सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राजद नेता तेजस्वी यादव की उस याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें उन्होंने कथित केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं टिप्पणी को लेकर अहमदाबाद की एक अदालत में उनके खिलाफ लंबित आपराधिक मानहानि की शिकायत को राज्य के बाहर, अधिमानतः किसी स्थान पर स्थानांतरित करने की मांग की थी। न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने यादव द्वारा दायर माफी के एक ताजा बयान को रिकॉर्ड पर लिया। पीठ ने कहा कि हम आदेश पारित करेंगे।
शीर्ष अदालत ने 29 जनवरी को यादव को अपनी कथित टिप्पणीकेवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं को वापस लेते हुए एक उचित बयान दाखिल करने का निर्देश दिया था। यादव ने 19 जनवरी को शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दायर कर अपनी कथित गुजराती ठग टिप्पणी वापस ले ली।
शीर्ष अदालत ने राजद नेता की याचिका पर सुनवाई करते हुए पहले आपराधिक मानहानि शिकायत की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी और इसे दायर करने वाले गुजरात निवासी को नोटिस जारी किया था। गुजरात अदालत ने अगस्त में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 202 के तहत यादव के खिलाफ प्रारंभिक जांच की थी और एक स्थानीय व्यवसायी और कार्यकर्ता हरेश मेहता द्वारा दायर शिकायत पर उन्हें समन करने के लिए पर्याप्त आधार पाया था।