नई दिल्ली: आने वाले समय में आपको अपने मोबाइल नंबर का यूज करने पर रिचार्ज के अलावा भी पैसे देने पड़ सकते हैं. खासकर, उस नंबर के लिए जो आपके पास है तो सही और आप उसका इस्तेमाल नहीं कर रहे या फिर न के बराबर यूज कर रहे हैं. भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) ने यह प्रस्ताव दिया है. यह चार्ज एकमुश्क या फिर सालाना आधार पर लिया जा सकता है. ट्राई ने यह शुलक मोबाइल ऑपरेटर से मोबाइल फोन या लैंडलाइन के नंबर के लिए लेने की योजना बनाई है. अगर यह नियम लागू हुआ तो इस भार को मोबाइल ऑपरेटर उपभोक्ताओं पर डालेंगे.
ट्राई का मानना है कि मोबाइल नंबर एक सार्वजनिक संसाधन है, न की निजी. इसलिए इनका इस्तेमाल भी सार्वजनिक हित को ध्यान में रखकर करने की जरूरत है. देश मोबाइल नंबर की काफी कमी है. नियमों के मुताबिक अगर किसी सिम कार्ड को ज्यादा वक्त तक रिचार्ज नहीं कराया जाता है, तो उसे ब्लैकलिस्ट करने का प्रावधान है. लेकिन, यूजर बेस खोने के डर से मोबाइल ऑपरेटर ऐसा नहीं करते. ऐसे में ट्राई ने अब इनएक्टिव मोबाइल नंबर को ब्लैकलिस्ट न करने पर मोबाइल ऑपरेटर पर जुर्माना लगाने की योजना बनाई है.
19 फीसदी मोबाइल नंबर का नहीं हो रहा इस्तेमाल
भारत में जारी किए गए कुल मोबाइल नंबर में से करीब 21.9 करोड़ मोबाइल बेकार पड़े हैं. यानी इनका इस्तेमाल नहीं हो रहा. यह आंकड़ा कुल मोबाइल नंबर का करीब 19 फीसदी है. ज्यादातर मोबाइल यूजर्स स्मार्टफोन में दो सिम कार्ड का इस्तेमाल करते हैं. इसमें एक सक्रियरहता है, जबकि दूसरे का इस्तेमाल बहुत कम या फिर होता ही नहीं है.
सरकार के पास है मोबाइल नंबर स्पेसिंग का अधिकार
सरकार के पास मोबाइल नंबर स्पेसिंग का अधिकार है. सरकार ही मोबाइल ऑपरेटर को मोबाइल नंबर सीरीज जारी करती है. मोबाइल नंबर के सीमित मात्रा में उपलब्ध होने की वजह से इसका इस्तेमाल भी विवेकपूर्ण तरीके से होना चाहिए. लेकिन, ऐसा हो नहीं रहा है. इसी को देखते हुए अब ट्राई मोबाइल नंबर पर शुल्क लगाने की योजना बना रही है.
इन देशों में वसूला जाता है चार्ज
ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, बेल्जियम, फिनलैंड, यूके, लिथुआनिया, ग्रीस, हांगकांग, बुल्गारिया, कुवैत, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, पोलैंड, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका और डेनमार्क जैसे देश में मोबाइल नंबर के लिए टेलिकॉम कंपनियां उपभोक्ता से शुल्क वसूलती है.