वाशिंग मशीन के आविष्कार से इंसान को कपड़े धोने के झंझट से छुटकारा तो मिल गया, लेकिन तरह-तरह के मॉडल और टाइप वाले वाशिंग मशीन आज भी लोगों को कन्फ्यूजन में डाल देते हैं. मार्केट जाओ तो टॉप लोड और फ्रंट लोड वाशिंग मशीन में भी कई तरह के मॉडलों से आपका सामना होता है. सिर्फ इतना ही नहीं, इन दोनों वाशिंग मशीन के लिए कंपनियां डिटर्जेंट भी अलग-अलग इस्तेमाल करने के लिए कहती हैं. ऐसे में वाशिंग मशीन खरीदने वाले लोग भारी माथापच्ची में पड़ जाते हैं. अगर आपको भी जानना है कि टॉप लोड और फ्रंट लोड का डिटर्जेंट अलग-अलग क्यों होता है, तो चलिए इस उलझन को सुलझाते हैं.
फ्रंट और टॉप लोड वाशिंग मशीन में क्या है अंतर?
फ्रंट लोड यानी जिस वाशिंग मशीन का ढक्कन ऊपर की तरफ होता है. इसमें कपड़ो को धोने वाला मोटर नीचे बेस में लगा होता है. यह मोटर काफी ताकतवर होता है जो कपड़ों की सफाई करने वाले ब्लेड को तेजी से घुमाता है. इस वाशिंग मशीन में ज्यादा कपड़े धुले जा सकते हैं और ये फ्रंट लोड के मुकाबले सस्ती भी होती हैं. लेकिन इनमें पानी और डिटर्जेंट ज्यादा लगता है.
वहीं फ्रंट लोड वाशिंग मशीन में ढक्कन ऊपर नहीं बल्कि सामने की तरफ होता है. एक्सपर्ट्स की मानें तो इसमें धुलाई टाॅप लोड के मुकाबले बेहतर होती है. फ्रंट लोड में पानी भी कम लगता है और इसमें कम डिटर्जेंट में भी काम चल जाता है. ये कपड़ों को धोने में आवाज भी कम करती है और इनका डिजाइन भी बेहतर होता है.
समझें डिटर्जेंट का अंतर
अब फ्रंट लोड में पानी की जरूरत कम होती है तो इसमें कम झाग वाले डिटर्जेंट का इस्तेमाल होता है. वहीं टाॅप लोड में पानी की अधिक जरूरत होती है तो इसमें ज्यादा झाग पैदा करने वाले डिटर्जेंट का उपयोग करने को कहा जाता है. अगर उल्टा कर दिया तो दिक्कत हो जाएगी। मतलब टॉप लोड में डिटर्जेंट कम पड़ेगा तो फ्रंट लोड में ज्यादा रह जाएगा. नतीजा कपड़ों की धुलाई ढंग से नहीं होगी.
इसलिए कंपनिया मशीन के हिसाब से डिटर्जेंट इस्तेमाल करने की सलाह देती हैं. आप भी इस तरीके को अपनाकर कपड़े घोना आसान बना सकते हैं. तो कपड़े और बाथरूम दोनों की सफाई का ध्यान रखिए.