबार फिर से धरा का अद्भुत आलौकिक दिव्य श्रंगार होगा, लोगों को प्रचंड गर्मी, वायु प्रदूषण आदि से राहत मिलेगी और धरा पर अनमोल जैव विविधता को निरंतर पनपने का माहौल मिलेगा।