उत्तर प्रदेश में अब शादी करने वाले नए कपल्स को मिलने वाले गिफ्ट की सूची रजिस्ट्रेशन के लिए देनी होगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश के बाद प्रदेश सरकार ने इस नियम को अब लागू कर दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस डी विक्रम सिंह चौहान ने कहा कि दहेज से जुड़े फर्जी मुकदमों से बचने के लिए दहेज निषेध अधिनियम को लागू किया जाना जरूरी है. कोर्ट ने कहा कि शादी में दिए गए उपहारों की लिस्ट बनाई जानी चाहिए और उस लिस्ट पर दोनों पक्षों की सहमति होनी चाहिए.
दोनों पक्षों की सहमति को से दिए गए शपथ पत्र से भविष्य में होने वाले विवाद से आसानी से निपटारा किया जा सके और अनावश्यक मुकदमों से समय की बचत की जा सके. कोर्ट ने कहा कि इस तरीके से विवाद की स्थित में दोनों पक्षों के बीच आसानी से निपटारा किया जा सकेगा.
रजिस्ट्रेशन के लिए क्या-क्या है जरूरी?
इलाहाबाद हाईकोर्ट के बाद जारी किए गए निर्देश के बाद अब पूरे प्रदेश में शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए गिफ्ट के लिस्ट की आवश्यकता होगी. इस लिस्ट में पति और पत्नी का सिग्नेचर हुआ रहे. रजिस्ट्रेशन अधिकारी दीपक श्रीवास्तव ने कहा कि शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए शादी का कार्ड, आधार कार्ड, हाई स्कूल की मार्कशीट और दो गवाह होने चाहिए. दीपक श्रीवास्तव ने कहा कि अगर दूल्हा पक्ष के लोगों ने दहेज नहीं लिया है तो इसके शपथ पत्र भी रजिस्ट्रेशन के दौरान जमा किया जाना चाहिए.
प्रदेश में इस नियम को लागू करने से शादी के बाद विवाद होने पर दहेज के फर्जी मामलों से बचा जा सकेगा. कोर्ट के इस आदेश के बाद अब दहेज और गिफ्ट में आसानी से अंतर किया जा सकेगा. अगर वर पक्ष ने दहेज लिया होगा तो उसका शपथ पत्र भी कोर्ट को देना होगा. कोर्ट में दहेज के मामले बढ़ रहे हैं, जिससे कोर्ट का जरूरी समय बर्बाद हो रहा है. फर्जी मामलों के कारण जरूरी लंबित पड़े मामलों पर गौर करना मुश्किल होता जा रहा है.