भारत की टीम ने कमाल का प्रदर्शन किया है। टी−20 विश्व कप में 17 साल का सूखा खत्म हुआ। क्रिकेट के इस छोटे प्रारूप में हम अब विश्व चैम्पियन हैं। पूरी टीम एकजुट होकर खेली और देश को जश्न मनाने का मौका दे दिया। 29 जून की रात सात समुंदर पार बारबाडोस में हमारी टीम ने इतिहास रचा और इधर भारत के शहरों में दिवाली मन गई। कितना उत्साह और उल्लास था, देशवासियों ने यह सब अपने टीवी के पर्दे पर अवश्य देखा होगा। खास बात यह कि पूरे टूर्नामेंट में टीम इंडिया ने अजेय रहते हुए विश्व कप अपने नाम कर लिया। इस दौरान हमारे खिलाडि़यों ने पाकिस्तान, बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड का मानमर्दन किया। और जब फाइनल में हमारे सामने दक्षिण अफ्रीका की टीम थी तो उसके जबड़े से हारता हुआ मैच छीन लिया। सच में 15वें ओवर तक जो स्थित थिी उसके अनुसार मैच पर दक्षिण अफ्रीका की मजबूत पकड़ बन चुकी थी। मगर, किस्मत उस दिन भारत के साथ थी। लाखों करोड़ों खेल प्रेमियों की दुआएं टीम इंडिया के साथ थी। लिहाजा 16वें ओवर में मैच ऐसा पलटा कि भारत की झोली में आ गिरा। आखिरी ओवर में सूर्य कुमार द्वारा सीमा रेखा पर लपका गया कैच तो कोई भूल नहीं पाएगा। यदि मिलर का वह कैच नहीं पकड़ा गया होता तो भारत का जीतना मुश्किल था। लेकिन कहते हैं न कि किस्मत बहादुरों का साथ देती है तो उस दिन ऐसा ही हुआ। हम सबको अपनी टीम पर गर्व है। यह जीत लंबे अर्से बाद हासिल हुई है। आईसीसी का कोई टूर्नामेंट भारत ने 2013 में जीता था। तब चैम्पियंस ट्राफी में हमें जीत मिली थी।
इस शानदार विजय के साथ ही देश के तीन प्रमुख खिलाडि़यों ने टी−20 से संन्यास का ऐलान कर दिया है। सबसे पहले विराट कोहली, उसके बाद कप्तान रोहित शर्मा और अब रवींद्र जडेजा ने इस फार्मेट से खुद को अलग कर लिया है। यह निर्णय बहुत ही सराहनीय है। ये तीनों 35 से 40 साल के उम्र के बीच में हैं। अतरू संन्यास लेने के लिए यही उचित समय भी है। युवा खिलाड़ी बाहर बैठ कर मौके का इंतजार कर रहे हैं। आप देखिए कि यशस्वी जायसवाल को टीम में चुना गया था लेकिन कोई मैच नहीं खेल पाए। लेग स्पिनर यजुवेंद्र चहल पिछले विश्व कप 2022 और इस विश्व कप में टीम के साथ थे लेकिन अंतिम एकादश में चयन नहीं हो सका। यही हाल विकेटकीपर संजू सैमसन का रहा। वह बिना कोई मैच खेले टीम के साथ वापस आएंगे। इसलिए इन तीनों सीनियर खिलाडि़यों ने जो निर्णय किया है वह देशहित में है। इसका स्वागत किया जाना चाहिए। फिर विराट कोहली ने तो कहा भी है कि मैं युवाओं को मौका देने के लिए ही टी−20 से संन्यास ले रहा हूं। कोहली पूरे विश्व कप में रन नहीं बना सके लेकिन फाइनल मुकाबले में उन्होंने 76 रनों की पारी खेल कर अपना सम्मान बचा लिया। उनसे पारी का आगाज कराने का प्रयोग सफल नहीं रहा। आईपीएल में विराट ने बेंगलुरू टीम से खेलते हुए सलामी बल्लेबाज की भूमिका निभाई थी और कामयाब भी रहे थे। पर, विश्व कप में वह विफल रहे। दो बार तो शून्य पर आउट हुए। खैर, अब वनडे और टेस्ट मैच में वह खेलते दिखेंगे। उन्हें सचिन तेंदुलकर के 100 शतकों का रिकॉर्ड भी तोड़ना है। इसकी उम्मीद हम सभी को है।
रोहित शर्मा ने 2007 के टी−20 विश्व कप से अपने कॅरियर का आगाज किया था। वह इस प्रारूप का पहला विश्व कप था जिसे महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारत ने जीता था। उसके बाद से भारत विजय के लिए तरस रहा था। आखिर 17 साल बाद देशवासियों की मुराद 2024 में पूरी हुई। हिटमैन कहे जाने वाले रोहित सभी विश्व कप में खेले और संयोग देखिए कि अपनी कप्तानी में उन्होंने भारत को खिताबी जीत दिला दी। टी−20 से संन्यास के बाद उनका ध्यान निश्चित रूप से वनडे और टेस्ट मैच पर रहेगा।
विश्व कप में स्पिनर रवींद्र जडेजा का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। वह केवल एक विकेट ले पाए। उन्हें बल्लेबाजी और गेंदबाजी में ज्यादा मौके भी नहीं मिले। बाएं हाथ के बल्लेबाज होने के कारण उन्हें अंतिम एकादश में जगह मिलती रही लेकिन चार पारियों में वह केवल 35 रन बना सके। इसलिए टी−20 से संन्यास का उनका निर्णय भी सही है।
सच कहें तो इस विश्व कप में हमारी गेंदबाजी बहुत धारदार रही है। इसी के दम पर भारत ने विपक्षी टीमों को आसानी से हरा दिया। पाकिस्तान के खिलाफ 119 रन बनाने के बावजूद यदि हम जीते तो उसमें गेंदबाजों का योगदान ही खास रहा। जसप्रीत बुमराह ने पूरे विश्व कप में 15 विकेट लिये। उन्हें टूर्नामेंट का श्रेष्ठ खिलाड़ी चुना गया। युवा अर्शदीप सिंह भी कसौटी पर खरे उतरे। उसने कुल 17 विकेट चटकाए। आलराउंडर हार्दिक पांड्या को लेकर आईपीएल में खूब नकारात्मक बातें हुईं। पर, उसने विश्व विजेता बनाने में अहम भूमिका निभाई। स्पिनर कुलदीप यादव और अक्षर पटेल ने भी अपनी उपयोगिता साबित की। केवल फाइनल में ये दोनों पिट गए। इसके अलावा हर मैच में इनका दबदबा रहा।
इस विश्व कप की एक खास बात अफगानिस्तान के साथ जुड़ी है। वह पहली बार किसी बड़ी प्रतियोगिता के सेमीफाइनल में पहुंचने वाली टीम रही। अफगान खिलाडि़यों ने न्यूजीलैंड, श्रीलंका और सुपर−8 में ऑस्ट्रेलिया और बांग्लादेश को हराकर बड़ा उलटफेर किया। एक उलटफेर अमेरिका की टीम ने पाकिस्तान को हराकर किया। इसलिए यह विश्व कप इन बातों के लिए भी याद रखा जाएगा कि न्यूजीलैंड जैसी टीम पहले ही चरण में बाहर हो गई।