साइबर बुलिंग के मामले आजकल तेजी से बढ़ रहे हैं और इसका शिकार बच्चे भी हो रहे हैं. गृह मंत्रालय की तरफ से हैंडल हो रहे साइबर दोस्त के प्लेटफॉर्म पर साइबर बुलिंग को लेकर आगाह किया गया है. बच्चों को साइबर बुलिंग से बचाना जरूरी है. इससे पहले जरूरी है कि आप ये जान लें कि साइबर बुलिंग आखिर है क्या और बच्चे किस तरह से इसका शिकार हो रहे हैं? आइए जानते हैं इसके बारे में…
साइबर बुलिंग एक गंभीर मुद्दा है जो बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है. बच्चों को ऑनलाइन सेफ्टी के बारे में बताना, बातचीत करते रहना और सही समय पर उचित कदम उठाना जरूरी है. जागरूकता और सपोर्ट के साथ साइबर बुलिंग से बचा जा सकता है और बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ रखा जा सकता है.
साइबर बुलिंग क्या है?
साइबर बुलिंग एक तरह की ऑनलाइन धमकी या उत्पीड़न है जो इंटरनेट, सोशल मीडिया, मोबाइल फोन और दूसरे डिजिटल सोर्स का इस्तेमाल करके की जाती है. इसमें ऑनलाइन धमकियां, अपमानजनक टिप्पणियां, फर्जी प्रोफाइल, फेक न्यूज शामिल हो सकते हैं.
ऑनलाइन धमकियां: मैसेज या पोस्ट के माध्यम से धमकाना.
अपमानजनक टिप्पणियां: सोशल मीडिया पर या मैसेजिंग प्लेटफार्म पर अभद्र भाषा या गालियों का इस्तेमाल करना.
फर्जी प्रोफाइल: किसी का नाम और पहचान चुराकर फर्जी प्रोफाइल बनाना और उसे बदनाम करना.
गलत जानकारी फैलाना: किसी व्यक्ति के बारे में झूठी जानकारी फैलाना.
साइबर बुलिंग का असर
मेंटल हेल्थ: डिप्रेशन, चिंता और सेल्फ कॉन्फिडेंस की कमी हो सकती है.
फिजिकल हेल्थ: साइबर बुलिंग के शिकार बच्चे नींद न आना, भूख न लगना और दूसरी शारीरिक समस्याओं का अनुभव कर सकते हैं.
शैक्षिक प्रदर्शन/ एजुकेशनल परफॉर्मेंस: स्कूल में परफॉर्मेंस में कमी आ सकती है.
सोशल डिस्टेंस: बच्चे दूसरों से दूर हो सकते हैं और सोशल एक्टिविटी में हिस्सा लेना बंद कर सकते हैं.
साइबर बुलिंग से बचने के तरीके
सेफ्टी और प्राइवेसी सेटिंग: सोशल मीडिया और दूसरे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर अपनी सेफ्टी और प्राइवेसी सेटिंग्स को मजबूत बनाएं. केवल भरोसेमंद दोस्तों और परिवार के सदस्यों को अपनी प्रोफाइल देखने और कॉन्टेक्ट करने की परमीशन दें.
अनजान मैसेज और रिक्वेस्ट से सावधान: अनजान लोगों से मिलने वाले मैसेज या फ्रेंड रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट न करें. अगर कोई संदिग्ध मैसेज या रिक्वेस्ट मिलती है, तो उसे रिपोर्ट करें और ब्लॉक करें.
संवेदनशील जानकारी शेयर न करें: अपनी पर्सनल जानकारी- जैसे फोन नंबर, एड्रेस या स्कूल का नाम, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर शेयर न करें. फोटोज और दूसरी पर्सनल जानकारी को भी पब्लिक तौर पर शेयर करने से बचें.
सोशल मीडिया पर पाबंदी जरूरी
बेहतर होगा कि आप बच्चों का सोशल मीडिया अकाउंट न बनाएं और ना ही उन्हें ऐसे प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करने दें. खुद भी बच्चों के सामने सोशल मीडिया का इस्तेमाल न करें. इसके बाद भी अगर वो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म चला रहे हैं, तो…
• सोशल मीडिया अकाउंट को हमेशा प्राइवेट पर सेट करें. • सोशल मीडिया का डेली इस्तेमाल न करें. • ऑनलाइन रहने की टाइम लिमिट तय करें.
बातचीत और सपोर्ट
बच्चों के साथ रेगुलर बातचीत करें और उन्हें ये बताएं कि साइबर बुलिंग एक गंभीर मुद्दा है.
अगर बच्चे साइबर बुलिंग का शिकार हो रहे हैं, तो उन्हें अपनी समस्या साझा करने के लिए उकसाएं.
माता-पिता, टीचर और दूसरे भरोसेमंद व्यक्तियों से मदद लें.
बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षा और साइबर बुलिंग के खतरों के बारे में बताएं.
उन्हें ये सिखाएं कि इंटरनेट पर क्या करना है और क्या नहीं.
साइबर बुलिंग की रिपोर्ट करें
सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर साइबर बुलिंग को रिपोर्ट करने के विकल्प होते हैं, उनका इस्तेमाल करें.
स्कूल प्रशासन और दूसरे संबंधित अधिकारियों को भी सूचित करें.
बच्चों की ऑनलाइन एक्टिविटी की रेगुलर जांच करें.
यह जानने की कोशिश करें कि बच्चे किससे और कैसे ऑनलाइन बातचीत कर रहे हैं.
बच्चों को यह महसूस कराएं कि वे अकेले नहीं हैं और आप उनकी मदद के लिए हमेशा तैयार हैं.
उनकी बातों को गंभीरता से सुनें और उसी के मुताबिक कार्यवाही करें.
साइबर बुलिंग की शिकायत
किसी भी तरह का साइबर फ्रॉड या साइबर बुलिंग होने पर https://cybercrime.gov.in वेबसाइट पर जाकर शिकायत कर सकते हैं. इसके अलावा आप 1930 डायल करके भी शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है.