उत्तर प्रदेश में प्रथम चरण के मतदान में दस दिन का समय बचा है। 17 अप्रैल को चुनाव प्रचार थम जायेगा और 19 अप्रैल को मतदान होगा। प्रथम चरण में पश्चिमी यूपी की आठ सीटों सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर और पीलीभीत पर मतदान होना है, जिसमें बीजेपी के संजीव बालियान, जितिन प्रसाद की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से फिर मैदान में उतरे हैं। वह दो बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। इस बार उनका इरादा तो हैट्रिक लगाने का है, लेकिन इसमें वह कितना सफल होंगे, यह परिणाम बताएंगे। लोकसभा चुनाव के पहले चरण में प्रदेश की जिन सीटों पर मतदान होगा, उन पर ताल ठोंकने वाले वह केंद्र सरकार के इकलौते मंत्री हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने कड़े मुकाबले में रालोद के मुखिया चौधरी अजित सिंह को शिकस्त दी थी। यूपी की आठ लोकसभा सीटों के लिए हो रहे पहले चरण के चुनाव में 80 प्रत्याशी मैदान में हैं। 80 उम्मीदवारों में 73 पुरुष व सात महिला हैं। कैराना में सबसे अधिक 14 व सबसे कम छह-छह प्रत्याशी नगीना व रामपुर लोकसभा सीट में हैं।
पीलीभीत से वरूण गांधी का टिकट काट कर बीजेपी ने शाहजहांपुर के बड़े राजनीतिक घराने के वारिस जितिन प्रसाद को मैदान में उतारा है। योगी सरकार के एकमात्र कैबिनेट मंत्री हैं, जिन्हें भाजपा ने लोकसभा चुनाव में टिकट थमाया है। वह भी उस पीलीभीत सीट से जो अरसे से गांधी परिवार की छोटी बहू मेनका गांधी और उनके पुत्र वरुण गांधी को आशीर्वाद देती आई है। वरुण का टिकट काटकर भाजपा ने इस बार जितिन पर भरोसा जताया है। वह जून 2021 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। भाजपा ने उन्हें एमएलसी बनाने के साथ योगी सरकार के पहले कार्यकाल में प्राविधिक शिक्षा मंत्री बनाया था। योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें लोक निर्माण विभाग का जिम्मा सौंपा गया। कांग्रेस में रहते हुए जितिन ने 2004 में शाहजहांपुर और 2009 में धौरहरा से लोकसभा चुनाव जीते थे और केंद्र की तत्कालीन मनमोहन सरकार में राज्य मंत्री बने थे।
सहारनपुर के मशहूर काजी खानदान के वारिस इमरान मसूद अपने गृह जिले की लोकसभा सीट से बतौर कांग्रेस उम्मीदवार संसद पहुंचने की तैयारी में जुटे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री काजी रशीद मसूद के भतीजे इमरान सहारनपुर नगर पालिका परिषद के चेयरमैन और यहां की मुजफ्फराबाद (अब बेहट) सीट से 2007 में निर्दल विधायक चुने गए थे लेकिन इसके बाद से अब तक उन्हें चुनावी सफलता का इंतजार है। वर्ष 2012 में उन्होंने नकुड़ सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में वह बतौर कांग्रेस प्रत्याशी भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को लेकर अपने आपत्तिजनक बयान के कारण विवादों में घिरे और चुनाव हार गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उन्हें सफलता नहीं मिली तो 2022 के विधान सभा चुनाव से पहले वह सपा की साइकिल पर सवार हो गए। वहां कुछ हासिल न हुआ तो बसपा में चले गए। बसपा से निष्कासित होने पर वापस कांग्रेस में आए हैं। यह बात और है कि पहले दोनों प्रयासों में उन्हें सफलता नहीं मिल पाई।
कैराना लोकसभा सीट पर यहां के चर्चित हसन परिवार की बेटी इकरा हसन राजनीतिक विरासत को बढ़ाने के लिए बतौर सपा प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इकरा भले ही अपना पहला चुनाव लड़ रही हों, लेकिन वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने तब सलाखों के पीछे कैद अपने भाई नाहिद हसन के चुनाव प्रबंधन की कमान संभाली थी। नाहिद लगातार तीन बार से कैराना से सपा के विधायक हैं। लंदन विश्वविद्यालय से इंटरनेशनल ला एंड पालिटिक्स में परास्नातक इकरा के परिवार का राजनीति से पुराना नाता रहा है। उनके दादा अख्तर हसन 1984 में कैराना से सांसद चुने जा चुके हैं। उनके दिवंगत पिता मुनव्वर हसन को संसद और विधानमंडल के दोनों सदनों के प्रतिनिधित्व का गौरव प्राप्त है। पिता के न रहने पर राजनीति में कदम रखने वाली उनकी मां तबस्सुम हसन भी दो बार कैराना से सांसद निर्वाचित हो चुकी हैं।
नगीना लोकसभा सीट से अंबेडकरवादी कार्यकर्ता और अधिवक्ता चंद्रशेखर आजाद भी प्रदेश में अठारहवीं लोकसभा के चुनाव रण में उतरे चर्चित चेहरों में से एक हैं। वह नगीना (अनुसूचित जाति) सीट से आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी हैं। पहले भीम आर्मी और बाद में आजाद समाज पार्टी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद वर्ष 2017 में सहारनपुर में दलितों और ठाकुरों के बीच हुए हिंसक संघर्षों के दौरान पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी से चर्चा में आए थे।
बुलंदशहर लोकसभा सीट पर भी प्रथम चरण में मतदान होना है जहां से बसपा सांसद गिरीश चंद्र पार्टी के 10 लोकसभा सदस्यों में इकलौते सांसद हैं जिनका टिकट न काटते हुए बसपा अध्यक्ष मायावती ने उन्हें अठारहवीं लोकसभा के चुनाव में फिर प्रत्याशी बनाया है। सत्रहवीं लोकसभा में वह नगीना (अनुसूचित जाति) सीट से चुनाव जीते थे लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें बुलंदशहर सीट से मैदान में उतारा है।
पहले चरण में 80 प्रत्याशियो में से 28 दागी उम्मीदवार हैं। दागियों को टिकट देने में बसपा सुप्रीमो मायावती सबसे आगे हैं। मायावती के आठ में पांच उम्मीदवार पर आपराधिक मुकदमें दर्ज है। इस तरह से बसपा के कुल 63 फीसद प्रत्याशी दागी हैं। इस लिस्ट में बीजेपी, सपा और कांग्रेस समेत दूसरे दलों के नेता भी शामिल हैं। दूसरे ने नंबर पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी दोनों आते हैं। दोनों दलों के सात में तीन-तीन उम्मीदवार आपराधिक मुकदमों का सामना कर रहे हैं। वहीं जय समता पार्टी के दो में दो उम्मीदवार यानी सौ फीसद प्रत्याशी दागी है तो वही रालोद, कांग्रेस और आजाद समाज पार्टी के एक-एक उम्मीदवार पर भी मुकदमे दर्ज हैं।
इन 28 उम्मीदवारों में से 23 के खिलाफ कई गंभीर मामले में दर्ज हैं। अपने हलफनामे में दी गई जानकारी के मुताबिक आजाद समाज पार्टी के मुखिया और भीम भार्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद का नाम सबसे ऊपर है। उनके खिलाफ सबसे ज्यादा 36 मुकदमे दर्ज हैं। चंद्रशेखर पश्चिमी यूपी की नगीना सीट से चुनाव लड़ रहे है। दूसरे नंबर पर सहारनपुर से कांग्रेस प्रत्याशी इमरान मसूद का नाम है। उन पर आठ मामले दर्ज है और तीसरे नंबर पर रामपुर सीट से अल्पसंख्यक डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी अरशद वारसी का नाम है उन पर छह मामले दर्ज है।
पहले चरण में करोड़पति उम्मीदवारों की बात की जाए तो 80 में से 34 उम्मीदवार करोड़पति हैं। इनमें बसपा के आठ में सात, सपा के सात में से पांच, बीजेपी के सभी सात और कांग्रेस के एक में एक करोड़पति उम्मीदवार है। सहारनपुर से बसपा प्रत्याशी माजिद अली सबसे अमीर प्रत्याशी हैं।