बिहार में भाजपा का प्रयास है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सभी 40 सीटों पर जीत हासिल करे इसलिए पार्टी ने नारा दिया है अबकी बार 40 हमार, मोदी संगे हमार बिहार। बिहार में इस बार भाजपा ने कुछ सीटों पर सांसदों के टिकट काट कर नये लोगों को मौका दिया है जिसका अच्छा प्रभाव देखने को मिल रहा है। हालांकि कुछ और सीटें ऐसी थीं जहां यदि उम्मीदवार को बदला जाता तो स्थिति और अच्छी हो सकती थी। भाजपा के पास पूरा फीडबैक है इसलिए पार्टी आलाकमान असंतोष व्यक्त कर रहे लोगों को मनाने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहा है। केंद्रीय गृहमंत्री जिस तरह यहां लगातार रैलियां और जनसभाएं कर रहे हैं और राज्य में अपने हर दौरे के दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठ कर वर्तमान चरण की तैयारियों की समीक्षा और आगे के चरण के लिए रोडमैप बना रहे हैं उससे बिहार भाजपा एकदम चुस्त दुरुस्त नजर आ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम आज भी बिहार में सबसे ज्यादा प्रभावी है।
यहां के लोग इस बात से बेहद प्रसन्न हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान तेजी से चलाया जा रहा है। हमने खासतौर पर पटना, पाटलिपुत्र, आरा, काराकाट और बक्सर संसदीय क्षेत्रों का दौरा कर जब वहां के हालात जाने तो एक चीज स्पष्ट हुई कि केंद्र की सभी योजनाओं का लाभ निचले स्तर तक लोगों को पहुँच रहा है जिसके चलते सभी लोग मोदी के मुरीद बने हुए हैं। हमने जब राम मंदिर को लेकर लोगों से बातचीत की तो सभी ने कहा कि मोदी जी ने वादा पूरा किया यह अच्छी बात है लेकिन राम मंदिर इस चुनाव में कोई मुद्दा नहीं है बल्कि मुद्दा यह है कि मोदी जो कहते हैं वह पूरा करते हैं या नहीं। प्रधानमंत्री के बारे में और स्थानीय उम्मीदवारों के बारे में जब हमने जनमत को टटोला तो वह सभी सीटों पर थोड़ा अलग नजर आया।
यदि काराकाट की बात करें तो यहां से एनडीए के उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा सिलेंडर चुनाव चिह्न पर मैदान में हैं। वह यहां से पहले भी सांसद और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। लेकिन जनता से सीधा जुड़ाव नहीं रखना उनके विरोध में जा रहा है। लोगों को उनका बार-बार पार्टी बदलना और अपनी नई पार्टी बना लेना भी नहीं भा रहा है लेकिन चूंकि काराकाट कुशवाहा बहुल है इसलिए उपेंद्र कुशवाहा को उम्मीद है कि वह एक बार फिर चुनाव जीत सकते हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके समर्थन में एक रैली को संबोधित कर चुके हैं। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी उनके लिए प्रचार किया। विपक्षी इंडिया गठबंधन ने यहां से राजाराम कुशवाहा को अपना उम्मीदवार बनाया है जिसके चलते कुशवाहा समाज के मत विभाजित हो सकते हैं। हम आपको बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान राष्ट्रीय जनता दल का यहां अच्छा प्रदर्शन रहा था और उसने इस संसदीय सीट की एक सीट छोड़कर बाकी पर विजय हासिल की थी। यहां चुनाव को त्रिकोणीय बनाते हुए भोजपुरी फिल्म स्टार पवन सिंह मैदान में हैं। उनके जनसंपर्क अभियान के दौरान जिस तरह की भीड़ उमड़ रही है उसको देखते हुए अन्य प्रत्याशियों के होश उड़े हुए हैं। पवन सिंह के साथ युवा खासी तादाद में हैं। इन युवाओं पर उपेन्द्र कुशवाहा ने एक ऐसी टिप्पणी कर दी है जिसके चलते युवा वर्ग उनसे और नाराज हो गया है। जब हमने कई गांवों का दौरा कर लोगों से बातचीत की तो अधिकांश लोगों ने कहा कि हम पवन सिंह का साथ देंगे क्योंकि हम बदलाव चाहते हैं। लोगों ने कहा कि पहले हमारे पास विकल्प नहीं था इसलिए हम एनडीए या इंडिया गठबंधन में से ही किसी को चुनते थे लेकिन इस बार हमारे पास अच्छा विकल्प है। कई लोगों ने कहा कि वह चूंकि पवन सिंह के फैन हैं इसलिए उनको ही वोट देंगे। इन लोगों ने यह माना कि मोदी सरकार की योजनाओं का लाभ यह ले रहे हैं लेकिन वोट पवन सिंह को देंगे। उन्होंने कहा कि हम मोदी जी के खिलाफ नहीं हैं और यदि चुनाव बाद पवन सिंह मोदी जी के साथ चले जायें तो भी हमको कोई दिक्कत नहीं है, बस हम तो उन्हें एक मौका देना चाहते हैं। हम आपको बता दें कि काराकाट में दो लाख के आसपास राजपूत हैं और पवन सिंह को उम्मीद है कि यह सारा वोट तो उनको मिलेगा ही साथ ही अन्य समाज का भी समर्थन उन्हें मिलेगा।
जब हमने आरा और बक्सर संसदीय क्षेत्रों का दौरा किया तो पाया कि आरा में आरके सिंह के आगे कोई किसी अन्य प्रत्याशी की बात भी नहीं कर रहा है। लोगों ने बताया कि केंद्रीय मंत्री और भाजपा उम्मीदवार आरके सिंह जिस ईमानदारी के साथ काम कर रहे हैं और जिस तरह उन्होंने गांवों में विकास कार्य कराये हैं उससे लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव आया है इसलिए लोग उन्हीं का साथ देंगे। लोगों ने बताया कि यहां नक्सलवाद की समस्या थी, बिजली नहीं आती थी, सड़कें खराब थीं और स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं थीं लेकिन आज हालात एकदम बदल चुके हैं। यहां हमने कई लोगों से बातचीत की और सभी ने एक स्वर में अबकी बार 400 पार का नारा लगाया। वहीं बक्सर में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे का टिकट काटने वाली भाजपा ने जल्द ही असंतोष पर काबू पा लिया और यह सीट भी एक बार फिर भाजपा के खाते में ही जाती दिख रही है।
इसी प्रकार जब हमने पटना साहिब और पाटलिपुत्र का दौरा किया तो यहां भी पलड़ा भाजपा के पक्ष में ही झुका नजर आया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पटना में जब रोड शो किया था तो उसमें भारी भीड़ जुटी थी। पटना साहिब संसदीय क्षेत्र वैसे भी भाजपा का गढ़ रहा है। पाटलिपुत्र में एक बार फिर मुकाबला राम कृपाल यादव और लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती के बीच है। लेकिन ऐसा लगता है कि मीसा भारती हार की हैट्रक लगाने जा रही हैं क्योंकि राम कृपाल यादव हर जगह बढ़त लिये हुए दिखे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब पाटलिपुत्र में रैली को संबोधित किया तो उन्होंने सीधे निशाने पर लालू परिवार को ही रखा था। इस रैली में प्रचंड गर्मी के बावजूद जिस बड़ी संख्या में लोग उमड़े थे वह अभूतपूर्व था।
बहरहाल, यह सही है कि तेजस्वी यादव की सभाओं में भी अच्छी खासी भीड़ उमड़ रही है लेकिन इंडिया गठबंधन को लोकसभा चुनावों से ज्यादा उम्मीदें नहीं रखनी चाहिए। इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस की बात करें तो हाल के चरणों में तो पार्टी का कोई बड़ा नेता प्रचार के लिए ही नहीं आया। यहां प्रचार का सारा भार तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी ने ही उठा रखा है। लेकिन वह गंभीरता के साथ प्रचार करने की बजाय अपने वीडियो को वायरल कराने का प्रयास करते ज्यादा नजर आये। नीतीश कुमार ने भी काफी शिद्दत से प्रचार किया जिससे वह विपक्ष के उन आरोपों का जवाब दे सकें जिसके तहत कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री का स्वास्थ्य अब ठीक नहीं रहता है। इस बार के चुनाव की खास बात यह रही कि एआईएमआईएम के नेता असद्दुदीन ओवैसी को कोई ज्यादा तवज्जो देता नहीं दिखा। देखना होगा कि जीतन राम मांझी ने गया से लोकसभा चुनाव लड़ कर केंद्र की राजनीति में जो कदम रखा है वह उन्हें आगे कहां तक ले जाता है और लोजपा के चाजा-भतीजे के बीच चुनावों के दौरान बंद रहा वाकयुद्ध क्या परिणाम के बाद दोबारा शुरू होता है? यह चुनाव परिणाम तेजस्वी यादव के बिहार की राजनीति में कद को भी निर्धारित करेंगे क्योंकि जहां एक ओर सत्ता पक्ष की तरफ से कई बड़े नेताओं ने प्रचार किया वहीं विपक्ष के स्टार प्रचारक के रूप में तेजस्वी ही छाये रहे। उन्होंने ना सिर्फ जनसभाओं को संबोधित किया बल्कि सोशल मीडिया पर भी लगातार सत्ता पक्ष के हमलों का जवाब देते रहे।