एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने पेपर लीक और भर्ती घोटाले से जुड़े एक मामले में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के विधायक बेदी राम और निषाद पार्टी के विधायक विपुल दुबे सहित 18 लोगों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट का आदेश दिया है। बेदी राम गाज़ीपुर के जखनिया निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि विपुल दुबे भदोही के ज्ञानपुर से विधायक हैं। विशेष न्यायाधीश पुष्कर उपाध्याय ने गैंगस्टर एक्ट के तहत 2006 के एक मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया। साथ ही कोर्ट ने इंस्पेक्टर कृष्णा नगर को 26 जुलाई को सभी आरोपियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने पाया कि रेलवे ग्रुप-डी परीक्षा का प्रश्न पत्र 25 फरवरी, 2006 को लीक हो गया था। एसटीएफ को भर्ती प्रक्रिया में शामिल कई उम्मीदवारों के मूल दस्तावेजों के साथ-साथ कई अन्य दस्तावेज भी मिले। सभी संदिग्धों के खिलाफ कृष्णा नगर थाने में गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। इससे पहले कोर्ट ने इस मामले में आरोपी बेदी राम, दीनदयाल, शिव बहादुर सिंह, संजय श्रीवास्तव और अवधेश सिंह की हाजिरी माफी याचिका खारिज कर बड़ा झटका दिया था. इसके बाद, अदालत ने मामले में पहले से अनुपस्थित संदिग्धों के साथ-साथ इन सभी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया।
केंद्र ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट-यूजी 2024’ में न तो इस बात के संकेत मिले हैं कि ‘‘बड़े पैमाने पर कदाचार’’ हुआ और न ही ऐसे संकेत हैं कि स्थानीय उम्मीदवारों के किसी समूह को लाभ पहुंचा हो। नीट-यूजी 2024 में कुल 67 छात्रों ने 720 अंक प्राप्त किए, जो राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) के इतिहास में अभूतपूर्व है। इस सूची में हरियाणा के एक केंद्र के छह छात्र शामिल हैं, जहां परीक्षा में अनियमितताओं को लेकर संदेह उत्पन्न हुआ। यह आरोप लगाया गया है कि कृपांक के चलते 67 छात्रों को शीर्ष रैंक प्राप्त करने में मदद मिली।