भारतीय रेलवे 400 रुपये में 1100 किमी. से अधिक दूरी तय करने वाली आम लोगों की शाही ट्रेनों की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया है. मौजूदा समय केवल दो ट्रेनों का संचालन हो रहा है. अब एक साल में करीब 50 ट्रेनों के ट्रैक पर उतारने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे आम लोगों के सफर को सुविधाजनक बनाया जा सके. यहां बात अमृतभारत ट्रेन की हो रही है.
वंदेभारत एक्सप्रेस ट्रेन यात्रियों की पसंदीदा ट्रेन बन चुकी है. यही वजह है कि अब तक 52 ट्रेनों का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है. इसके साथ ही पिछले दिनों देश में पहली बार दो अमृतभारत ट्रेनों को ट्रैक पर उतारा गया था. ये ट्रेनें कुछ मामलों में वंदेभारत से बेहतर बतायी जा रही हैं.
पांच वर्षों में 250 ट्रेनें आएंगी
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार भारतीय रेलवे का फोकस आम आदमी को बेहतर और सुविधाजनक सफर कराना है. इसी को फोकस करते हुए अगले पांच वर्षों में 250 से अधिक अमृतभारत ट्रेनों को तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है. इस तरह हर एक साल में 50 ट्रेन ट्रैक पर आएंगी.
जनरल क्लास की सीटें गड्ढेदार
अब जनरल क्लास के लोगों को भी गड्ढेदार सीट मिलेंगी. पहले इस क्लास की नीचे की सीट फट्टे की होती थीं और ऊपर वाली पाइप की होती थी. हालांकि इसे लगेज रखने के लिए बनाया गया था, लेकिन यात्री बैठते थे, जिसमें परेशानी होती थी. अब इस सीट को गद्देदार बना दिया गया है, जिससे लोग सुविधाजनक सफर कर सकें.
मोबाइल चार्जर की सुविधा
इसी तरह पहली बार जनरल क्लास में मोबाइल चार्जर के लिए प्वाइंट दिए गए हैं. प्रत्येक कूपा में चार-चार पॉइंट दिए गए हैं. साथ ही चार्जिंग के दौरान मोबाइल रखने के लिए स्टैंड भी लगाए गए हैं जो अभी तक नहीं लगे हैं.
कोच में बोलत स्टैंड भी
इस श्रेणी में पहली बार पानी के बोतलों के टांगने के लिए स्टैंड लगाए गए हैं, यानी यात्री पानी की बोतल टांग ले, उसकी बोतल सीट के नीचे या इधर-उधर न पड़ी रहे.
पहली बार मिलेगी यह सुविधा
इस श्रेणी की एक और खासियत यह है कि जनरल क्लास में टॉयलेट के बाहर भी वॉश बेसिन लगाया गया है, जिससे लोग इसमें टॉयलट के अंदर जाने के बजाए बाहर हाथ धो सकें. खास बात है यह जो नल लगे हैं पैर से प्रेश करने से चलते हैं. यानी आपको नल को हाथ नहीं लगाना होगा.
टॉयलेट में बायो वैक्यूम का इस्तेमाल
इस श्रेणी के टॉयलेट में पहली बार बायो वैक्यूम का इस्तेमाल किया गया है, अभी तक इस तरह के टॉयलेट वंदेभारत के अलावा शताब्दी और राजधानी में लगे होते थे. जिससे अब जनरल क्लास में सफर करने वालों को साफ सुथरे टॉयलेट मिले सकें.
सुरक्षा के लिए कैमरा भी लगे
जनरल क्लास में पहली बार सुरक्षा को ध्यान रखते हुए कैमरे लगाए गए हैं, जिससे अप्रिय घटना होने पर कैमरों की मदद से अपराधियों की पहचान की जा सके. लोकोपायलट केबिन से कोच पर नजर रख सकेगा.
इस मामले में वंदेभारत से बेहतर
ट्रेन चलते समय दो कोचों के बीच से गुजरने पर डर लगता है. ट्रेन बहुत हिलती थी. लेकिन अब दोनो के बीच सेमी फिक्स कपलिंग का इस्तेमाल किया गया है, जिससे दो कोचों के बीच का ज्वाइंट नहीं हिलेगा. यह तकनीक वंदेभारत में नहीं है.
दरवाजे के विंडो के डिजाइन में बदलाव
इसके साथ ही इस ट्रेन के दरवाजे के विंडो के डिजाइन में बदलाव किया गया है. पहले शीशे के बाहर गिल लगी होती थी. लेकिन ग्रिल नहीं लगी. इसके अलावा शीशे की ऊंचाई भी बढ़ाई गयी है और इसे आसानी से खोला जा सकता है.