पटना: सीट शेयरिंग को लेकर महागठबंधन में अभी भी पेंच फंसा हुआ है और संशय के बादल मंडरा रहे हैं. बिना किसी फॉर्मूले के तय हुए ही लालू प्रसाद अपने प्रत्याशियों को सिंबल बांट रहे हैं, जिससे कांग्रेस के नेता आहत बताए जा रहे हैं. मंगलवार की शाम कांग्रेस और आरजेडी के वरिष्ठ नेताओं के बीच दिल्ली में कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव समिति के अध्यक्ष मुकुल वासनिक मीटिंग हुई, लेकिन यहां से कोई ऐलान नहीं किया जा सका. अब कहा जा रहा है कि पटना में इसकी घोषणा की जाएगी.
कांग्रेस और आरजेडी के वरिष्ठ नेताओं के बीच इस बैठक में सीट शेयरिंग पर चर्चा की गई. मीटिंग में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, राज्यसभा सदस्य संजय यादव, कांग्रेस नेता और राष्ट्रीय महासचिव वेनुगोपाल, कांग्रेस के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह, कांग्रेस विधायक दल के नेता डॉ. शकील अहमद खान मौजूद रहे. लेकिन, खबर है कि इस बैठक में कुछ निर्णय नहीं लिया जा सका है और डील फाइनल नहीं हो पाई है. इस बीच खबर है कि आज भी इसको लेकर मीटिंग हो सकती है.
तेजस्वी यादव को महागठबंधन के एकजुट रहने का भरोसा
हालांकि, मीटिंग के बाद तेजस्वी यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि किसी भी परिस्थिति में हम लोग साथ रहेंगे और चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि महागठबंधन में कोई दरार नहीं है और सबका कॉमन और मुख्य लक्ष्य बीजेपी को रोकना है. तेजस्वी ने यह भी दावा किया कि आगामी संसदीय चुनाव में बिहार चौंकाने वाला परिणाम देगा. तेजस्वी ने कहा कि हम लोगों में अंडरस्टैंडिंग बन चुकी है और एक-दो दिनों में सारी चीजें साफ हो जाएंगी. आगामी चुनाव लेफ्ट, कांग्रेस और आरजेडी साथ मिलकर लडे़ंगी और सभी को सम्मानजनक सीटें मिलेंगी. तेजस्वी ने यह भी कहा कि पटना में जल्द ही इसकी घोषणा की जाएगी.
दूसरी ओर यह खबर आ रही है कि एक ओर जहां राजद अध्यक्ष पप्पू यादव को मधेपुरा सीट से लड़ने के लिए कह रहे हैं, वहीं वह पूर्णिया सीट को लेकर ही अड़े हुए हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी के कांग्रेस में विलय के बाद राजद सकते में है. दरअसल, पप्पू यादव ने स्वयं कहा था कि उनकी पार्टी का राजद में विलय करने का ऑफर था, लेकिन उन्होंने कांग्रेस में विलय करना उचित समझा. कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव ही नहीं बल्कि कांग्रेस पप्पू यादव को साथ लेकर भविष्य की ओबीसी राजनीति साधने की जुगत में है और पार्टी का जनाधार बिहार में मजबूत करने की ओर बढ़ना चाहती है.
लालू प्रसाद यादव का फोकस सोशल इंजीनियरिंग पर
लेकिन, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने पूर्णिया सीट से जदयू छोड़कर राजद में शामिल हुई बीमा भारती को सिंबल दे दिया. लालू यादव अपनी तरह से सोशल इंजीनियरिंग करने की कवायद में लगे हैं. जाहिर तौर पर बीमा भारती की राजद से उम्मीदवारी पप्पू यादव और कांग्रेस की प्लानिंग के लिए बड़ा झटका था. वह भी तब जब पप्पू यादव ने लालू यादव से मिलकर अपनी बात कह दी थी और पूर्णिया की दावेदारी की बात सार्वजनिक तौर पर घोषणा की थी. साफ है कि यह कांग्रेस सकते में पड़ गई, क्योंकि कांग्रेस पप्पू यादव की सीट को लेकर आश्वस्त थी. पप्पू यादव ने कई बार कहा भी है कि ‘पूर्णिया मेरी मां है और मैं पूर्णिया नहीं छोड़ूंगा भले ही जान दे दूंगा’.
महागठबंधन में कई सीटों पर राजद-कांग्रेस में पेंच
इतना ही नहीं, कांग्रेस ने नवादा, पूर्वी चंपारण, औरंगाबाद, कटिहार, सासाराम, काराकाट और पूर्णिया की सीटों के लिए एक सूची तैयार कर रखी थी, लेकिन राजद ने गया से कुमार सर्वजीत, औरंगाबाद से अभय कुशवाहा, नवादा से श्रवण कुशवाहा, पूर्णिया से बीमा भारती और जमुई से अर्चना रविदास के लिए उम्मीदवारों की घोषणा से कांग्रेस को झटका लगा. इतना ही नहीं कांग्रेस को सीपीआई के द्वारा अवधेश कुमार राय को बेगूसराय सीट से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद भी झटका लगा क्योंकि वहां से कन्हैया कुमार को लड़ाने की चर्चा चल रही थी
कटिहार में तारिक अनवर और आशफाक करीम के बीच पेंच
वहीं, कांग्रेस और राजद के बीच कटिहार लोकसभा सीट को लेकर भी गहरी असहमति है. राजद इसे अपने पूर्व राज्यसभा सांसद अशफाक करीम और कांग्रेस नेता तारिक अनवर के लिए चाहते हैं. कांग्रेस और राजद के बीच सहमति बनती भी है तो दोनों पार्टियों को एक सीट तो शायद छोड़नी ही पड़े. ऐसे में या तो पप्पू यादव या फिर तारिक अनवर को त्याग करना पड़ेगा. बहरहाल, अब देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस और RJD के बीच बात बनती है कि नहीं.