लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण राजस्थान में सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया पर एक बार फिर से ब्रेक लग गया है. पहले विधानसभा और अब फिर लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते राजस्थान में प्रक्रियाधीन सरकारी नौकरियों वाली एक दर्जन भर्तियां अटक गई हैं. भर्ती रुकने से युवा बेरोजगारों के सपनों पर भी ब्रेक लग गया है. ये भर्तियां करीब 30 हजार से ज्यादा पदों के लिए होनी थी. अब इनकी प्रक्रिया फिर से शुरू होने में फिलहाल समय लगना तय है.
राजस्थान के लाखों बेरोजगार युवा हर साल सरकारी नौकरी के आने का इंतजार करते हैं. तय समय से देरी से पूरी होने वाली भर्तियों में इस बार चुनावी आचार संहिता रोड़ा बन गई हैं. इन भर्तियों के अलावा कई और भर्तिया भी है जिनकी प्रक्रिया शुरू होना बाकी है. ऐसे में युवा बेरोजगारों की आवाज उठाने वाले बेरोजगार एकीकृत महासंघ के अशोक चौधरी और युवा शक्ति एकीकृत महासंघ के मनोज मीणा ने मामले में सरकार से दखल देकर आचार संहिता के फेर में अटकी भर्तियों की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की मांग रखी है. उन्होंने चुनाव से भर्तियों के अलग रखने की मांग भी उठाई है.
राजस्थान की ये भर्तियां आचार संहिता में अटकी
01-सूचना सहायक भर्ती
02-जूनियर अकाउंटेंट भर्ती
03-शिक्षक भर्ती L2 (स्पोर्ट्स ,विशेष शिक्षक, सभी सब्जेक्ट में पद बाकी हैं)
04-वनरक्षक भर्ती
05-पीटीआई भर्ती
06-फायरमैन भर्ती ,
07-सूचना सहायक भर्ती,
08-जूनियर अकाउंटेंट भर्ती
09-संगणक भर्ती 2024
10- एग्रीकल्चर सुपरवाइजर भर्ती
11-सीएचओ भर्ती प्रक्रिया
हर साल अटकती है भर्तियां
दरअसल चुनावी आचार संहिता लगते ही सारे कामकाज आयोग के दायरे में आ जाते हैं. सरकारी नौकरियों की पीड़ा इन सबसे अलग है. क्योकि इससे सीधे तौर पर युवा बेरोजगार के सपने और भविष्य जुड़ा होता. पहले से कछुआ चाल से चलने वाली भर्ती प्रक्रिया बीते कई बरसों से पेपर लीक का भी शिकार हो रही हैं. ऐसे में अब मांग उठने लगी है कि भर्तियों को चुनावी आचार संहिता के ब्रेक से दूर रखा जाए ताकि युवाओं के सपने सही समय पर पूरे हो सकें.