पतंजलि विज्ञापन केस में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने IMA अध्यक्ष डॉ. आरवी अशोकन को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने IMA के अध्यक्ष अशोकन को फटकार लगाते हुए कहा की आपने इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल क्यों किया. ये बेहद दुर्भागपूर्ण है की आपने भी वही किया जो दूसरे पक्ष ने किया.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को IMA प्रेसिडेंट डॉ. आरवी अशोकन ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया था. डॉ. अशोकन ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के अस्पष्ट बयानों ने प्राइवेट डॉक्टरों का मनोबल कम किया है. कोर्ट ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी और उन्हें नोटिस जारी कर 14 मई तक जवाब मांगा था.
IMA अध्यक्ष अशोकन ने बिना शर्त माफी मांगी
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में आज कहा कि आप जानते थे कि आप क्या कर रहे हैं. आप अपने काउच पर बैठ कर कोर्ट के बारे में कुछ भी नही कह सकते हैं. आप इस मामले में पक्ष है उसके बाद भी. हम आपके हलफनामे से संतुष्ट नहीं हैं. ये बेहद दुर्भागपूर्ण है. वहीं अदालत मे मौजूद IMA अध्यक्ष ने अपने इंटरव्यू पर सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी है.
कोर्ट ने आगे कहा कि आप IMA के अध्यक्ष हैं. IMA के 3 लाख 50 हजार डॉक्टर सदस्य हैं. किस तरह की आप लोगों पर अपनी छाप छोड़ना चाहते हैं. आपने पब्लिक में माफी नामी क्यों नही मांगी. आपने पेपर में माफीनामे क्यों नही छपवाया. आप एक जिम्मेदआर व्यक्ति हैं. आपको जवाब देना होगा. आपने 2 हफ़्ते में कुछ नहीं किया. आपने जो इंटरव्यू दिया उसके बाद क्या किया. हम आपसे जानना चाहते हैं. ये हमे बेहद चौंकाने वाला लगा. आपने जो लंबित मामले में कहा, जबकि आप पक्ष में थे. आप देश के नागरिक हैं. क्या देश में जज फैसले के लिए क्रिटिसिज्म नहीं सहते. लेकिन हम कुछ नही कहते क्योंकि हमारे में अहंकार नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या की थी टिप्पणी
मालूम हो कि पतंजलि विज्ञापन केस मामले में 23 अप्रैल की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि IMA को अपने डॉक्टरों पर भी विचार करना चाहिए, जो अक्सर मरीजों को महंगी और गैर-जरूरी दवाइयां लिख देते हैं. अगर आप एक उंगली किसी की ओर उठाते हैं, तो चार उंगलियां आपकी ओर भी उठती हैं.