बसंतगढ़। आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में जान गंवाने वाले ग्राम रक्षा गार्ड (वीडीजी) मोहम्मद शरीफ को सोमवार को जम्मू-कश्मीर के उनके पैतृक गांव में बारिश के बीच गमगीन माहौल में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। उनकी पांच नाबालिग बेटियों, पत्नी और मां के उचित पुनर्वास के लिए राहत पैकेज की मांग की गई है। सीमा पार से हाल में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों के एक समूह ने बसंतगढ़ के पनारा गांव में रविवार तड़के पुलिस और वीडीजी के संयुक्त गश्ती दल पर हमला कर दिया था जिसमें 47 वर्षीय शरीफ की जान चली गई।
बसंतगढ़ थाने में पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद रविवार शाम को पार्थिव देह को उनके परिवार को सौंप दिया गया। जम्मू क्षेत्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आनंद जैन ने मुठभेड़ के दौरान आतंकवादियों से वीरता से लड़ने के लिए शरीफ को श्रद्धांजलि अर्पित की। फरार हुए आतंकवादियों का पता लगाने और उन्हें मार गिराने के लिए घने जंगल में पुलिस, सेना और अर्धसैनिक बलों का व्यापक तलाशी अभियान जारी है। भारी बारिश के बावजूद वीडीजी सदस्यों सहित गांव और आसपास के क्षेत्रों के सैकड़ों स्थानीय लोग उनकी नमाज़-ए-जनाज़ा (मृतक की आत्मा की शान्ति के लिए पढ़ी जाने वाली नमाज़) में शामिल हुए जिसके बाद उन्हें उनके पैतृक कब्रिस्तान में दफनाया गया।
गमगीन लोग परिवार के प्रति सहानुभूति व्यक्त करने के लिए शरीफ के घर के बाहर जमा हुए और उम्मीद जताई कि सरकार उस गरीब परिवार के लिए पुनर्वास पैकेज की घोषणा करेगी जिसने कमाने वाला अपना एकमात्र शख्स खो दिया है। शरीफ की पत्नी फातिमा बेगम ने कहा कि उन्हें देश के लिए अपने पति के बलिदान पर गर्व है लेकिन उनके जाने दुख भी है। उन्होंने कहा, “ मेरी पांच नाबालिग बेटियों की देखभाल अब कौन करेगा?” उनके पास उनकी पांच से 15 साल की बेटियां बैठी थीं और वे भी गम में थीं। बेगम ने कहा कि वह परिवार के लिए नाश्ता बना रही थीं जब शरीफ आए और उनसे कहा कि वह एक अभियान के लिए जा रहे हैं।
शरीफ की रिश्तेदार नसीमा बानो ने कहा कि अब यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह उस गरीब परिवार की देखभाल करे जिसने अपना कमाने वाला शख्स खो दिया है। बानो ने कहा, “उन्होंने देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया और हमें उनके बलिदान पर गर्व है। लेकिन उनका जाना दर्दनाक भी है और उनकी पत्नी, पांच नाबालिग बेटियों और बुजुर्ग मां के लिए चिंता का कारण है। सरकार को आगे आकर परिवार को आश्वस्त करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि उन्हें गोलीबारी के बारे में पता चला और उन्होंने शरीफ से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन “किसी पुलिसकर्मी ने फोन उठाया और कहा कि उन्हें गोली लगी है। वास्तविकता यह थी कि उनकी मौत हो चुकी थी और उन्हेंकम से कम छह गोलियां लगी थीं।” शरीफ के भाई और वीडीजी सदस्य मोहम्मद अबाज़ ने कहा कि वे एक साथ थे जब क्षेत्र गश्त के दौरान आतंकवादियों ने उन पर गोलीबारी की। उन्होंने कहा कि यह मुठभेड़ 15 साल से अधिक समय के अंतराल के बाद हुई है।