सीएम नीतीश पड़े सुस्त तो पीएम मोदी ने संभाला मोर्चा, बिहार पर इतना फोकस क्यों?

सीएम नीतीश पड़े सुस्त तो पीएम मोदी ने संभाला मोर्चा, बिहार पर इतना फोकस क्यों?

लोकसभा चुनाव में बिहार पर सभी की निगाहें टिकी हुई है. यहां पर बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच कांटे की लड़ाई है. इंडिया गठबंधन की तरफ से बिहार में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मोर्चा संभाल रखा है तो एनडीए की ओर से पीएम मोदी खुद एक्टिव हैं और धुआंधार प्रचार कर रहे हैं. चुनाव ऐलान के बाद पीएम मोदी ने जमुई से मिशन-2024 की शुरुआत की थी, उसके बाद से अभी तक बिहार में 10 जनसभाएं कर चुके हैं. एक फिर से वो बिहार के चुनावी दौरे पर हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को बिहार के मोतिहारी और सीवान में एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में जनसभा संबोधित करेंगे. इन दो रैलियों के साथ पीएम मोदी सूबे में 2019 के लोकसभा चुनाव में हुई अपनी रैलियों का रिकॉर्ड तोड़ देंगे. 4 अप्रैल से अभी तक पीएम मोदी की 10 जनसभा हो चुकी हैं. इसके अलावा पटना में एक रोड शो भी कर चुके हैं. इतना ही नहीं पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने एक सप्ताह के भीतर दो बार बिहार में रात स्टे किया है. इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि पीएम मोदी इस बिहार को लेकर कितने गंभीर हैं.

बिहार के बदले हुए सियासी माहौल के बीच लोकसभा चुनाव हो रहे हैं. सूबे की कुल 40 लोकसभा सीटें है, जिसमें 39 सीटें एनडीए जीतने में कामयाब रहा था. एक सीट कांग्रेस को मिली थी जबकि आरजेडी अपना खाता नहीं खोल सकी थी. बीजेपी ने इस बार जेडीयू से लेकर चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी तक से हाथ मिला रखा है तो विपक्षी खेमे में कांग्रेस, आरजेडी, वामपंथी दल और मुकेश सहनी एक साथ हैं. इस तरह बिहार में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है. यही वजह है कि पीएम मोदी किसी तरह का कोई जोखिम नहीं उठाना चाह रहे हैं.

सीएम सुस्त तो पीएम चुस्त

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बार चुनाव प्रचार में सुस्त दिखाई पड़ रहे हैं. बीच में बीमार भी हो गए थे. 2019 के मुकाबले में वो जनसभा भी कम कर रहे हैं. वहीं, विपक्षी खेमे से चुनाव प्रचार की कमान तेजस्वी यादव ने संभाल रखी है और तबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं. लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव की जोड़ी को चुनौती देने के लिए पीएम ने खुद मोर्चा संभाल रखा है.पीएम मोदी एक सप्ताह में दूसरी बार बिहार आए हैं और लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद पीएम मोदी का यह सातवां बिहार दौरा है.

मोदी की बिहार में एक दर्जन रैली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में पूरी ताकत झोंक दी है. लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद पीएम मोदी ने बिहार में अपनी पहली जनसभा जमुई में किया. इसके बाद 7 अप्रैल को नवादा में जनसभा किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 अप्रैल को गया और पुर्णिया में रैली किया. 26 अप्रैल को नरेंद्र मोदी ने अररिया और मुंगेर में जनसभा किया. इसके बाद 4 मई को दरभंगा में जनसभा किया तो 12 मई को पटना में रोड शो करके सियासी माहौल बनाने की कोशिश की. पीएम मोदी ने 13 मई को हाजीपुर, सारण और मुजफ्फरपुर में रैली किया. इस कड़ी में अब 21 मई को सीवान और मोतिहारी में जनसभा करेंगे.

राजनीतिक विश्लेषक भी मान रहे हैं कि इस बार के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार फ्रंट पर खेलते नहीं दिख रहे हैं. यही कारण है कि प्रधानमंत्री बिहार में इस बार अधिक जनसभा और कार्यक्रम कर रहे हैं. पीएम मोदी बीजेपी उम्मीदवारों के पक्ष में ही नहीं बल्कि जेडीयू और बाकी सहयोगी दलों की सीटों पर भी जनसभाएं करके माहौल बना रहे हैं. बिहार एनडीए में पहली बार ऐसा दिख रहा है कि नीतीश कुमार के हाथ में एनडीए की कमान नहीं है बल्कि यह कमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ में है. इसीलिए पीएम मोदी ने पूरी ताकत झोंक दी है.

2019 में पीएम मोदी ने की थीं कुल 11 जनसभाएं

2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी 9 बार बिहार आए थे और कुल 11 जनसभाएं की थीं. एनडीए ने बिहार की 40 में से 39 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. इस बार पीएम मोदी 10 जनसभा कर चुके हैं, सातवीं बार बिहार आए हैं. मंगलवार को मोतिहारी और सिवान मेंदो जनसभा और करेंगे, जिसके बाद 12 जनसभा हो जाएगी. बीजेपी नेताओं की माने तो अंतिम दो चरण के लिए प्रधानमंत्री की चार सभा प्रस्तावित है. इस तरह कुल 16 जनसभाएं इस बार पीएम मोदी की बिहार में हो सकती है.

इंडिया गठबंधन 2024 का लोकसभा चुनाव संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर लड़ रहा है. तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव बिहार में संविधान और आरक्षण को लेकर उसी तरह का माहौल बना रहे हैं, जिस तरह से 2015 के विधानसभा चुनाव में बनाया था. बिहार की सियासत पूरी तरह से जातियों के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है और ओबीसी व दलित वोटर काफी निर्णायक है. तेजस्वी यादव एक दिन में पांच-पांच जनसभाएं कर रहे हैं. बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा कठिन राज्यों में बिहार का नाम आता है. ऐसे में पीएम मोदी ने विपक्षी के जातीय पॉलिटिक्स के नैरेटिव को तोड़ने के लिए खुद कमान संभाल रखी है. देखना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में 2019 वाला नतीजा एनडीए दोहरा पाती है कि नहीं?

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