बसपा ने जारी की 9 उम्मीदवारों की लिस्ट, निरहुआ के खिलाफ भीम राजभर, सीएम योगी के गढ़ से किसे

बसपा ने जारी की 9 उम्मीदवारों की लिस्ट, निरहुआ के खिलाफ भीम राजभर, सीएम योगी के गढ़ से किसे

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में अपने 9 और उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी. ये बसपा के उम्मीदवारों की चौथी सूची है. पार्टी ने आजमगढ़ लोकसभा सीट से बीजेपी के दिनेश लाल यादव (निरहुआ) और समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव के खिलाफ प्रदेश अध्यक्ष रहे भीम राजभर को उतारा है. वहीं, फैजाबाद से पार्टी ने ब्राह्मण उम्मीदवार सच्चिदानंद पांडे को टिकट दिया है, जबकि घोसी सीट से पूर्व बसपा सांसद बालकृष्ण चौहान को चुनावी अखाड़े में उतारा है.

बसपा ने धौरहा से श्याम किशोर अवस्थी, एटा से मोहम्मद इरफान, फैजाबाद से सच्चिदानंद पांडे, बस्ती से दयाशंकर मिश्र, गोरखपुर से जावेद सिमनानी, चंदौली से सत्येन्द्र कुमार मौर्य और राबर्ट्सगंज से धनेश्वर गौतम को टिकट दिया है. इससे पहले 3 अप्रैल को पार्टी ने 12 उम्मीदवारों का ऐलान किया था, जिसमें गाजियाबाद से नंद किशोर पुंडीर और लखनऊ से सरवर मलिक को मैदान में उतारा था.

आजमगढ़ में हुई दिलचस्प लड़ाई

बसपा की नई लिस्ट में आजमगढ़ से भीम राजभर को उतारे जाने के बाद यहां लड़ाई दिलचस्प हो गई है. इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है. पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में समाजवादी पार्टी और बसपा मिलकर एक साथ चुनाव लड़े थे और अखिलेश यादव चुनकर संसद पहुंचे थे. इसके बाद यूपी विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों की राहें अलग हो गईं और अखिलेश ने आजमगढ़ सीट को छोड़ विधानसभा चुनाव लड़ा. आजमगढ़ से अखिलेश के इस्तीफे के बाद यहां उपचुनाव करवाए गए.

आजमगढ़ लोकसभा सीट पर उपचुनाव में सपा, बसपा ने अपने अलग-अलग प्रत्याशी उतारे, जिसका फायदा बीजेपी को हुआ और उसके उम्मीदवार दिनेश लाल यादव ने जीत हासिल की. सपा के दिग्गज नेता धर्मेंद्र यादव की हार हुई. इस बार भी बसपा के प्रत्याशी उतारे जाने के बाद यहां मुकाबला बेहद टफ हो गया है.

मायावती नहीं जारी करेंगी घोषणापत्र

बता दें कि देश में 543 लोकसभा सीटों के लिए 19 अप्रैल से सात चरणों में चुनाव होंगे और वोटों की गिनती 4 जून को होगी. बीजेपी का दावा है कि वह उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटें जीतकर क्लीन स्वीप करने जा रही है. यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने हाल ही में विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा था कि देश की राजनीति में 2047 तक अखिलेश यादव, राहुल गांधी, मायावती या किसी भी विपक्षी नेता के लिए कोई जगह नहीं है. वहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती का कहना है कि उनकी पार्टी चुनाव घोषणापत्र जारी नहीं करती है क्योंकि वह सिर्फ बयानबाजी में नहीं बल्कि काम करने में विश्वास रखती है.

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