असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद कट्टरपंथी सिख उपदेशक और खडूर साहिब सीट से नवनिर्वाचित सांसद अमृतपाल सिंह की हिरासत एक साल के लिए बढ़ाई गयी तो पंजाब की सियासत गर्मा गयी। शिरोमणि अकाली दल बादल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अमृतपाल की हिरासत बढ़ाने को संविधान का उल्लंघन बताया है। हम आपको बता दें कि पंजाब सरकार के गृह मामलों और न्याय विभाग ने लोकसभा चुनाव के नतीजे आने से एक दिन पहले यानि तीन जून को अमृतपाल सिंह की हिरासत में विस्तार का आदेश दिया था। आदेश का विवरण इस सप्ताह बुधवार को मीडिया को बताया गया। हम आपको बता दें कि वारिस पंजाब दे संगठन का प्रमुख अमृतपाल फिलहाल राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत अपने नौ सहयोगियों के साथ असम की जेल में बंद है।
निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ते हुए, अमृतपाल ने खडूर साहिब निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीता। अमृतपाल ने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस उम्मीदवार कुलबीर सिंह जीरा को 1,97,120 मतों से हराया। जहां तक पंजाब सरकार के आदेश की बात है तो आपको बता दें कि इसमें कहा गया है, “तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर, सलाहकार बोर्ड की राय है कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 के प्रावधानों के तहत बंदी अमृतपाल सिंह संधू उर्फ अमृतपाल सिंह को हिरासत में रखने के लिए पर्याप्त कारण हैं।
जहां तक इस मुद्दे पर हो रही राजनीति की बात है तो आपको बता दें कि शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने खडूर साहिब से सांसद चुने गए अमृतपाल सिंह की हिरासत एक साल के लिए बढ़ाए जाने का विरोध करते हुए पंजाब सरकार के कदम को ‘‘संविधान तथा मूलभूत मानवाधिकारों एवं नागरिक अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन’’ बताया है। बादल ने एक बयान में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पर सिख और पंजाब के मुद्दों पर ‘‘दिल्ली के इशारे पर नाचने’’ का आरोप लगाया। बादल ने आरोप लगाया, ‘‘पंजाब सरकार के रिकॉर्ड स्पष्टत: बताते हैं कि इस मामले में एनएसए को बढ़ाने का फैसला भगवंत मान का है। उनका पंजाब विरोधी एवं सिख विरोधी चेहरा अब पूरी तरह बेनकाब हो गया है।’’
उन्होंने कहा कि शिअद ‘‘राज्य में शांति एवं सांप्रदायिक सौहार्द के माहौल के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है और वह उसे बरकरार रखने के लिए बढ़-चढ़कर प्रयास करता रहेगा।’’ बादल ने कहा कि शांति एवं सांप्रदायिक सद्भाव के बगैर प्रगति और समृद्धि नहीं हो सकती और उनकी पार्टी इस संबंध में अपनी जिम्मेदारी से नहीं हटेगी। उन्होंने कहा, ‘‘साथ ही, हम समान रूप से रासुका और यूएपीए जैसे दमनकारी काले कानूनों के पूरी तरह खिलाफ हैं।’’ अमृतपाल सिंह के साथ अपनी पार्टी के राजनीतिक एवं वैचारिक मतभेद से ऊपर उठते हुए बादल ने कहा कि इस मामले में रासुका बढ़ाने का फैसला ‘‘संविधान तथा मूल मानवाधिकारों एवं नागरिक अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन’’ है।
उन्होंने कहा, ‘‘अमृतपाल के साथ हमारे विचाधारा संबंधी मतभेद के बाद भी हम उसके या किसी अन्य के खिलाफ दमन और अन्याय का विरोध करेंगे, भले ही हमें उसकी कोई भी राजनीतिक कीमत चुकानी पड़े।’’ हम आपको बता दें कि बादल ने हाल में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान लोगों से यह मूल्यांकन करने की अपील की थी कि अमृतपाल को कहीं ‘‘केंद्रीय एजेंसियों द्वारा तो खड़ा नहीं किया गया है।’’
हम आपको यह भी बता दें कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने भी अमृतपाल की हिरासत अवधि बढ़ाए जाने की निंदा की है। एसजीपीसी प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने बयान जारी कर कहा, ‘‘अमृतपाल सिंह को पंजाब की जनता ने भारी मतों से खडूर साहिब संसदीय क्षेत्र से सांसद चुना था। लेकिन आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अमृतपाल के खिलाफ रासुका बढ़ाने का बेहद निंदनीय कदम उठाया है, जो मानवाधिकारों के मद्देनजर उचित नहीं है और यह पंजाब के लोगों की भावनाओं का अनादर है।’’