New Delhi: क्या आपने भी पढ़ी भारत के चैंपियंस ट्रॉफी से बाहर होने की खबर, तो भूल जाइए, इन कारणों से इंडिया का खेलना तय

New Delhi: क्या आपने भी पढ़ी भारत के चैंपियंस ट्रॉफी से बाहर होने की खबर, तो भूल जाइए, इन कारणों से इंडिया का खेलना तय

भारत ने चैंपियंस ट्रॉफी 2025 (Champions Trophy 2025) के लिए पाकिस्तान जाने मना कर दिया है. अब इसका फैसला भारत सरकार के हाथों में होगा कि वे टीम के पाकिस्तान भेजेंगे या फिर नहीं. इंटरनेट पर कई ऐसी खबरें चल रही है कि अगर भारत चैंपियंस से खुद को बाहर रखता है और आईसीसी भारत सराकर की शर्त नहीं मानता है तो श्रीलंका की टीम टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई कर जाएगी. लेकिन हम आपको बता दें कि ऐसा नहीं होने वाला है.

भारत का टूर्नामेंट से बाहर होना आईसीसी पर निर्भर करेगा. भारत चाहता है कि वह टूर्नामेंट के सभी मैच पाकिस्तान से बाहर किसी दूसरे देश में खेले. अगर आईसीसी उनकी यह बात नहीं मानता है तो टीम इंडिया बाहर हो जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं होगा. भारत को टूर्नामेंट से बाहर करने का प्लान आईसीसी अपने दिमाग में भी नहीं ला सकता. क्योंकि इससे उन्हें ही नुकसान होगा. आज आईसीसी भले क्रिकेट की सबसे उच्च गवर्निंग बॉडी है. लेकिन बीसीसीआई रेवेन्यू के अनुसार सबसे मजबूत क्रिकेट बोर्ड है.

क्या कहता है इतिहास?

साल 1975 में वर्ल्ड कप की शुरुआत हुई थी. साल 1996 के विश्व कप में वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया ने श्रीलंका जाने से मना कर दिया था. ऐसे में श्रीलंका को 2 जीत बिना खेले ही मिल गई थी और वे सेमीफाइनल में भी पहुंच गए थे. इसपर ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज ने भी कोई आपत्ति नहीं जताई थी.

उदाहरण के अनुसार समझे

भारत ने साल 2023 के एशिया कप के लिए पाकिस्तान जाने से मना किया था. भारत ने हाइब्रिड मॉडल की मांग की थी. जिसमें पाकिस्तान के साथ श्रीलंका में एशिया कप कराने को लेकर बात कही गई थी. इसके बाद बोर्ड (एशियन क्रिकेट काउंसिल) ने भारत के सभी मैच को श्रीलंका में कराने का फैसला किया था. हालांकि, यह आईसीसी से जुड़ा मामला नहीं था.

आईसीसी को हो सकता है नुकसान

अगर भारत हाइब्रिड मॉडल के लिए कहता है तो भारत के मैच दूसरे देश में आयोजित किए जाएंगे. इसकी संभावना है कि पीसीबी की पहली प्राथमिकता यूएई होगी. इसके लिए पीसीबी को यूएई बोर्ड को कुछ पैसे देनें होंगे. आईसीसी को किसी भी हाल में भारत को खिलाना होगा क्योंकि भारत के हिस्सा लेने के बाद उनकी रेवेन्य, स्पॉन्सरशिप, एडवर्टिजमेंट में बढ़ोत्तरी आएगी. अगर आईसीसी भारत की बात नहीं मानता है तो नुकसान उन्हें ही होगा.

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