दिल्ली की एक अदालत ने कथित उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से संबंधित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर मामले में मंगलवार को पूर्व उपमुख्यमंत्री और आप नेता मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 15 मई तक बढ़ा दी। दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देशानुसार सीबीआई मामले में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने पर सुनवाई 15 मई तक के लिए टाल दी गई है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से पूर्व डिप्टी सीएम की गिरफ्तारी से पहले और बाद में दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाले पर केस फाइलें पेश करने को कहा।
दिल्ली सरकार में उत्पाद शुल्क मंत्री रह चुके सिसोदिया को मामले के सिलसिले में पिछले साल 26 फरवरी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। सिसोदिया ने 28 फरवरी, 2023 को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। बाद में उन्हें मार्च 2023 में अब समाप्त हो चुकी नीति से जुड़े मनी-लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले तीन मई को दिल्ली उच्च न्यायालय ने आबकारी नीति में कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार एवं धनशोधन मामलों में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जवाब मांगा था।
न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा ने निचली अदालत के 30 अप्रैल के आदेश को चुनौती देने वाली सिसोदिया की याचिकाओं पर सीबीआई और ईडी को नोटिस जारी किया था। निचली अदालत ने उनकी जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं। मामले की सुनवाई आठ मई तक के लिए स्थगित कर दी गई है। सिसोदिया ने एक अंतरिम आवेदन में अदालत से अनुरोध किया था कि वह निचली अदालत के उस आदेश को बरकरार रखे, जिसमें उन्हें अपनी याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान हिरासत में रहते हुए बीमार पत्नी से सप्ताह में एक बार मिलने की अनुमति दी गई थी। ईडी के वकील ने कहा कि अगर निचली अदालत का आदेश बरकरार रखा जाता है तो जांच एजेंसी को कोई आपत्ति नहीं है। इसके बाद न्यायमूर्ति शर्मा ने अनुरोध स्वीकार कर लिया।