महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने शुक्रवार को मराठा समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन पर अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट सौंपी। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने यह जानकारी दी। इस व्यापक अभ्यास में लगभग 2.5 करोड़ परिवारों को शामिल किया गया। मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा कि रिपोर्ट से सरकार को आवश्यक आंकड़े के साथ मराठा समुदाय के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने वाला कानून बनाने में मदद मिलेगी। सरकार ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की समुदाय की मांगों पर चर्चा के लिए 20 फरवरी को एक विशेष सत्र की भी घोषणा की है।
सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे फिलहाल मराठा आरक्षण को लेकर जालना जिले में अपने पैतृक स्थान पर अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा कि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सुनील शुक्रे ने रिपोर्ट उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की उपस्थिति में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को सौंपी। मुख्यमंत्री शिंदे के हवाले से कहा गया, ‘‘सर्वेक्षण पर राज्य कैबिनेट की बैठक में चर्चा की जाएगी।’’
शिंदे ने इस बात पर जोर दिया कि अन्य समुदायों के मौजूदा आरक्षण को छेड़े बिना मराठा समुदाय के लोगों को आरक्षण दिया जाएगा। शिंदे ने कार्यकर्ता जरांगे से अपना अनिश्चितकालीन अनशन खत्म करने का भी आग्रह किया और कहा कि समुदाय को आरक्षण देने के बारे में राज्य सरकार का रुख सकारात्मक है। सर्वेक्षण 23 जनवरी को पूरे महाराष्ट्र में शुरू हुआ जिसमें राज्य सरकार के 3.5 लाख से चार लाख कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। यह सर्वेक्षण 2.5 करोड़ परिवारों पर किया गया।