20 वर्षों में पहली बार, हैदराबाद लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 10 लाख को पार कर गई है। इसके बाद दो प्रमुख दल - एआईएमआईएम और भाजपा - संभावित परिणाम पर अपनी-अपनी गणना कर रहे हैं। हैदराबाद में 2019 के संसदीय चुनाव की तुलना में 13 मई के चुनाव में लगभग दो लाख अधिक वोट पड़े। सटीक कहें तो तीन दिन पहले हुए चुनाव में मिले 1,96,886 लाख से अधिक वोटों ने राजनीतिक हलकों में यह बहस छेड़ दी है कि इस बार मतदाता किस ओर मुड़ गए हैं।
कुल मिलाकर, 2019 के चुनावों में 8,77,941 के मुकाबले इस बार 10,74,827 वोट पड़े और पिछले चुनाव में 44.84 के मुकाबले मतदान प्रतिशत बढ़कर 48.48 हो गया। एआईएमआईएम अध्यक्ष और मौजूदा सांसद असदुद्दीन ओवैसी, भाजपा उम्मीदवार के माधवी लता, मुस्लिम और नागरिक समाज संगठनों और चुनाव आयोग सहित सभी नेताओं ने लोगों से बाहर आने और मतदान करने की कई अपील की। ओवैसी और लता दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप कर प्रचार अभियान और राजनीतिक गर्मी बढ़ा दी।
विशेषज्ञों ने कहा कि लता के धनुष और तीर का इशारा प्रतीकात्मक रूप से एक मस्जिद की ओर था, ओवैसी ने यूसीसी, एनआरसी, एनपीआर, पीएम मोदी की मंगलसूत्र टिप्पणी और मुसलमानों के भविष्य के मुद्दे उठाए और भाजपा सांसद नवनीत कौर राणा की 15 सेकंड वाली टिप्पणी ने लड़ाई को दिलचस्प बना दिया और लोगों को बाहर आकर अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया। तेलंगाना में 13 मई को राज्य की 17 लोकसभा सीट के लिए शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए चुनाव में 64.93 प्रतिशत मतदान हुआ है। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।