कर्नाटक सरकार ने रामनगर जिले का नाम बदलकर बेंगलुरु साउथ करने का फैसला किया है जिस पर विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा ने इस फैसले को कांग्रेस की राम विरोधी मानसिकता वाला कदम करार दिया है। साधु-संतों ने भी कांग्रेस सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए विरोध प्रदर्शन करने की बात कही है। हम आपको याद दिला दें कि पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव और इस साल हुए लोकसभा चुनावों में मुस्लिम मतदाताओं ने एकजुट होकर कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया था। जहां तक राज्य सरकार के विवादित फैसले की बात है तो आपको बता दें कि यह निर्णय मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में किया गया।
इस फैसले के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने कहा, ‘‘हमने रामनगर जिले का नाम बदलकर बेंगलुरु साउथ करने का निर्णय लिया है...यह वहां के लोगों की मांग पर किया गया है। राजस्व विभाग इस प्रक्रिया को शुरू करेगा।’’ मंत्री एचके पाटिल ने कहा, ‘‘केवल जिले का नाम बदलेगा, शेष सभी नाम (तालुकाओं के) वही रहेंगे।’’ हम आपको बता दें कि राजधानी बेंगलुरु से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित रामनगर कस्बा बेंगलुरु साउथ जिले का मुख्यालय बना रहेगा। मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘रामनगर के लोग ब्रांड बेंगलुरु के अंतर्गत आना चाहते हैं। जिले के लोगों और कुछ प्रमुख हस्तियों की राय है कि वे ब्रांड बेंगलुरु चाहते हैं।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या यह निर्णय चुनाव को ध्यान में रखकर लिया गया है, पाटिल ने कहा, ‘‘यह चुनाव को ध्यान में रखकर नहीं लिया गया, यह वहां के लोगों और जनप्रतिनिधियों की मांग पर आधारित है।’’
हम आपको बता दें कि रामनगर उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का गृह जिला है। वह जिले के कनकपुरा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और उन्होंने पिछले साल अक्टूबर में पहली बार यह प्रस्ताव रखा था। अगस्त 2007 में जब रामनगर जिला बनाया गया था तब केंद्रीय मंत्री और जनता दल-सेक्युलर (जद-एस) के नेता एचडी कुमारस्वामी जद-एस-भाजपा गठबंधन के मुख्यमंत्री थे। इस प्रस्ताव पर कटाक्ष करते हुए कुमारस्वामी ने हाल ही में कहा था कि यदि वह दोबारा मुख्यमंत्री बनते हैं तो इस योजना को पलट देंगे। पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने आरोप लगाया था कि इस प्रस्ताव के पीछे का उद्देश्य वहां रियल एस्टेट के अवसरों का दोहन करने का है। हम आपको बता दें कि रामनगर जिले में रामनगर, मगदी, कनकपुरा, चन्नापटना और हरोहल्ली तालुका शामिल हैं।
इस बीच, भाजपा ने कर्नाटक सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि इससे कांग्रेस की ‘‘राम विरोधी’’ और ‘‘हिंदू विरोधी’’ मानसिकता उजागर हुई है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने आरोप लगाया कि राज्य की कांग्रेस सरकार मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) से जुड़े घोटाले सहित कई घोटालों में फंसी हुई है, लेकिन लोगों की समस्याओं और उनके समाधान के बजाय उसने रामनगर जिले का नाम बदल दिया है। पूनावाला ने पूछा कि क्या राज्य सरकार ने अपने ‘‘रियल एस्टेट कारोबारी मित्रों’’ की मदद करने और भगवान राम के प्रति अपनी ‘‘नफरत’’ के कारण नाम बदलने का कदम उठाया है।
उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस का राम मंदिर का विरोध करने, भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाने और ‘‘हिंदू आतंकवाद’’ की बात करने का इतिहास रहा है जबकि उसके सहयोगी दल रामचरितमानस पर अपमानजनक टिप्पणियां करते रहे हैं। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस ने हाल में राष्ट्रपति भवन में ‘दरबार हॉल’ और ‘अशोक हॉल’ का नाम बदलकर क्रमश: ‘गणतंत्र मंडप’ और ‘अशोक मंडप’ करने की भी आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस ने एक कदम आगे बढ़कर रामनगर जिले का नाम बदल दिया है। दूसरी ओर संतों ने भी कर्नाटक सरकार के फैसले का विरोध करते हुए कहा है कि संत समुदाय इसके खिलाफ सड़कों पर उतरेगा।