New Delhi: विकसित भारत बनाने का संकल्प तो ले लिया लेकिन क्या हम इसका अर्थ जानते हैं?

New Delhi: विकसित भारत बनाने का संकल्प तो ले लिया लेकिन क्या हम इसका अर्थ जानते हैं?

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ईमानदार और कर्मठ छवि वाली शख्सियत हैं। लोगों की इन सभी में गहरी आस्था है। लोगों को उम्मीद है कि यह लोग बड़े बदलाव लायेंगे। लोगों को उम्मीद है कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को सिद्ध करने की दिशा में हमारी कार्यपालिका और न्यायपालिका अहम भूमिका निभाएगी। लेकिन सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि विकसित भारत सिर्फ गगनचुंबी इमारतें या अमेरिका जैसा बुनियादी ढांचा बना कर ही नहीं बनेगा।

विकसित भारत तब बनेगा जब लोगों को एक वर्ष के भीतर न्याय मिलने लगेगा, विकसित भारत तब बनेगा जब आर्थिक असमानता दूर हो जायेगी, विकसित भारत तब बनेगा जब शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा लोगों को आसानी से और सस्ते में सुलभ हो सकेगी, विकसित भारत तब बनेगा जब झूठ की राजनीति बंद हो जायेगी, विकसित भारत तब बनेगा जब जनसंख्या नियंत्रण कानून बन जायेगा, विकसित भारत तब बनेगा जब प्रलोभन देकर या दबाव बनाकर धर्म परिवर्तन कराना रुक जायेगा। देखा जाये तो विकसित भारत बनाने के लिए केंद्र ही नहीं बल्कि तमाम राज्य सरकारों को कई बड़े कदम उठाने होंगे।

इसके अलावा, हमें यह भी देखना चाहिए कि एक ही समय में आखिर भारत में कलियुग और जापान में सतयुग कैसे है? सवाल उठता है कि आखिर हमारे प्रयासों में कहां कमी रह गयी है ? इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि हमारे देश का कानून घटिया है इसीलिए झूठा आरोप लगा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि भारत में झूठ बोलना पाप तो है लेकिन गंभीर अपराध नहीं है इसलिए सफेदपोश सफेद झूठ बोलते हैं। उन्होंने कहा कि झूठी शिकायत, झूठी गवाही, झूठी कहानी, झूठी जांच, झूठी वसीयत, झूठी विरासत, झूठा मुकदमा, झूठा हलफनामा को गंभीर अपराध घोषित करना नितांत आवश्यक है। उन्होंने कई और भी सुझाव दिये जिन्हें अपना कर भारत को विकसित देश बनाने की दिशा में कदम आगे बढ़ाया जा सकता है।

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