इस साल इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के 17वें संस्करण का समापन शानदार रहा. रविवार को आईपीएल फाइनल में कोलकाता नाइटराइडर्स (KKR) ने सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) को एकतरफा मुकाबले में हराकर ट्रॉफी अपने नाम की. तीसरी बार आईपीएल खिताब जीतने वाली केकेआर की टीम को 20 करोड़ रुपये का इनाम मिला. सनराइजर्स हैदराबाद का खिताब जीतने का सपना तो टूट गया, लेकिन उपविजेता बनने पर टीम को 13 करोड़ रुपये की इनामी राशि मिली. अगर आईपीएल में खिलाड़ियों को मिलने वाली फीस देखी जाए तो वो भी मालामाल करने के लिए काफी है. वैसे मिचेल स्टार्क इस सीजन में सबसे महंगे खिलाड़ी थे. इस ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी को केकेआर ने 24.70 करोड़ रुपये में खरीदा था. वैसे खिलाड़ियों की जब नीलामी होती है तो भारतीयों की धूम रहती है. उन्हें भी करोड़ों-लाखों की कीमत देकर टीमें अपने साथ जोड़ने को लालायित रहती है. सिर्फ यही नहीं भारत में अंतरराष्ट्रीय और घरेलू क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ियों की पौ-बारह रहती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्रिकेटरों के लिए हमेशा ऐसा वक्त नहीं था. एक जमाना था जब 40 के दशक में भारतीय क्रिकेटरों को एक टेस्ट मैच खेलने के लिए एक रुपया मिलता था.
पहले एक रुपया और फिर पांच रुपये मिले
भारतीय टीम की ओर से 40 के दशक में खेलने वाले माधव आप्टे ने बीसीसीआई के 75 साल पूरे होने के अवसर पर एक समारोह में कहा था कि भारतीय टीम जब 40 के दशक में खेलती थी तो भारतीय क्रिकेटरों को एक टेस्ट मैच खेलने पर एक रुपया मिलता था. ये रकम भी लांड्री भत्ते के रूप में दी जाती थी. ताकि वो अपनी सफेद पोशाक को साफ रख सकें. इसके बाद ये रकम बढ़ाकर पांच रुपये प्रति टेस्ट मैच कर दी गई. उस समय वे जहाज से नहीं बल्कि ट्रेन से यात्रा करते थे. फिर मैच फीस बढ़कर पांच रुपये हुई. 1955 के आसपास भारतीय क्रिकेटरों को 250 रुपये मिलने लगे. कई बार बीसीसीआई के पास क्रिकेटरों को मैच फीस देने के भी पैसे नहीं होते थे.
ट्रेन से सफर और मामूली होटलों में ठहरना
क्रिकेटर तब ट्रेन से सफर करते थे. उन्हें मामूली होटलों में ठहराया जाता था. अब इसके उलट खिलाड़ी हवाई जहाज से यात्रा करते हैं. वे पांच सितारा होटलों में ठहरते हैं. 70 के दशक तक भी भारतीय क्रिकेटरों को हर मैच के लिए दो हजार रुपये के आसपास मिलते थे. 80 के दशक में प्रति टेस्ट मैच फीस पांच हजार से दस हजार रुपये तक पहुंची.
कांट्रैक्ट सिस्टम ने किया मालामाल
खिलाड़ियोंं की मैच फीस में तो लगातार बढोतरी होती रही, लेकिन खिलाड़ियों के खाते में उस समय बड़ी रकम आने लगी जब बीसीसीआई ने पहली बार एक अक्टूबर 2004 को क्रिकेटर कांट्रैक्ट सिस्टम लागू किया. तब देश के 17 शीर्ष खिलाड़ियों को ग्रेड सिस्टम ऑफर किया गया. सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ समेत सात क्रिकेटरों को ए ग्रेड दिया गया था. सात को बी ग्रेड और तीन को सी ग्रेड मिला.
तब हर ग्रेड में ऑफर की गई रकम ये थी
ग्रेड ए – 50 लाख रुपये
ग्रेड बी – 35 लाख रुपये
ग्रेड सी – 20 लाख रुपये
इसके साथ उस समय क्रिकेटरों को मैच में मिलने वाली फीस इस तरह थी
टेस्ट मैच – दो लाख रुपये (विदेश में 2.4 लाख रुपये)
वन-डे – 1.6 लाख रुपये ( विदेश में 1.85 लाख रुपये)
फिर कांट्रैक्ट में मिलने लगे 7 करोड़
समय के साथ बीसीसीआई ने कांट्रैक्ट सिस्टम में भी बढोतरी की. क्रिकेटरों के प्रदर्शन और पोजिशन के लिहाज से कुछ क्रिकेटरों को ए प्लस स्पेशल ग्रेड देने का फैसला किया गया. जिसके तहत क्रिकेटरों को सात करोड़ रुपये सालाना दिए जा रहे हैं. वेतन में तीन गुने से भी ज्यादा की बढ़ोतरी की गई.
ग्रेड ए प्लस – 07 करोड़ रुपये
ग्रेड ए – 05 करोड़ रुपये (पिछले कांट्रैक्ट में रकम 02 करोड़ रुपये)
ग्रेड बी – 03 करोड़ रुपये (पिछले कांट्रैक्ट में रकम 01 करोड़ रुपये)
ग्रेड सी – 01 करोड़ रुपये (पिछले कांट्रैक्ट में रकम 50 लाख रुपये)
इसके अलावा टेस्ट मैच खेलने पर एक क्रिकेटर को 15 लाख रुपये की रकम मिलने लगी तो एक दिवसीय और टी20 मैच खेलने पर छह लाख रुपये.