ज्ञानवापी परिसर के व्यास तहखाने में पूजा को लेकर 26 फरवरी को इलाहबाद हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष की पूजा को जारी रखने का आदेश दिया। इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला हिंदू पक्ष को राहत देने वाला है और मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में जुटा है। जस्टिस रोहन रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने मामले को लेकर अपना फैसला सुनाया।
हाई कोर्ट से मुस्लिम पक्ष को राहत नहीं मिली है तो सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी है। ऐसे में देखना ये भी दिलचस्प होगा कि अगर मुस्लिम पक्ष देश की सर्वोच्च अदालत का रुख करता है तो सुप्रीम कोर्ट का रुख क्या होता है। इसकी पुष्टि खुद अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी और प्रवक्ता मोहम्मद सैयद यासीन ने की है। लेकिन इससे इतर अगर बात करें तो हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने भी साफ कर दिया है कि वो भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल करेंगे। यानी हिंदू पक्ष को भी सुना जाए तब इस पूरे मामले पर कोई फैसला दिया जाए। अगर स्टे ऑर्डर की मांग मुस्लिम पक्ष की ओर से की जाए तो हिंदू पक्ष को भी सुना जाए।
गौर करने वाली बात ये है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आज के फैसले से ये स्पष्ट हो गया है कि 31 जनवरी के जिला जज का फैसला बरकरार रहेगा और व्यास जी के तहखाने में पूजा की प्रक्रिया चलती रहेगी। पूजा को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग को ही निरस्त कर दिया गया है। जिससे वाराणसी जिला अदालत का फैसला प्रभावी रहेगा। लेकिन अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति के ज्वाइंट सेक्रेटरी की तरफ से मुसलमानों और अन्य वर्गों के बीच के भड़काऊ बयानों पर भी वाराणसी जिला अदालत की नजर है। एसएम यासीन फैसला पर अस्वीवास जता रहे हैं और लगातार मैसेज फारवर्ड करके समुदाय विशेष को भी अपना संदेश दे रहे हैं। अब जिला प्रशासन की नजर इन संदेशों पर भी है।