New Delhi: एक देश एक चुनाव में क्या होंगे नियम, संविधान के पांच अनुच्छेदों में बदलाव की जरूरत क्यों?

New Delhi: एक देश एक चुनाव में क्या होंगे नियम, संविधान के पांच अनुच्छेदों में बदलाव की जरूरत क्यों?

हाल ही में संपन्न संसद का विशेष सत्र इस मामले के लिए विशेष रहा कि इसने क्या हासिल किया और क्या नहीं किया। यदि सार्वभौमिक रूप से प्रशंसित नारी शक्ति वंदन अधिनियम विधेयक को एक पोस्ट-डेटेड चेक करार दें तो वन नेशन वन इलेक्शन एक ऐसा चेक हो सकता है जो प्रस्तुत नहीं किया गया। आशंका प्रबल है कि चेक पहले ही लिखा जा चुका था क्योंकि इस विषय पर 2 सितंबर की अधिसूचना में कहा गया था कि राष्ट्रीय हित में देश में एक साथ चुनाव कराना वांछनीय है और पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक समिति को जांच करने का यह काम सौंपा गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पार्टियों, विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों के सुझावों के आधार पर एक सर्वसम्मत राय है कि देश में एक साथ चुनाव होने चाहिए। इसमें कहा गया है कि केंद्र को एक साथ चुनाव के चक्र को बहाल करने के लिए कानूनी रूप से टिकाऊ तंत्र विकसित करना चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट करते हुए कहा कि यह देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक ऐतिहासिक दिन है। राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता में वन नेशन वन इलेक्शन पर उच्च स्तरीय समिति ने आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के समक्ष अपनी रिपोर्ट सौंपी।

वन नेशन वन इलेक्शन रिपोर्ट से जुड़ी 5 बड़ी बातें

1. एक साथ चुनावों से जुड़े संवैधानिक और कानूनी मुद्दों की जांच पर रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली समिति ने एक साथ चुनावों को व्यवहार्य बनाने के लिए एक वैकल्पिक सक्षम ढांचे का सुझाव दिया।

2. पैनल ने संवैधानिक संशोधन की भी सिफारिश की ताकि लोकसभा, सभी राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव 2029 तक हो सकें। आदर्श आचार संहिता के लागू होने से शासन में व्यवधान और नीतिगत पंगुता तथा आर्थिक विकास पर इसके प्रतिकूल प्रभाव को कम किया जाएगा।

3. समिति ने सुझाव दिया कि पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाएं। फिर, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव को इस तरह से समन्वित किया जाएगा कि यह लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों के 100 दिनों के भीतर आयोजित किया जाए। समिति ने अगले पांच वर्षों में तीन चरणों में विधान सभाओं की शर्तों को समायोजित करने की भी सिफारिश की।

4. त्रिशंकु सदन या अविश्वास प्रस्ताव की स्थिति में, शेष पांच साल के कार्यकाल के लिए नए चुनाव कराए जा सकते हैं।

5. समिति ने भारत सरकार के तीनों स्तरों - केंद्र (लोकसभा), राज्य (विधान सभा) और स्थानीय (नगर पालिकाओं) के चुनावों के लिए एकल मतदाता सूची और एकल मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) (मतदाता कार्ड) के महत्व को मान्यता दी। 

संविधान के पांच अनुच्छेदों में बदलाव की जरूरत क्यों?

वन नेशन-वन इलेक्शन के लिए बनी उच्च स्तरीय समिति ने रिपोर्ट में बताया है कि आखिर इन संशोधनों में बदलाव की जरूरत क्यों है, रिपोर्ट में लिखा गया है कि हर साल चार से पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होते हैं। से में राजनीतिक दल, विधायक, केंद्र सरकार और नेता, संसाधन सब चुनावों में लग जाते हैं। से कामकाज भी बाधित होता है और खर्चा भी बढ़ जाता है। लिए देश में वननेशन-वन इलेक्शन की जरूरत है जो अनुच्छेद 83, 172, 174, 327 में बदलाव के बिना संभव नहीं। से पहले 2018 में लॉ कमीशन की एक रिपोर्ट में भी वन-नेशन वन इलेक्शन के लिए इन अनुच्छेदों में बदलाव की सिफारिश की गई थी।

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