पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भ्रम की स्थिति को दूर कर दिया है। शनिवार को दिल्ली में वह नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लेंगी। ममता ने दिल्ली रवाना होने से पहले साफ तौर पर कहा कि भेदभावपूर्ण बजट प्रस्तावों का विरोध करूंगी, जरूरत पड़ी तो नीति आयोग की बैठक से बहिर्गमन करूंगी। इसके साथ ही ममता बनर्जी दिल्ली में TMC संसदीय दल की बैठक करेंगी। इस बीच, तीन कांग्रेस शासित राज्यों - कर्नाटक के सिद्धारमैया, हिमाचल प्रदेश के सुखविंदर सिंह सुक्खू और तेलंगाना के रेवंत रेड्डी ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वे शनिवार को नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होंगे।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके नेता एम के स्टालिन, केरल के सीएम और सीपीआई (एम) नेता पिन्नाराय विजयन के साथ-साथ आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली पंजाब और दिल्ली सरकारें भी बैठक का बहिष्कार कर रही हैं। ममता के अलावा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी नीति आयोग की बैठक का हिस्सा बनेंगे। यह कही ना कही विपक्षी एकता में फूट की ओर भी इशारा करता है। भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने विपक्ष की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि वे निराश हैं। उन्होंने दावा किया, विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है। वे सिर्फ अफवाहें फैलाते हैं और उनके आधार पर कहानियां गढ़ते हैं, विभिन्न विषयों पर लोगों को गुमराह करते हैं। शर्मा ने विपक्षी नेताओं पर संसद में व्यापक बजट चर्चाओं पर आंखें मूंदने का आरोप लगाया और कहा, इसके बजाय, वे बाहर नारे लगाते हैं।
नीति आयोग की बैठक
प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष होते हैं और उनकी अध्यक्षता में हर साल इसकी गवर्निंग काउंसिल की बैठक होती है। केंद्रीय सचिवालय की ओर से जारी एक आदेश के अनुसार ही काउंसिल की स्थपना की गई है। इसमें सभी राज्यों के सीएम, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल और प्रशासक सदस्य हैं। अब तक गवर्निंग काउंसिल की आठ बैठकें हो चुकी हैं। इस बैठक में कोऑपरेटिव फेडरलिज्म, विभिन्न सेक्टरों, विभागों से जुड़े विषयों और संघीय मुद्दों पर चर्चा होती है।