उत्तर प्रदेश सरकार की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने 2 जुलाई को हाथरस में हुई भगदड़ के लिए ‘सत्संग’ आयोजकों को दोषी ठहराया, जिसमें 121 लोगों की मौत हो गई थी. हालांकि रिपोर्ट में भोले बाबा यानी सूरजपाल जाटव का नाम शामिल नहीं है. इस बीच एसआईटी की रिपोर्ट पर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने सवाल खड़े कर दिए हैं और उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित बताया है. साथ ही साथ कहा है बाबा की भूमिका को लेकर सरकार की चुप्पी से चिंता का कारण है.
बसपा सुप्रीमो ने बुधवार को ट्वीट करते हुए लिखा कि यूपी के जिला हाथरस में सत्संग भगदड़ कांड में हुई 121 निर्दोष महिलाओं व बच्चों की दर्दनाक मौत सरकारी लापरवाही का जीता-जागता प्रमाण है, लेकिन एसआईटी की ओर से सरकार को पेश रिपोर्ट घटना की गंभीरता के हिसाब से नहीं होकर राजनीति से प्रेरित ज्यादा लगती है, यह अति-दुखद है.
उन्होंने कहा कि इस अति-जानलेवा घटना के मुख्य आयोजक भोले बाबा की भूमिका के संबंध में एसआईटी की खामोशी भी लोगों में चिंताओं का कारण है. साथ ही, उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के बजाय उसे क्लीनचिट देने का प्रयास खासा चर्चा का विषय है. सरकार जरूर ध्यान दे ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों.
एसआईटी ने तीन बार किया था घटनास्थल का दौरा
दरअसल, हाथरस में हुई भगदड़ के कुछ ही दिनों बाद गठित एसआईटी ने 2, 3 और 5 जुलाई को घटनास्थल का दौरा किया था और उसने बारीकी से जांच की. जांच के निष्कर्षों के आधार पर यूपी सरकार ने बड़ा एक्शन लिया और स्थानीय सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम), एक सर्किल अधिकारी और चार अन्य को निलंबित कर दिया.
एसआईटी ने अपनी जांच में आरोप लगाया है कि सत्संग आयोजकों ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उचित व्यवस्था नहीं की. आयोजकों ने तथ्यों को छिपाकर कार्यक्रम की इजाजत हासिल करने में कामयाबी पाई. जांच में दावा किया गया है कि धार्मिक कार्यक्रम के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा अनुमति की शर्तें नहीं बताई गई थीं. एसआईटी ने इस भगदड़ के पीछे किसी बड़ी साजिश से इनकार नहीं किया और मामले की गहन जांच की जरूरत बताई है. सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के वकील ने दावा किया है कि अज्ञात लोगों द्वारा किसी जहरीले पदार्थ का छिड़काव किए जाने के कारण भगदड़ मची.
सत्संग की बिना जांच किए दी गई इजाजत
जांच पैनल का कहना है स्थानीय एसडीएम, सर्किल अधिकारी, तहसीलदार (राजस्व अधिकारी), इंस्पेक्टर और चौकी प्रभारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में लापरवाही के दोषी हैं. एसआईटी के अनुसार, सिकंदराऊ के एसडीएम ने कथित तौर पर आयोजन स्थल का निरीक्षण किए बिना ही सत्संग की अनुमति दे दी और वरिष्ठ अधिकारियों को भी सूचित नहीं किया. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि आयोजन समिति ने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया और स्थानीय पुलिस को आयोजन स्थल का निरीक्षण करने से रोकने का की कोशिश की. रिपोर्ट में कहा गया कि भोले बाबा को बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के भीड़ से मिलने की अनुमति दी गई. कोई बैरिकेडिंग या मार्ग की व्यवस्था नहीं की गई थी. जब दुर्घटना हुई, तो आयोजन समिति के सदस्य मौके से भाग गए.