लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी पार्टियां पूरी तरह से तैयारी है और जमकर प्रचार प्रसार में लगी हुई है. उत्तर प्रदेश में इस बार का चुनाव काफी दिलचस्प होने जा रहा है. सूबे में बीजेपी इंडिया गठबंधन और बहुजन समाज पार्टी मैदान में हैं. अपनी खोई हुई साख को वापस पाने के लिए सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री और बीएसपी प्रमुख हर मुमकिन कोशिश कर रही हैं. इसके लिए वह हर दांव पेंच आजमा रही हैं. यहां तक कि उन्होंने सत्ता आने के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश को एक अलग राज्य बनाने की बात भी कह डाली.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने के ऐलान पर केंद्रीय मंत्री और मुजफ्फरनगर से बीजेपी उम्मीदवार संजीव बालियान का बयान सामने आया है. उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा कि उन्होंने ( मायावती) अच्छी बात कही है, लेकिन ऐसा करने के लिए उन्हें मौका नहीं मिलेगा. बालियान ने कहा कि पीएम मोदी को जनता का अपार समर्थन मिल रहा है. जनता ने उन्हें एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनाने का मन बना लिया है. उन्होंने कहा कि अगर विपक्षी उम्मीदवार से पूछोगे तो वह भी यही कहेंगे कि सरकार तो नरेंद्र मोदी की ही बनेगी.
‘RLD से गठबंधन से पार्टी को मिली मजबूती’
इसके साथ ही संजीव बालियान ने किसी भी एंटी इनकंबेंसी से साफ इनकार किया. उन्होंने कहा कि जब से मोदी जी आए हैं एंटी नहीं प्रो इनकंबेंसी है. हमने जो काम किया है, उसके आधार पर हम लोगों के पास जा रहे हैं. पार्टी के आरएलडी के साथ गठबंधन के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने गठबंधन किया है इससे पार्टी को और भी मजबूती मिली है. इसके साथ ही बीजेपी उम्मीदवार ने ये भी कहा कि जिस तरह का चुनावी माहौल साल 2019 के समय था उसी तरह का माहौल इस बार भी है.
मायावती ने चला पश्चिम UP को अलग राज्य बनाने का दांव
आपको बता दें क क्षेत्र में अपने लोकसभा चुनाव अभियान की शुरुआत करते हुए बीएसपी प्रमुख मायावती ने रविवार को मुजफ्फरनगर में पार्टी के प्रत्याशी दारा सिंह प्रजापति के समर्थन में रैली की थी. यहां जीआईसी मैदान में उन्होंने एक चुनावी रैली को संबोधित किया था. इस दौरान उन्होंने मंच से ऐलान किया कि अगर केंद्र में उनकी सरकार आती है तो वह पश्चिम उत्तर प्रदेश को एक अलग राज्य बनाने के लिए ठोस कदम उठाएंगी.
इस दौरान मायावती ने समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बीजेपी पर जमकर हमला बोला हमला किया. मायावती ने कहा कि पश्चिमी यूपी में खासतौर पर मुजफ्फरनगर जिले में उन्होंने कोई भी दंगा नहीं होने दिया. सपा ने अपनी सरकार के दौरान मुस्लिम और जाट भाईचारो को तोड़ने की कोशिश की. लेकिन उन्होंने कभी भी जाट समाज को उपेक्षित नहीं किया.