New Delhi: गधों के भरोसे चल रही है पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था

New Delhi: गधों के भरोसे चल रही है पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था

भारत नित नई टेक्नोलॉजी और अन्वेषण के जरिए अर्थव्यवस्था की तरक्की के परचम विश्व में फहराए हुए है, वहीं दुश्मनी का भाव रखने वाले पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गधों के भरोसे टिकी हुई है। भारत को परमाणु बम की धमकी देने वाली पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और रोजगार गधों के भरोसे चल रही है। गधों की तादाद पाकिस्तान में बढ़ रही है। यह बढ़ती हुई तादाद पाकिस्तान के रोजगार के लिए प्राणवायु बनी हुई है। भारत जहां अपनी अर्थव्यवस्था में लगातार छलांग लगा हुए विश्व की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, वहीं पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है।   

पाकिस्तान आतंकी पालने, गरीबी, कंगाली के लिए विश्व में बदनाम है। गरीबी की हालत यह है कि पाकिस्तान को कर्ज चुकाने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है। इस हालत में गधे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का सहारा बने हुए हैं। पाकिस्तान में गधा पालन प्रमुख मवेशी पालन बना हुआ है। इसी वजह से पाकिस्तान में हर साल गधों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। पाकिस्तान में हाल ही में साल 2023-24 का इकोनॉमिक सर्वे  पेश किया गया। सर्वे में कई आंकड़े सामने आए, लेकिन चुंबक की तरह सबसे ज्यादा ध्यान खींचा गधों की आबादी के आंकड़ों ने। पाकिस्तान में गधों की संख्या लगभग 1 लाख बढ़ी है। कुल गधों की संख्या अब 59 लाख के आस-पास बताई जा रही है।

सर्वे में यह भी बताया गया कि पाकिस्तान में गधों की संख्या में तो इजाफा हुआ है, लेकिन जीडीपीके निर्धारित लक्ष्य पीछे रह गए हैं। दुनिया में गधों की तीसरी सबसे बड़ी आबादी पाकिस्तान में है, जो इन जानवरों को चीन को निर्यात करके पैसा कमाने की योजना बना रहा है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने 11 जून को 2023-24 का इकोनॉमिक सर्वे पेश किया। सर्वे के अनुसार पिछले कुछ वर्षों के दौरान भार ढोने वाले वाले गधों की आबादी देश में लगातार बढ़ी है। साल 2019-2020 में पाकिस्तान में गधों की संख्या 55 लाख के आसपास थी। 2020-21 में ये बढ़कर 56 लाख हो गई। 2021-22 में देश में 57 लाख गधे थे। वहीं 2022-23 में इनकी संख्या 58 लाख थी। पशुपालन पाकिस्तान की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार है। देश में 80 लाख से अधिक ग्रामीण परिवार पशुधन उत्पादन का काम करते हैं। गधों के आंकड़ों से इतर इकोनॉमिक सर्वे में पाकिस्तान की जीडीपी के आंकड़े भी बताए गए। रिपोर्ट के अनुसार सर्वे से पता चला कि पाकिस्तान 2023-24 वित्तीय वर्ष के अपने ग्रोथ रेट के लक्ष्य से पिछड़ गया। देश ने जीडीपी में 2.38 प्रतिशत की ग्रोथ हासिल की है, जबकि टारगेट 3.5 प्रतिशत ग्रोथ का था। 

रिपोर्ट में बताया गया कि ऐसा इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर की खराब प्रदर्शन के कारण हुआ है। इकोनॉमिक सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान में कृषि के क्षेत्र में सबसे ज्यादा ग्रोथ देखने को मिली है जिसने 6.25 प्रतिशत की वृद्धि की है, जबकि लक्ष्य 3.5 प्रतिशत का रखा गया था। औद्योगिक क्षेत्र में ग्रोथ 1.21 प्रतिशत रही जबकि सर्विस सेक्टर ने 1.21 प्रतिशत की ग्रोथ हासिल की। कृषि क्षेत्र में मजबूत ग्रोथ देखने को मिली, जो कि पिछले 19 सालों में सबसे अधिक है। देश में राजकोषीय घाटा 3.7 प्रतिशत दर्ज किया गया। ये पिछले साल के बराबर रहा। वहीं व्यापार घाटा 4.2 प्रतिशत बना रहा। प्रति व्यक्ति आय की बात करें तो पिछले वर्ष के 1 लाख 24 हजार रुपये की तुलना में ये लगभग 10 हजार रुपये बढ़ी है। ये अब 1 लाख 34 हजार रुपये हो गई है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार घाटे में चल रहे सरकारी उद्यमों को अपने नियंत्रण से बाहर करने के लिए प्रतिबद्ध है। 

सरकार राष्ट्रीय विमान सेवा, पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस का निजीकरण करने का प्लान बना रही है। पीईएस में जारी आंकड़ों से पता चलता है कि बोझ ढोने वाले जानवरों में घोड़े और खच्चरों की संख्या में पिछले पांच वर्षों में कोई खास बदलाव नहीं आया है, तथा यह क्रमश: चार लाख और दो लाख है। गधे कई पाकिस्तानियों की आखिरी उम्मीद हैं, खास करके उन लोगों के लिए जो ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। ग्रामीण इलाकों में अर्थव्यवस्था इन जानवरों के साथ गहरे से जुड़ी हुई है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब द्वारा जारी किए गए इस सर्वेक्षण में अन्य पशुधन का भी ब्यौरा दिया गया है। देश में ऊंटों की संख्या जो पिछले चार वर्षों से स्थिर थी, अब बढ़ गई है। इनकी संख्या पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान 11 लाख से बढ़कर 12 लाख हो गई है। पशुपालन पाकिस्तान की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। 80 लाख से अधिक ग्रामीण परिवार पशुधन उत्पादन में लगे हुए हैं।   

पाकिस्तान के सीनेटर अब्दुल कादिर का कहना है कि चीनी राजदूत ने पाकिस्तान से कई बार मांस का निर्यात करने को कहा है। अपने सुझाव में सीनेटर मिर्जा अफ्रीदी का कहना है कि चूंकी अफगानिस्तान में जानवर काफी सस्ते हैं इसलिए पाकिस्तान वहां से इनका आयात कर सकता है और फिर इन जानवरों के मांस को चीन को निर्यात कर सकता है। हालांकि वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कमिटी को जानकारी दी कि जानवरों में लंपी त्वचा रोग के फैलने की वजह से अफगानिस्तान से उनके आयात पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके साथ ही अगर जानवरों के निर्यात की बात करें, तो स्टैंडिंग कमिटी ने पांच निर्यात सेक्टर से बिजली सब्सिडी हटाए जाने को लेकर चिंता व्यक्त की है। पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों ने सीनेट स्टैंडिंग कमिटी को बताया है कि चीन पाकिस्तान से गधों का आयात करने में दिलचस्पी दिखा रहा है। चीन मांस के निर्यात के लिए एक बड़ा बाजार है। स्टैंडिंग कमिटी के एक सदस्य का कहना है कि चीन ने पाकिस्तान से गधों के साथ-साथ कुत्ते भी निर्यात करने को कहा है। पाकिस्तानी गधों की सबसे ज्यादा मांग चीन में है। चीन में गधे की खाल की मांग बहुत ज्यादा है.। गधों की खाल से बने उत्पादों की चीन में काफी खपत है। गधों की खाल में जिलेटिन प्रोटीन की ज्यादा मात्रा होती है। 

जिलेटिन प्रोटीन का शक्तिवर्धक दवाइयों में इस्तेमाल होता है। वर्ष 2019 में गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, माना जाता है कि जिलेटिन में इम्युनिटी को बढ़ावा देने वाले गुण होते हैं। पाकिस्तान हर साल चीन को करीब 5 लाख गधे बेचता है और एक गधे की कीमत 15-20 हजार रूपये होती है। पाकिस्तान सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था में मदद करने के लिए गधों का निर्यात करने के इरादे से पंजाब प्रांत के ओकारा जिले में 3,000 एकड़ से अधिक का एक फार्म भी स्थापित किया था। गधों की सबसे ज्यादा आबादी चीन में है। जिनपिंग के देश चीन में 90 लाख से ज्यादा गधे हैं। चीन पहले अपने गधों का स्टॉक नाइजर और बुर्किना फासो से आयात करता था। लेकिन इन दोनों देशों पर प्रतिबंध लगने के बाद चीन पाकिस्तान से गंधे मंगा रहा है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इस दौर में गधों पर टिकी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था यह साबित करती है कि जब तक पाकिस्तान आंतकवाद को संरक्षण देने की नीति में बदलाव करके देश के विकास पर ध्यान नहीं देगा, तब तक भुखमरी और कंगाली का शिकार बना रहेगा। 

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