क्या होगा कल ? हरदोई का हवाल , हवाले से ख़बरनवीस

क्या होगा कल ? हरदोई का हवाल , हवाले से ख़बरनवीस

हरदोई का हवाल

कोई सुनता तो इक कोहराम बरपा था हवाओं में,

शजर से एक पत्ता जब गिरा आहिस्ता आहिस्ता...


इस मर्तबा इलेक्शन में एक बात हर एक कहता दिखा, कोई लहर नहीं और वोटर चुप्पी साधे था । खैर, खबरिया चैनलों पर रुझान छाया हुआ है, खबरिया चैनल इस कदर फैसलाकुन हैं कि रुझान, जिसे एग्जिट पोल बोलते हैं, को ही अन्तिम परिणाम सा मान रहे हैं इसीलिए, हम आंकड़े पहले देते हैं और फैसलाकुन पब्लिक को होने देते हैं । हालांकि, ये आंकड़े आप हमारे पिछले लिखे पर देख पढ़ चुके हैं, फिर भी मोटे तौर पर आंकड़ों को आज फिर सामने रखेंगे, क्योंकि बड़े मंगल को आप को जरूरत लगेगी

पहले २०१४ देख लेते हैं, कुल मतदाता १७,१४,३८८, पुरुष ९,३९,८३१ और महिला ७,७४,५०१, कुल वोट पड़े थे ९,७२,८६५, यानी ५६.७५,% भाजपा, ३,६०,४७३, बसपा को २,७९,१५८ और सपा को २,७६,५४२ वोट मिले थे, जीत का अंतर ८१,३१५ मतों का था सवायजपुर से ३८,७५२, शाहाबाद से ७,६८० की भाजपा को, सदर से ६,२१४ की सपा को, गोपामऊ से १,५९२ की बसपा को और सांडी से ७,१८९ मतों की लीड सपा को थी ।

आते हैं, २०१९ पर, कुल मतदाता १८,०७,११९, पुरुष ९,८०,२६४, महिला ८,२५,७८७, कुल वोट पड़े थे १०,५५,३९२, यानी ५८.४%, भाजपा को ५,६७२४४, सपा+बसपा को ४,३४,४५९ मत मिले, जीत का अंतर १,३२,७८५ मतों का था।

सवायजपुर से ४६,८३४, शाहाबाद से १८,६१६, सदर से ४७,०६१, गोपामऊ से ७,४७४, सांडी से १२,८०० मतों का विजयी अंतर था, जो पांचों जगहों पर भाजपा के खाते में था।

नतीजा ये हुआ की २०२२ के चुनाव में हरदोई संसदीय क्षेत्र की सदर विधानसभा सीट भी भाजपा ने क्रैक कर ली थी, बाकी चार उसके पास थी हीं, हालांकि असेम्बली इलेक्शन में मार्जिन हर सीट पर घटा था, सवायजपुर में २५,६८७, शाहाबाद में ६,४७९, सदर में ४२,४११ और सांडी में ९,२३३ के मार्जिन से भाजपा जीती थी, हां, गोपामऊ में जरूर ५२४ मतों की मामूली बढ़त जुड़ी थी, यहां लीड ७,९९८ की थी...

अब, निगाहें बड़े मंगल को तारीख में दर्ज होने वाले आंकड़ों पर हैं सभी की, जिसमें हमारा योगदान देखते हैं, सदर संसदीय सीट पर कुल मतदाता १९,१३,७३० में पुरुष १०,०१,७७२ और महिला ९,११,९५३, कुल १०,९८,८२० मतदाता यानी ५७.५२% ही घरों से निकले, हालांकि हम ने इस चुनाव सदर सीट पर फोकस किया, पर आंकड़ा मतदान का वहां का भी देख लीजिए, कुल वोट १८,७८१९५ में १०,४९,६३० पड़ा, यानी ५५.८९ ...कम मतदान प्रतिशत को लेकर मौसम की तल्खी और पब्लिक की निराशा जैसी वजहें थीं, तो बातें भी और तमाम तरह की, सदर और मिश्रिख सीट पर मतदान के बाद सभी तरफ से, सभी तरह के लोगों ने मुकाबला कांटे का बताया था, पत्रकार साथियों में भी लगभग सभी ने सदर लोकसभा सीट पर मुकाबला फंस जाने का दावा किया था ...

चर्चा रही बसपा के काडर के सपा में मूव करने की, सच्चाई तो ०४ तारीख बताएगी, पर मतदान के बाद एक चर्चित विधायक की व्हाट्स एप्प चैट का स्क्रीन शॉट वायरल हुआ, जिस में वह बसपा का ७५% वोट सपा में जाने की बात कह रहे हैं...

बहरहाल, बात कर लेते हैं हरदोई की सदर और मिश्रिख संसदीय सीटों की, सदर से भाजपा के सिटिंग एमपी जयप्रकाश और सपा की एक्स. एमपी ऊषा वर्मा में और मिश्रिख में भाजपा के सिटिंग एमपी अशोक रावत और सपा की संगीता राजवंशी में मुख्य मुकाबला है, सदर में बसपा के भीमराव आम्बेडकर और मिश्रिख में वीआर अहिरवार प्रत्याशी हैं, दोनों ही मुकाबले में दूर दूर नहीं हैं ...तो देखते हैं बिरादरी के लोग अब क्या कुछ कहते हैं...???

शुरुआत करेंगे सीनियर टीवी जर्नलिस्ट प्रशान्त पाठक से, पाठक सदर और मिश्रिख सीट पर भाजपा की हैट्रिक बताते हैं, चुनाव बाद सम्भावित नतीजे पर उनकी यह पहली सार्वजनिक प्रतिक्रिया हम ने दर्ज की है, पाठक कहते हैं फैक्टर इस बार भी राष्ट्रीय स्तर रहा, सदर सीट पर मार्जिन सिकुड़ने लेकिन छः अंकों तक रहने की बात कहते हैं और मिश्रिख का मार्जिन स्टेबलिश रहने का प्रिडीक्शन है पाठक का... 

वरिष्ठ टीवी पत्रकार रंजीत सिंह दोनों सीटें भाजपा की बताते हैं, साथ साथ मार्जिन भी बताते हैं, उनके अनुसार सवायजपुर ३०, शाहाबाद १०, सदर २५, गोपामऊ एकाध हजार और सांडी ५ हजार के मार्जिन देंगी, मिश्रिख सीट में तीन विधानसभा सीटें हरदोई की हैं, रंजीत का ददिहाल सदर तो ननिहाल मिश्रिख प्रमाइसेस में है और शिक्षा दीक्षा ननिहाल और सियासी समझ बूझ ददिहाल से हासिल हुई उन्हे, रंजीत मिश्रिख की हरदोई प्रमाइसेस वाली असेम्बली सीटों का मार्जिन भी खोलते हैं, संडीला से ३०, बालामऊ से ३० से ३५ के बीच और बिलग्राम/मल्लावां से २५ हजार की लीड भाजपा को बताते हैं, रंजीत रीजन देते हैं कि क्षेत्रीय जातीय समीकरणों के अलावा जो मुस्लिम वोट ७० से ९० फीसद पड़ता था, वो ६० के भीतर सिमट गया, वजह ये कि ’४०० पार’ का नैरेटिव कुछ यूं सेट हुआ कि जो मुस्लिम बाहर हैं, वोट करने ही नहीं आए...

इसके उलट सीनियर टीवी जर्नलिस्ट आलोक सिंह कहते हैं, अबकी मुस्लिमों के वोट बड़ी तादाद में कटे, बतौर नजीर कहते हैं कि उनके परिचित एक परिवार में विगत में २१ वोट थे, इस बार तीन ही रह गए, इसी तरह की बातें जगह जगह से सामने आईं, बताते हैं कि मिश्रिख और बिल्हौर में इण्डिया ब्लॉक बढ़िया लड़ा है...

नितिन शर्मा, हमारी पीढ़ी के जिन लोगों ने दिल्ली प्रेस की मनोहर कहानियां, सत्य कथाएं, मधुर कथाएं, नूतन कहानियां, महानगर कहानियां जैसी क्राइम मैगजीन पढ़ीं होंगी, फिर नितिन का भी नाम ज़रूर पढ़ा होगा, जो १९९७ से अब तक अपराध कथाएं बुन रहें हैं रोचक अंदाज़ में, वो जीविका के लिए हरदोई लखनऊ राजमार्ग के लालपालपुर में मोबाइल फोन शॉप चलाते हैं, सीनियर मोस्ट क्राइम जर्नलिस्ट नितिन कहते हैं, चुनाव अब की हलवा कतई नहीं था, जिसे गप्प से खाया गया हो, सत्ता दल को ज़मीन पर नाकों चने चबाने पड़े और इण्डिया ब्लॉक को इसका स्वाभाविक लाभ मिला है, बताते हैं कि उनका हर रोज इलाके के लोगों से साबका रहता है इसलिए ग्रास रूट का हाल पता चलता रहता है, लोग खुश तो नहीं ही हैं, चाहे वो किसी तबके का हो या कामकाजी हो, लोग बदलाव चाहते हैं, ये कोई भी सामान्य व्यक्ति महसूस कर सकता है...

वरिष्ठ पत्रकार देवेन्द्र सिंह बबलू तो एग्जिट पोल पर हैरान और नाराज़ दिखे, बोले कि हमें राजनाथ छोड़ आसपास निगाह घुमाने पर बाकी कोई सीट जीतती दिखती हो कोई भी पक्के तौर पर नहीं कह सकता, बबलू कहते हैं राशन वाशन सब बतकहियां हैं, हाल बहुत खराब हैं सबके, सरकारी अमला कतई बेलगाम है, मतदान कार्मिकों के मतदान के अधिकार तक का हनन हुआ, लोकतंत्र में इस से भद्दा और क्या हो सकता है, बबलू का कहना है कि परिणाम एग्जिट पोल से एकदम अलग होंगे...

ह्यूमर वाले जर्नलिस्ट मनोज तिवारी डे वन से सदर और मिश्रिख दोनों सीटों पर मुकाबला फंसे होने की बात कह रहे हैं और मतगणना की पूर्वसंध्या पर भी वह कायम हैं अपने वर्डिक्ट पर, कहते हैं एग्जिट पोल जनभावनाओं का प्रतिनिधि एकदम नहीं होता है, सवाल करते हैं कि जिस सैम्पल सर्वे का हवाला दिया जाता है, उसका मानक और पुष्टि क्या है, १०,९८,८२० लोगों ने सदर और १०,४९,६३० ने मिश्रिख सीट पर मतदान किया, मान लेते हैं कि सर्वे एजेंसी ने बहुत अधिक तो १० हजार लोगों को टटोला (बीच में जोड़ते हैं जोकि होता नहीं, सब टेबल वर्क होता) होगा, तो १० लाख लोगों की भावनाओं को अदद १० हजार लोगों के मन से कैसे मापा जा सकता है, ये कहते हुए बात खत्म करते हैं कि सीटें दोनों फंसी हैं, खुशफहमी जिसे हो अलग बात है...

वरिष्ठ पत्रकार शिवेन्द्र सिंह भी मुक़ाबला बराबरी का बताते हैं, कहते हैं परिणाम की बात जो होगी कल सामने होगा, पर मार्जिन अब की 20 से 25 हजार से अधिक की उम्मीद कोई नहीं करे, बाकी चमत्कार कोई हो तो अलग बात है, शिवेन्द्र कहते हैं कि कम से कम सदर सीट पर सबसे बड़ा मुद्दा भाजपा प्रत्याशी खुद ही थे, उनकी क्षेत्र को लेकर अनदेखी सभी को ऐसी अखरी कि फिर तमाम प्रयास के बाद भी इमेज उनकी नहीं सुधरी, मिश्रिख सीट को लेकर कहते हैं, वहां प्रत्याशी को लेकर कोई खास दिक्कत नहीं है, क्योंकि सिटिंग एमपी के परिवार के आधार वाला क्षेत्र है और जातीय समीकरण प्रत्याशी और पार्टी दोनों के माकूल हैं, फिर भी राह वहां भी आसान नहीं है, हां सदर की तरह मिश्रिख सीट को फंसा नहीं कह सकते...

अब हमारे कहने को ज़्यादा कुछ रह नहीं जाता इसलिए भी जो देखा, सुना, जाना और महसूस किया, वो चुनाव भर लगातार पटल पर लाते ही रहे, तो अब कल की जो तस्वीर बनेगी श्वेत श्याम, उसमें ’शब्द कूची’ से रंग भरने की कोशिश करेंगे ...

राम राम


गर्म मौसम से परेशाँ सब हुए,

जिस्म ठंडा कर दे ऐ रब धूप का...

(बृजेश कबीर) 



 अच्छी तहरीर बृजेश
anupam.hri@gmail.com, 03 June 2024

 धन्यवाद अनुपम दादा
brijeshkabeerdlp@gmail.com, 03 June 2024

Leave a Reply

Required fields are marked *