लोकसभा चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं। बीजेपी अपने बूते पर बहुमत लाने में कामयाब नहीं हो पाई है। लेकिन एनडीए ने बहुमत से ज्यादा 293 का आंकड़ा पार कर लिया है। 9 जून को नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं। लेकिन उसके पहले ही कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी ने कई गंभीर आरोप मोदी सरकार के ऊपर लगाए हैं। सेंसेक्स और मार्केट में पिछले हफ्ते जो हुआ वो तो आप सभी को पता होगा। एग्जिट पोल आने के बाद मार्केट काफी तेजी से बढ़ा था। लेकिन उससे तीन गुणा ज्यादा स्पीड से वास्तविक परिणाम आने के बाद घटा भी था। इसको लेकर विपक्ष के द्वारा बड़ा आरोप लगाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि स्टॉक मार्केट में जो हुआ है वो अभी तक का सबसे बड़ा स्कैम है। इसको लेकर जेपीसी यानी ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी की जांच होनी चाहिए।
शेयर बाजार में 4 जून को क्या हुआ
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर सीधा हमला किया। राहुल ने कहा कि मोदी, शाह और सीतारमण ने इस सबसे बड़े स्कैम के अंदर मदद की है। इसी की वजह से ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी की जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पहली बार ऐसा हुआ जब प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह और निर्मला सीतारमण स्टॉक मार्केट पर कमेंट कर रहे हैं। पहले कभी ऐसा देखा नहीं गया था। प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंदर उन्होंने क्रोनोलॉजी समझाने की कोशिश की। कैसे बीजेपी की तरफ से स्टॉक मार्केट के ऊपर कमेंट किया गया है। उन्होंने समझाया कि कैसे बीजेपी के नेताओँ ने इंटरव्यू दिए। कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि अचानक से एग्जिट पोल के नतीजों से पहले बहुत ज्यादा वॉल्यूम देखने को मिला था। राहुल गांधी का कहना है कि बीजेपी के द्वारा इंटरल सर्वे में उसे 220 के आसपास सीट का अनुमान था। लेकिन एग्जिट पोल में जानबूझकर मिलीभगत कर 35-400 नंबर दिखाने की कोशिश की गई ताकी लोगों को भरोसा आ जाए कि बीजेपी बड़े आंकड़ों के साथ आ रही है। लोगों ने स्टॉक मार्केट में निवेश कर दिया। लेकिन जब रिजल्ट आया तो लोगों का बहुत भारी नुकसान हुआ।
मोदी-शाह ने स्टॉक को लेकर क्या कहा था?
13 मई को एक इंटरव्यू के दौरान देश के गृह मंत्री अमित शाह ने शेयर बाजार में जारी गिरावट को लेकर बात की। उन्होंने कहा कि 4 जून 2024 के बाद स्टॉक मार्केट में तेजी आने वाली है। शेयर बाजार में जारी उथल-पुथल के पीछे का कारण तमाम तरह की अफवाहों को बताया है। उन्होंने कहा है कि शेयर बाजार में आने वाली गिरावट को चुनावों से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है। 19 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने के बाद शेयर बाजार सभी पिछले रिकॉर्ड तोड़ते हुए नए शिखर पर पहुंच जाएगा। 1 जून को एग्जिट पोल के अनुमान सामने आए स्टॉक मार्केट थोड़ा ऊपर जाता है। उसके बाद 4 जून को जब वास्तिवक परिणाम आता है तो स्टॉक मार्केट क्रैश कर जाता है। इसकी वजह से 30 लाख करोड़ का नुकसान होता है। खासकर छोटे निवेशकों पर इसका सीधा असर पड़ता है।
निवेश की सलाह देना क्या मोदी-शाह का काम
राहुल गांधी ने कहा कि पीएम और गृह मंत्री ने एक ही कॉर्पोरेट घराने के स्वामित्व वाले चैनल को इस तरह के इंटरव्यू दिए। इसकी जांच होनी चाहिए। इसके अलावा राहुल ने पूछा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने 5 करोड़ परिवारों को खास रूप से स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने की सलाह क्यों दी ? क्या लोगों को निवेश की सलाह देना उनका काम है? प्रधानमंत्री, गृह मंत्री ने दोनों इंटरव्यू अडाणी के उन चैनल्स को दिए, जिनके ऊपर SEBI की जांच जारी है। ऐसे में उन चैनल्स का क्या रोल है? भाजपा, फेक एग्जिट पोल्सटर्स (पोल कराने वाले) और एग्जिट पोल्स के पहले निवेश करने वाले संदिग्ध विदेशी निवेशकों के बीच क्या संबंध है।
देश और विदेश के निवेशकों को डराने की कोशिश कर रहे हैं राहुल?
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 4 जून को शेयर बाजार में गिरावट के संबंध में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के आरोपों को बिल्कुल निराधार बताकर खारिज कर दिया। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष पर निवेशकों के बीच डर पैदा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। गांधी के दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए गोयल ने कहा कि यह भाजपा को बदनाम करने के लिए कांग्रेस पार्टी की एक साजिश थी और इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के तहत बाजार फला-फूला है। राहुल गांधी अभी भी लोकसभा चुनाव में मिली हार से उबर नहीं पाए हैं। अब वह बाजार के निवेशकों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। पीयूष गोयल ने बताया कि जि दिन एग्जिट पोल आए तो मार्केट ऊपर था। तब फॉरेनर्स ने महंगे दाम पर शेयर खरीदे। भारतीय निवेशकों ने बेचकर लाभ किया। 4 जून को जब मार्केट गिरा, तब फॉरेन इन्वेस्टर्स ने कम दाम पर बेचा और भारतीय निवेशकों ने खरीदा। भारतीय निवेशकों ने सोचा कि मोदी सरकार आ रही है। हम फायदा कमाएंगे। कहने का मतलब है कि भारतीय निवेशकों ने महंगे दाम पर बेचा और कम दाम में खरीदा।
संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) क्या है?
एक विशेष उद्देश्य के लिए संसद द्वारा एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की स्थापना किसी विषय या विधेयक की विस्तृत जांच के लिए की जाती है। इसमें दोनों सदनों और सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के सदस्य होते हैं। इसका कार्यकाल समाप्त होने या इसका कार्य पूरा होने के बाद इसे भंग कर दिया जाता है।
जेपीसी की स्थापना कैसे होती है?
संसद के एक सदन द्वारा प्रस्ताव पारित करने और दूसरे सदन द्वारा इस पर सहमति जताए जाने के बाद जेपीसी का गठन किया जाता है। जेपीसी के सदस्य संसद द्वारा तय किए जाते हैं। सदस्यों की संख्या भिन्न हो सकती है - कोई निश्चित संख्या नहीं है।
जेपीसी क्या कर सकती है?
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च पर एक लेख के अनुसार जेपीसी का जनादेश इसे गठित करने वाले प्रस्ताव पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, "शेयर बाजार घोटाले पर जेपीसी के संदर्भ की शर्तों ने समिति को वित्तीय अनियमितताओं को देखने, घोटाले के लिए व्यक्तियों और संस्थानों पर जिम्मेदारी तय करने, नियामक खामियों की पहचान करने और उपयुक्त सिफारिशें करने के लिए भी कहा जा सकता है। अपने जनादेश को पूरा करने के लिए एक जेपीसी दस्तावेजों की जांच कर सकती है और लोगों को पूछताछ के लिए बुला सकती है। इसके बाद यह एक रिपोर्ट प्रस्तुत करता है और सरकार को सिफारिशें करता है।
कितनी बार जांच के लिए जेपीसी बनाई गई
लोकसभा की वेबसाइट के मुताबिक अब तक छह जेपीसी का गठन किया जा चुका है। ये हैं “दूरसंचार लाइसेंस और स्पेक्ट्रम के आवंटन और मूल्य निर्धारण से संबंधित मामलों की जांच करने वाली जेपीसी, शीतल पेय, फलों के रस और अन्य पेय पदार्थों में कीटनाशक अवशेषों और सुरक्षा मानकों पर जेपीसी, स्टॉक मार्केट घोटाले और उससे संबंधित मामलों पर जेपीसीबैंकिंग लेनदेन में अनियमितताओं की जांच, बोफोर्स सौदे की जांच; लाभ के पद से संबंधित संवैधानिक और कानूनी स्थिति की जांच करने के लिए संयुक्त समिति।