डिजिटल अरेस्ट में डॉक्टर को फंसाया, इससे कैसे बचा जा सकता है?

डिजिटल अरेस्ट में डॉक्टर को फंसाया, इससे कैसे बचा जा सकता है?

साइबर ठगों ने आजकल डिजिटल अरेस्ट के जरिए लोगों को अपने जाल में फंसाना शुरू किया है. यूपी की एक घटना में जालसाजों ने खुद को ED ऑफिसर बताकर मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी दी, महिला इसमें ढाई घंटे तक जूझती रही. दरअसल महिला को एक कॉल आई और ठगों ने बोला कि उसका नंबर मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल हुआ है, इसके बाद महिला को जेल भेजने की धमकी दी गई.

क्या है डिजिटल अरेस्ट?

डिजिटल अरेस्ट, इसे साइबर धमकी या ब्लैकमेलिंग का एक नया तरीका भी कहा जाता है. इसमें साइबर क्रिमिनल विक्टिम को धमकाने और उससे पैसे वसूलने के लिए उसकी पर्सनल तस्वीरें या वीडियो का इस्तेमाल करते हैं. इस तरह का क्राइम आमतौर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, वाट्सऐप या डेटिंग ऐप्स के जरिए किया जाता है.

डिजिटल अरेस्ट के मामले में साइबर क्रिमिनल सोशल मीडिया पर शिकार ढूंढते हैं और उनकी निजी तस्वीरें या वीडियो इकट्ठा करते हैं. ऐसा अक्सर हैकिंग या सोशल इंजीनियरिंग तकनीकों का इस्तेमाल करके किया जाता है.

“डिजिटल अरेस्ट” शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर दो तरह के मामलों में किया जाता है: पहला, साइबर सुरक्षा के लिए, जहां यह किसी व्यक्ति की डिजिटल एक्टिविटी को कंट्रोल या रोकने के लिए उपयोग किए जाने वाले तरीकों को टारगेट करता है. दूसरा, किसी व्यक्ति की डिजिटल लाइफ पर अत्यधिक निर्भरता के कारण उसकी पर्सनल या सोशल लाइफ को नुकसान पहुंचाने के लिए. हम आपको इन दोनों मामलों में “डिजिटल अरेस्ट” और इससे बचने के तरीकों के बारे में बता रहे हैं…

साइबर सेफ्टी के मामले में डिजिटल अरेस्ट

डिजिटल अरेस्ट साइबर क्राइम या अनऑफिशियल डिजिटल एक्टिविटी को रोकने के लिए, किसी व्यक्ति या ग्रुप की डिजिटल एक्सेस को लिमिट या रोकने को कहा जाता है. इसमें ये चीजें शामिल हो सकते हैं:

किसी के अकाउंट को लॉक करना या डिएक्टिवेट करना.

इंटरनेट या नेटवर्क एक्सेस को रोकना.

किसी खास वेबसाइट या सर्विस की एक्सेस को बैन करना.

डिजिटल लाइफ पर ज्यादा फोकस करने के मामले में डिजिटल अरेस्ट

ये उस स्थिति को दर्शाता है जहां व्यक्ति की डिजिटल एक्टिविटी उसके पर्सनल, सोशल या प्रोफेशनल लाइफ को निगेटिव रूप से प्रभावित करती हैं. इसमें शामिल हैं…

जरूरत से ज्यादा समय सोशल मीडिया या ऑनलाइन गेमिंग पर बिताना.

डिजिटल डिवाइसों पर ज्यादा निर्भरता के कारण नींद, फिजिकल एक्टिविटी और पर्सनल मामलों में कमी.

डिजिटल अरेस्ट से बचने के तरीके

सिक्योर पासवर्ड का इस्तेमाल करें: स्ट्रॉन्ग और यूनिक पासवर्ड का उपयोग करें और उन्हें रेगुलर रूप से बदलते रहें.

टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन: अपने सभी जरूरी अकाउंट्स के लिए 2FA इनेबल करें.

सॉफ्टवेयर अपडेट करें: अपने सभी डिवाइसों पर रेगुलर रूप से सॉफ्टवेयर और एंटीवायरस से अपडेट करें.

संदिग्ध लिंक से बचें: किसी भी अनजान या संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचें.

पर्सनल डिटेल शेयर न करें: सोशल मीडिया या दूसरे प्लेटफार्म पर अपनी निजी जानकारी शेयर करने से बचें.

डिजिटल डिटॉक्स: रेगुलर रूप से डिजिटल डिटॉक्स करें, जहां आप कुछ समय के लिए अपने सभी डिजिटल डिवाइसों से दूर रहें.

समय सीमा तय करें: सोशल मीडिया और दूसरी एंटरटेनमेंट एक्टिविटी के लिए टाइम लिमिट फिक्स करें.

असल दुनिया में पब्लिक इंटरेक्शन: अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं, पर्सनल रिश्तों को मजबूत करें.

फिजिकल एक्टिविटी: रेगुलर व्यायाम करें और शारीरिक गतिविधियों में हिस्सा लें.

हॉबीज और इंटरेस्ट्स: डिजिटल दुनिया के बाहर अपने शौक और रुचियों को बढ़ावा दें.

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