पेपर लीक में मामूली शख्स का हाथ नहीं हो सकता, विधायक बेदी राम और विपुल दुबे गैंग की गिरफ्तारी का आदेश इसी पावरफुल नेक्सस की ओर इशारा करता है. एक तरफ नीट यूजी पेपर लीक के खिलाफ कार्रवाई और कोर्ट में सुनवाई चल रही है तो वहीं साल 2006 में रेलवे भर्ती पेपर लीक केस में गैंगस्टर कोर्ट विधायक बेदी राम के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया गया है. वह बेदी राम जो खुद कभी रेलवे का टीटीई हुआ करता था. गैंगस्टर कोर्ट ने मामले में सुभासपा विधायक बेदी राम और निषाद पार्टी के विधायक विपुल दुबे समेत 19 के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया और आरोप तय करने के लिए 26 जुलाई की तारीख मुकर्रर की. दोनों की गिरफ्तारी के लिए लखनऊ पुलिस को आदेश भी जारी किया जा चुका है.
यूपी की स्पेशल टास्क फोर्स यानी STF ने रेलवे भर्ती पेपर लीक का बड़ा खुलासा किया था. एसटीएफ के मुताबिक इस केस में बेदी राम को अभियुक्त नंबर एक बताया गया था और विपुल दुबे को अभियुक्त नंबर सात. यानी पूरे मामले में बेदी राम प्रमुख आरोपी है और सरगना भी. बेदी राम और विपुल दुबे गैंग के खिलाफ पेपर लीक के 9 केस दर्ज हैं. साल 2006 में यूपी STF ने बेदीराम और उसके साथियों को सबूत के साथ गिरफ्तार भी किया था.
सुभासपा विधायक बेदी राम की कुंडली
बेदी राम मूल रूप से जौनपुर का रहने वाला है. राजनीति में आने से पहले वह रेलवे में टीटीई की नौकरी करता था. अब बेदी राम ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा यानी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर विधायक है. साल 2022 में गाजीपुर के जखनियां से विधानसभा चुनाव में एमएलए बना था. जखनिया अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट है. इस चुनाव में सुभासपा का सपा से चुनावी गठबंधन था. तब बेदी राम ने अपने करीबी प्रतिद्वंद्वी भाजपा प्रत्याशी को करीब 36 हजार वोटों से हरा दिया था. दलित बहुल इस विधानसभा क्षेत्र में बेदी राम को 44.53 फीसदी वोट मिले थे.
हालांकि बाद सुभासपा प्रमुख ने बाद में सपा से नाता तोड़कर भाजपा से गठबंधन कर लिया. लिहाजा सुभासपा का अब उत्तर प्रदेश की सत्ता में बीजेपी से गठबंधन है. ये पहली बार नहीं है कि बेदी राम को जेल जाना पड़ेगा, बल्कि इससे पहले भी वो कई बार जेल जा चुके हैं. साल 2014 से पहले उसे पेपर लीक के मामले में ही 2006, 2008 और 2009 में गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था. साल 2014 में बेदी राम के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट और एनएसए भी लगा था.
कैसे टूटा बैंक में रखा पेपर का बक्सा?
बेदी राम खुद रेलवे का टीटीई था और रेलवे भर्ती बोर्ड इलाहाबाद के पेपर में फर्जीवाड़ा कराने वाले गिरोह के सरगना के तौर पर गिरफ्तार भी हुआ था. साल 2014 में सीपीएमटी के पेपर लीक में शक की सुई बेदी राम के गिरोह पर गई थी. आगे चलकर आरआरबी पेपर लीक में जब लखनऊ से दो आरोपी गिरफ्तार हुए तो शक और गहरा गया. गिरफ्तारी के बाद उससे पूछताछ में उसकी संपत्तियों के बारे में जानकारी मिली. सीपीएमटी की परीक्षा तब रद्द कर दी गई थी जब गाजियाबाद के दो बैंक-इलाहाबाद बैंक और एसबीआई में रखे बक्से टूटे मिले थे.
ठेकेदार से कमीशन मांगने का भी आरोप
1993 में अवध यूनिवर्सिटी से बीए कर चुका है. बेदी राम के बारे में बताया जाता है उसके संबंध नौकरशाहों से लेकर राजनीति के रसूखदारों से भी रहे हैं. मार्च 2023 में एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें बेदी राम का एक ठेकेदार से कहासुनी कैद थी. आरोप था कि उसने ठेकेदार से कमीशन मांगे थे.
एमपी और हिमाचल में भी किया पेपर लीक
विधायक बेदी राम को पेपर लीक का सरगना माना जाता है. रेलवे भर्ती समेत वह कई बार पेपर लीक करवा चुका है. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक वह मध्य प्रदेश में मेडिकल ऑफिसर परीक्षा का भी पेपर करवा चुका है, इस कांड में भी उसकी तलाश थी. पुलिस सूत्रों का कहना है कि पेपर लीक करवा के उसने अकूत धन अर्जित कर रखा है, जिसका कोई हिसाब नहीं है. मध्य प्रदेश के अलावा बेदी राम पर हिमाचल प्रदेश में भी पेपर लीक करवाने का आरोप है.
‘मुझे फंसाया गया’ बेदी राम ने दी सफाई
पूरे मामले में राजनीति भी तेज हो गई है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि पेपर लीक तो एनडीए के लोग ही करते हैं. जबकि बेदी राम ने खुद को बेकसूर बताया है और कहा कि एसटीएफ ने उसे फसाया है. बेदी राम का आरोप है कि राजनीति के तहत उनका नाम केस में डाला गया है. बेदी राम ने ये भी दावा किया कि उन्होंने ओमप्रकाश राजभर को पूरे मामले की सचाई बता दी है.