UP: राम मंदिर पर अपने ही विधायक की चाल में फंसे अखिलेश यादव

UP: राम मंदिर पर अपने ही विधायक की चाल में फंसे अखिलेश यादव

आगे पहाड़ पीछे खाई. ये कहावत तो आपने ज़रूर सुना होगी. यूपी में समाजवादी पार्टी की हालत कुछ ऐसी हो गई है. सबसे बड़ा धर्म संकट ये है कि उसे मुस्लिमों का भी वोट चाहिए और हिंदू समाज का भी. इस चक्कर में पार्टी तय नहीं कर पाती है कि इधर चलें या उधर चलें. भगवान राम का नाम आते ही पार्टी भंवर में फंस जाती है. ये दुविधा मुलायम सिंह यादव के जमाने में कभी नहीं रही. लेकिन जब से अखिलेश यादव पार्टी के सर्वेसर्वा बने हैं, ऐसे मुद्दों पर पार्टी भटकती रही.

भगवान राम के मुद्दे पर यूपी विधानसभा में समाजवादी पार्टी दो फाड़ हो गई. पार्टी के 94 विधायक एक तरफ और बाकी 14 एमएलए खिलाफ हो गए. मामला अयोध्या मैं राम लला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद करने का था. प्रस्ताव यूपी सरकार की तरफ़ से विधानसभा में लाया गया. विधायकों को सदन में हाथ उठा कर समर्थन और खिलाफ में वोट करना था. समाजवादी पार्टी के 14 विधायकों ने खिलाफ में हाथ उठाए. बस यहीं से बीजेपी को नहले पे दहला मारने का मौक़ा मिल गया.

विरोध करने वाले समाजवादी पार्टी के विधायकों को रामद्रोही कहा जाने लगा. बीजेपी के विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने तो स्पीकर से चौदह विधायकों के नाम सार्वजनिक करने की अपील की. त्रिपाठी ने कहा कि जो राम को नहीं मानते उनके बारे में जनता को बताना चाहिए. उनकी इस मांग के तुरंत बाद समाजवादी पार्टी के एक भगवाधारी विधायक ने यू टर्न ले लिया. उन्होंने कहा कि उनका नाम बेवजह विरोधी विधायकों के साथ जोड़ा जा रहा है. स्वामी ने कहा वे जो भी हैं प्रभु राम की कृपा से. समाजवादी पार्टी जानती है राम के विरोध का लेबल लगा तो फिर कांड हो सकता है. लेकिन पार्टी ने इससे बचने के लिए विधानसभा में कोई रणनीति नहीं बनाई.

उलझती जा रही है समाजवादी पार्टी

समाजवादी पार्टी अब अपने ही बनाए जाल में उलझती जा रही है. पार्टी के विधायक राकेश प्रताप सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष को पिछले महीने एक चिट्ठी लिखी थी. जिसमें उन्होंने सभी विधायकों को अयोध्या ले जाकर रामलला के दर्शन कराने की मांग की थी. उनकी ये मांग स्पीकर सतीश महाना ने मान ली है. फैसला हुआ है कि सभी विधायक अयोध्या जाएंगे. वे अपने साथ अपनी पत्नी को भी रामलला के दर्शन के लिए ले जा सकते हैं. तो क्या अखिलेश यादव भी अपने विधायकों संग अयोध्या जा सकते हैं ! नियम के मुताबिक़ वे अपनी सांसद पत्नी डिंपल यादव को भी ले जा सकते हैं.

शिवपाल यादव क्या करेंगे?

अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव भी विधायक हैं. आख़िर वे क्या करेंगे! अखिलेश परिवार अयोध्या गया तो भी खबर और नहीं गए तो भी खबर. दोनों ही हालातों में बीजेपी का ही पलड़ा भारी रहने वाला है. लोकसभा चुनाव की आहट शुरू हो गई है. ऐसे में समाजवादी पार्टी को हिंदू विरोधी साबित करने का कोई मौक़ा बीजेपी नहीं छोड़ने वाली. अयोध्या में 1990 में कारसेवकों पर फ़ायरिंग के मुलायम सिंह यादव के आदेश को बीजेपी ने मुद्दा बना दिया है. वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में व्यासजी के तहख़ाने में अदालत के आदेश से पूजा जारी है. बीजेपी ये माहौल बना रही है कि मुलायम सिंह ने मौखिक आदेश देकर 1993 में इसे बंद कराया था.

अखिलेश यादव कई बार कह चुके हैं कि मंदिर बनने पर परिवार समेत अयोध्या जायेंगे. वे वहां रामलला के दर्शन करेंगे. अब विधानसभा की तरफ़ से उन्हें मौक़ा मिला है. उनकी ही पार्टी की पहल पर अयोध्या जाने का फ़ैसला हुआ है तो क्या अखिलेश यादव अब वहां जायेंगे. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने अभी फ़ैसला नहीं किया है. लेकिन शिवपाल यादव कहते हैं कि हम बीजेपी वालों के साथ नहीं जा सकते. हमारी व्यवस्था अलग से हो.

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