ये वाजपेयी और आडवाणी के दौर की बात है। तब चाणक्य की भूमिका में प्रमोद महाजन हुआ करते थे। एक बार प्रमोद महाजन से वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी ने पूछा था कि आप वाजपेयी और आडवाणी में से बड़ा नेता किसे मानते हैं। प्रमोद महाजन ने जवाब दिया था कि बड़ा नेता वो जिसे संघ बड़ा नेता माने। लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे सामने आने के बाद एक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या बीजेपी और आरएसएस में दूरी बन रही है? क्या भाजपा से आरएसएस खुश नहीं है? वैसे आपको बता दें कि देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर तीसरी बार लगातार बैठने वाले नरेंद्र मोदी भी संघ की शाखा से निकलकर ही देश की बागडोर संभाल रहे हैं। लेकिन आरएसएस चीफ ने बिना नाम लिए पांच ऐसी बातें कही हैं, जिनकी चर्चा हर घर में हो रही है। सभी के मन में एक ही सवाल है कि शपथ ग्रहण के तुरंत बाद संघ प्रमुख ने ऐसा भाषण क्यों दिया जो बीजेपी के लिए आईना लग रहा है। 400 का दंभ भरने वाली पार्टी बहुमत का आंकड़ा पार नहीं कर पाई। सरकार भले ही बन गई हो लेकिन बैसाखियों के सहारे मोदी 3.0 का कार्यकाल का आगाज हुआ है। 400 पार और अपने बल पर 370 लाने का दंभ भरने वाली बीजेपी 250 के आंकड़े को भी पार नहीं कर पाई तो चाहने वालों, समर्थकों और भक्त कहे जाने वालों के मन में भी कई सवाल हैं। सभी के मन में कोई न कोई थ्योरी है लेकिन कोई कुछ नहीं बोल रहा है। ऐसे में संघ प्रमुख ने भरी सभा में पूरी कहानी सुना दी। जानकारों का मानना है कि कुछ अहम टिप्पणियों के जरिए मोहन भागवत ने नई सरकार को आईना दिखाया है। लेकिन इन सब में गौर करने वाली बात ये है कि संघ प्रमुख ने जो भी कहा ठीक वही बात बीजेपी को लेकर विपक्ष भी कहता आया है। संघ और बीजेपी के रास्ते बिल्कुल अलग हैं लेकिन विचारधारा एक ही मानी जाती है। इसलिए दोनों के बीच तालमेल की जरूरत और गुंजाइश हमेशा रहती है।
New Delhi: RSS वाले मोदी vs PM वाले मोदी, कैसे बढ़ रही है संघ और बीजेपी की दूरियां?



