बिहार की राजनीति का मशहूर चेहरा सुशील मोदी अब इस दुनिया में नहीं रहे है। दशकों तक बिहार की राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखने वाले सुशील मोदी ने कभी किसी के सामने घुटने नहीं टेके मगर वो मौत के आगे जीवन हार गए। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और पूर्व राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी का 13 मई को निधन हो गया है। उन्होंने दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली है। उनकी उम्र 72 वर्ष थी। दिल्ली स्थित एम्स में उनका कैंसर का इलाज जारी था। निधन के बाद बताते हैं कि एक बार सुशील कुमार मोदी ने प्यार की खातिर राजनीति तक को छोड़ने का फैसला किया था।
बिहार के लड़के को मुंबई की लड़की से प्यार हो गया था। दोनों की मुलाकात तब हुई जब वो मुंबई से दिल्ली आने के लिए ट्रेन में चढ़े मगर 1400 किलोमीटर का ये सफर उनके जीवन को बदल गया। ये सफर ऐसा रहा जिसने उनके जीवन के सफर की पूरी तस्वीर बदलकर रख दी। ये पूरा किस्सा है सुशील कुमार मोदी और उनकी पत्नी जेसी जॉर्ज के बारे में।
सुशील मोदी वर्ष 1985 में पहली बार जेसी जॉर्ज से मिले थे। ये वो समय था जब सुशील मोदी पटना विश्वविद्यालय में पढ़ते थे और एबीवीपी के सक्रिय सदस्य भी थे। एबीवीपी में होने के कारण वो कई यात्राएं करते थे। वहीं जेसी जॉर्ज हिस्ट्री में पीएचडी कर रही थी। दोनों ही सेकेंड क्लास में यात्रा कर रहे थे और दोनों की बातचीत शुरू हो गई। दोनों को एक दूसरे के साथ बातचीत पसंद आई। दोनों की बातचीत आगे प्यार में तब्दील हो गई। दोनों अलग अलग धर्मों से थे, मगर साथ जीने मरने की कसमें खा चुके थे। मगर शादी करना दोनों के लिए मुश्किल था क्योंकि दोनों अळग धर्मों से आते थे। दोनों की भाषा और रीति रिवाज भी अलग थे। दोनों के लिए इन समस्याओं को हटाकर एक होना मुश्किल हो रहा था।
दोनों का प्यार लगातार परवान चढ़ रहा था और दोनों शादी करने के लिए पूरी तरह से तैयार थे। वहीं दूसरी तरफ सुशील मोदी लगातार आरएसएस से भी जुड़े हुए थे। शादी करने के लिए उन्हें राजनीति को छोड़ना था और उन्होंने वैसा ही किया। प्यार और राजनीति के बीच उन्होंने प्यार को चुना और 1986 में आरएसएस छोड़कर जेसी जॉर्ज से शादी की। इस शादी में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे।
शादी होने के बाद उन्होने राजनीति से दूरी बनाई। उन्होंने कंप्यूटर इंस्टीट्यूट खोला मगर उनका मन इस काम में नहीं लगा। राजनीति में वर्षों तक रहने वाले सुशील मोदी खुद को राजनीति से अधिक समय तक दूर नहीं रख सके और 1990 में विधान सभा पहुंचे। सुशील मोदी इसके बाद पूर्व उपमुख्यमंत्री बनें और उनकी पत्नी कॉलेज में लेक्चरर थी। दोनों ने ऐसे समय में अंतर्जातीय विवाह किया था, जिसकी मंजूरी आज भी कई जगहों पर नहीं दी जाती है।