सड़क दुर्घटनाओं और उससे मौत को कम करने का चार ई फार्मूला

सड़क दुर्घटनाओं और उससे मौत को कम करने का चार ई फार्मूला

एक और दुनिया के देशों में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौत के आंकड़ों में कमी आने लगी हैं वहीं लाख प्रयासों के बावजूद हमारे देश में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों के आकंड़ों में लगातार बढ़ोतरी ही हो रही है। हांलाकि सरकार इसके लिए गंभीर है और नित नए प्रयास व कदम उठाये जा रहे हैं पर परिणाम अभी तक उत्साहजनक नहीं मिल पा रहे हैं। पिछले दिनों देश में चार ई कंसेप्ट पर चर्चा भी आरंभ हुई है पर उसके परिणाम अभी भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है। वैश्विक आंकड़ों पर नजर ड़ाली जाये तो 2010 से 2021 के दौरान सड़क दुर्घटनाओं के कारण मौत के आंकड़ों में 5 प्रतिषत की कमी आई है। ठीक इसके विपरीत हमारे देश में दुर्घटनाओं के कारण मौत का आंकड़ा कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। देश में प्रति घंटा 53 दुर्घटनाएं और 19 मौत हो रही है। सबसे चिंतनीय तो यह है कि 60 प्रतिशत मौत 18 से 35 वर्ष के लोगों की हो रही है। 2022 के आंकड़ों पर नजर ड़ाली जाये तो देश में चार लाख 50 हजार दुर्घटनाएं हुई और इन दुर्घटनाओं के कारण एक लाख 68 हजार लोग मौत के मुंह में समा गये। आंकड़ों के अनुसार दुर्घटनाओं में 12 प्रतिशत और मौत में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही। इस सबसे जीडीपी में 3.14 प्रतिशत का नुकसान हो रहा है। सड़क दुर्घटनाओं से मौत वास्तव में गंभीर है और नितिन गडकरी की चिंता देश की चिंता है। दरअसल दुर्घटनाओं से मौत के कारण होने वाले नुकसान को कम करके नहीं देखा जा सकता। दुर्घटना के कारण जन हानि, धन हानि और इसके साथ ही अन्य परिणामों की गंभीरता को आसानी से समझा जा सकता है। 

देष में 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों को आधी करने के लक्ष्य को लेकर चलने के बावजूद सड़क दुर्घटनाओं और मौत का आंकड़ा दोनों में ही कमी नहीं आ रही है। हांलाकि पिछले दिनों भारतीय उद्योग परिसंघ के एक कार्यक्रम में केन्द्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौत के आंकड़े को 2030 तक आधी करने के लक्ष्य को अर्जित करने के लिए चार ई का फार्मूला दिया है। चार ई में इंजीनियरिंग, एंफोर्समेंट, एजुकेशन और इमरजेंसी मेडिकल सुविधा शामिल है। सही भी है सड़क बनाते समय थोड़ा सा ध्यान नहीं देने से एक्सिडेंट स्पॉट रह जाते हैं और वह आये दिन दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। देश में सबसे अधिक दुर्घटना का कारण इस तरह के एक्सिडेंट स्पॉट ही हैं। हालात यहां तक है कि इस तरह के एक्सिडेंट स्पॉट गली कूचे की सड़कों से लेकर विशेषज्ञों द्वारा गहन चिंतन मनन से तैयार रोड़मेप से बनने वाली एक्सप्रेस हाई वे तक में मिल जाती है। एक बड़ा कारण नेशनल हाई वे लेकर गली कूचों की सड़कों में गड़डों की भरमार भी दुर्घटना और मौत का कारण बन जाती है। तस्वीर का एक पक्ष तो यह भी है कि नेशनल हाई वेज जहां हम टोल देकर यात्रा करते हैं वहां भी सड़कों के रखरखाव में कमी आसानी से देखी जा सकती है। बर्षात या अन्य कारणों से सड़क के ऊंची नीची होने या गड़डें होने के कारण दुर्घटनाएं आम है। खतरनाक मोड व अन्य तकनीकी खामियों के चलते दुर्घटनाएं होने से लोगों को जान से हाथ धोना पड़ जाता है। एंफोर्समेंट, एजुकेशन और दुर्घटना के समय तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होना अतिआवश्यक होता है। समय पर चिकित्सा सुविधा मिलने से दुर्घटना के कारण कम से कम जिंदगी तो बचाया जा सकता है। हांलाकि दुर्घटनाओं और इनके कारण होने वाली मौत को लेकर दुनिया के अधिकांश देश चिंतित है और इस दिशा में लगातार प्रयास जारी है। 

तस्वीर का दूसरा पक्ष और भी अधिक गंभीर है। सड़क दुर्घटनाओं के कारण दुनिया के देशों में होने वाली मौतों का विश्लेषण किया जाए तो 10 में से 9 मौत निम्न व मध्यम आय वाले देशों में हो रही है। यहां तक कि इन देशों में एक प्रतिशत के लगभग ही वाहन है। दूसरी और दुनिया के एक दर्जन से अधिक देश ऐसे भी है जिन्होंने एक दशक में सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों के आंकड़ें को लगभग आधा कर लिया है। वहीं दुनिया के करीब 35 देशों ने मौत के आंकडें में 30 प्रतिशत से अधिक की कमी की है। वैश्विक स्तर पर यह किसी शुभ संकेत से कम नहीं है। आवश्यकता इसी बात की है कि भारत सहित दुनिया के देशों में सड़क दुर्घटनाओं और इनके कारण होने वाली मौतों को लगभग न्यूनतम स्तर पर लाने के प्रयास जारी रखने होंगे। सबसे अधिक ध्यान दुनिया के देशों को आपसी अनुभवों को साझा करने में करना होगा। दरअसल सड़क दुर्घटनाओं और उनके कारण होने वाली मौत अत्यंत गंभीर चिंतनीय है। यह केवल हमारे देश की चिंता ही नहीं अपितु दुनिया के अधिकांश देशों में यह समस्या आम होती जा रही है।

सड़क दुर्घटनाओं और उनके कारण होने वाली मौत वास्तव में गंभीर है। विशेषज्ञों को एक साथ कई मोर्चों पर प्रयास करने होंगे। सड़क निर्माण से लेकर एक नियत दूरी पर मेडिकल चिकित्सा सुविधा और अन्य आधारभूत सुविधाओं की और ध्यान देना होगा। केन्द्र के राजमार्ग परिवहन मंत्रालय व राज्यों के सड़क निर्माण विभागों को एक नहीं अपितु कई मोर्चों पर ध्यान देना होगा। एक और शोध और अनुसंधान पर ध्यान देना होग, निर्माण सामग्री में गुणवत्ता और कार्य में स्तरीयता पर बल देना होगा। इसके साथ ही रोड सेफ्टी कानून कायदों की सख्ती से पालना के साथ ही भारतीय सड़कों के अनुसार वाहनों के निर्माण और सेफ्टी सिस्टम्स को मजबूत बनाना होगा। आशा की जानी चाहिए कि फोर ई कंसेप्ट अपने उद्देश्य में सफल रहेगा ताकि देश में दुर्घटनाओं के कारण मौत का सिलसिला न्यूनतम स्तर पर आ सके। 

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