देश के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भुवनेश्वर की उत्कल यूनिवर्सिटी से एंथ्रोपॉलिजी में एमके करके आए हैं। देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जेएनयू से इकोनॉमिक्स में एमए और एमफिल की डिग्री धारी हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बीएससी इंजीनियरिंग पास हैं। उत्तर प्रदेश के उच्च शित्रा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय आगरा यूनिवर्सिटी से एमए और एलएलबी उत्तीर्ण हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोलकाता से बीएड और लॉ की डिग्री धारण की हैं। देश और प्रदेश की सरकारों में बड़े और अहम मंत्रालय संभाल रहे लोगों का शिक्षित होना अच्छी बात है। लेकिन जरा सोचिए की जेएनयू में उस साल एमए इकोनॉमिक्स का पेपर लीक हो गया होता तो हमें निर्मला सीतारमण जैसी वित्त मंत्री कैसे मिलती। अगर बीएड की परीक्षा में नकल हो गई होती तो कैसे मिलती ममता बनर्जी जैसी नेता। उत्कल यूनिवर्सिटी में अगर उस साल शिक्षा का अनुशासन भंग हो गया होता तो हमें धर्मेंद्र प्रधान जैसे मंत्री कैसे मिलते? नई नई गठबंधन सरकार बनी ही थी। सहयोगियों को साधने और साथ लेकर चलने को तराजू पर तौला ही जा रहा था कि एक बड़ी मुश्कल आन पड़ी। रेलवे मंत्रालय अपने हिस्से की आलोचना झेल ही रहा था कि दूसरे मंत्रालय का नंबर आ गया। कहा जाता है कि शिक्षा के क्षेत्र में राजनीति नहीं होनी चाहिए। लेकिन ये और बात है कि शिक्षा का स्वरूप और उसका क्रियान्वयन राजनीति ही तय करती है।
क्या है मामला
18 जून को हुई नेट जेआरएफ की परीक्षा इम्तिहान के 24 घंटे के बाद ही रद्द कर दी गई। उसका पेपर लीक हो गया और 9 लाख छात्र इससे प्रभावित हुई। देशभर के मेडिकल कॉलेजों में नीट की परीक्षा ली जाती है। 4 जून को नीट का रिजल्ट आने के बाद से काफी बवाल हो रहा है। 1500 से ज्यादा छात्रों के रिटेस्ट के आदेश दिए गए। लेकिन इसके बाद मामला बड़ा हो गया और पेपर लीक व सेंटर पर नकल से जुड़े आरोप और शुरुआती सबूत सामने आने लगे। 24 लाख छात्रों ने ये परीक्षा दी थी। दोनों परीक्षाएं नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी एनटीए ने आयोजित करवाई थी। ये शिक्षा मंत्रालय के अधीन काम करती है। देश में सेंट्रलाइज एग्जाम कराने के लिए ही ये एजेंसी 2017 में बनाई गई थी।
ईओयू ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा
नीट पेपर को लेकर चल रहे विवाद के बीच 22 जून को बिहार सरकार ने केंद्र को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इकोनॉमिक ऑफेंस यूनिट (ईओयू) ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जांच में साफ तौर पर पेपर लीक का संकेत मिला है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि जांच के दौरान ईओयू को कुछ जले हुए पेपर मिले हैं, जिनमें से 68 प्रश्न प्रश्न पत्र से मैच हुए हैं। इसी आधार पर ईओयू ने अपनी रिपोर्ट में पेपर लीक के संकेत वाली बात अपनी रिपोर्ट में कही है। जले हुए टुकड़ों का ओरिजनल पेपर से मिलान करने के लिए फॉरेंसिक लैब की भी मदद ली गई थी। ओरिजनल पेपर से मैच हुए 68 प्रश्नों के अलावा जले हुए कागजों में इन प्रश्नों का सिरीयल नंबर भी सेम निकला है। जले कागज उस घर से मिले थे जहां गिरफ्तार किए गए अभ्यार्थी ठहरे थे। उन कागजों में सेंटर कोड है वो झारखंड के हजारीबाग के एक स्कूल का है। टीम जांच के लिए स्कूल में भी पहुंची। उन लिफाफों की जांच हुई जिनमें पैक होकर प्रश्न पत्र आए थे। देखा गया कि एक लिफाफा गलत साइड से काटा गया था। आम तौर पर ये लिफाफे हाइलाइट किए गए एक ही साइड से काटकर या फाड़कर खोले जाते हैं। इसके लिए परीक्षा कर्मचारियों को ट्रेन भी किया जाता है। हालांकि स्कूल के प्रिसिंपल का दावा है कि उन्हें मिला पैकेट छात्रों के सामने की खोला गया था। ईआयू की इसी रिपोर्ट के आधार पर शिक्षा मंत्रालय ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी है।
कैसे हुई मामले में सीबीआई की एंट्री
23 जून को सीबीआई ने जांच अपने हाथ में लेने के बाद एफआईआर दर्ज की और राज्यों में टीमें भेजीं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के एक संदर्भ के बाद, सीबीआई ने NEET-UG में कथित अनियमितताओं के संबंध में आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत एफआईआर दर्ज की। पेपर लीक मामले में केंद्रीय एजेंसी सीबीआई की एंट्रो हो चुकी है। खुद सीबीआई ने इस बात की जानकारी देते हुए एक नोट जारी किया है। इसमें लिखा है कि शिक्षा मंत्रालय के निदेशक से हमें लिखित शिकायत मिली है। जिस पर संज्ञान लेते हुए सीबीआई ने क्रिमिनल केस दर्ज कर लिया है। एफआईआर में लिखा गया है कि 5 मई 2024 को एनटीए ने 571 शहरों के 4750 सेंटर पर नीट-यूजी 2024 की परीक्षा करवाई। जिसमें 23 लाख से ज्यादा बच्चों ने पेपर दिया। कुछ शहरों में पेपर को लेकर गड़बड़ियां सामने आई हैं। इसलिए शिक्षा मंत्रालय ने सीबीआई से जांच करने का अनुरोध किया है। इस मामले में सरकारी कर्मचारियों की भी जांच की जाएगी। सीबीआई की स्पेशल टीमों को जांच के लिए पटना और गोधरा भेजा गया है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) ने छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की है और बिहार में 17 केंद्रों को परीक्षा से बाहर कर दिया है। एजेंसी ने पहले परीक्षा में अनुचित साधन अपनाने के लिए 63 उम्मीदवारों को परीक्षा से बाहर कर दिया था। गुजरात के गोधरा से 30 अतिरिक्त उम्मीदवारों को भी वंचित कर दिया गया।
पेपर लीक पर सियासत हुई तेज
एनईईटी-यूजी परीक्षा लीक भी एक राजनीतिक विवाद बन गया है और विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार पर हमला कर रहा है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने रविवार को शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के इस्तीफे की मांग की। कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी कहा कि इस मुद्दे पर मोदी सरकार से पूछताछ की जानी चाहिए, जबकि प्रियंका गांधी वाड्रा ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने पूरी शिक्षा प्रणाली को माफिया और भ्रष्ट को सौंप दिया है। हालाँकि, भाजपा ने दावा किया कि सरकार ने NEET मुद्दे को सीधे तौर पर लिया है। इस बीच, परीक्षा सुधारों का सुझाव देने और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी के कामकाज की समीक्षा के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का उच्च स्तरीय पैनल आज बैठक करेगा।
पांचों को गिरफ्तार किया गया
22 जून को बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने देवीपुर थाना क्षेत्र के एम्स-देवघर के पास एक घर से पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया. देवघर पुलिस द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, गिरफ्तार किए गए पांचों लोगों की पहचान परमजीत सिंह उर्फ बिट्टू, चिंटू उर्फ बलदेव कुमार, काजू उर्फ प्रशांत कुमार, अजीत कुमार, राजीव कुमार उर्फ कारू, बिहार के नालंदा जिले के सभी निवासी और पंकू कुमार के रूप में की गई है। एसडीपीओ (देवघर सदर) ऋत्विक श्रीवास्तव ने कहा कि बिहार पुलिस ने हमें एक सूचना दी। हमारी पहचान पर उन्हें हिरासत में ले लिया गया. सभी संदिग्धों को बिहार ले जाया गया है। पांचों में से बलदेव कुमार, जिसे चिंटू भी मानता है, संजीव मुखिया का करीबी सहयोगी है, जिसे एक अंतरराज्यीय गिरोह का सरगना माना जाता है। संयोग से मुखिया भी फिलहाल फरार है. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि NEET-UG परीक्षा पेपर घोटाला सामने आने के बाद मुखिया शायद नेपाल भाग गया है। अधिकारियों के अनुसार, कुमार को परीक्षा से एक दिन पहले अपने मोबाइल पर हल किए गए प्रश्न पत्र का पीडीएफ संस्करण प्राप्त हुआ - परीक्षा 5 मई को आयोजित की गई थी। इसके बाद उन्होंने और उनके साथियों ने नंदलाल छपरा में लर्न बॉयज़ हॉस्टल और प्ले स्कूल में एक वाई-फाई प्रिंटर का इस्तेमाल किया और इच्छुक उम्मीदवारों को प्रतियां वितरित कीं।